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कोरोना महामारी के बीच अमेरिका और चीन की कलह

अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि चीन में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या असल में कहीं अधिक है।
शुक्रवार को एक ट्वीट कर उन्होंने कहा, “इस अज्ञात शत्रु से होने वाली मौतों का आंकड़ा चीन अचानक बढ़ा कर दोगुना कर दिया है। लेकिन ये इससे कहीं अधिक है, ये अमरीका में हो रही मौतों के आंकड़े से भी कहीं अधिक है.”
इससे पहले शुक्रवार को चीन के हुबे प्रांत के वुहान में अधिकारियों ने कोविड -19 से होने वाली मौतों के आंकड़े को 50 फीसदी तक बढ़ा दिया था।
अधिकारियों के अनुसार और 1,290 मौतें कोरोना वायरस के कारण हुई हैं। इसके साथ ही हुबे में मौतों का आंकड़ा कुल 3,869 तक पहुंच गया और चीन के लिए ये आंकड़ा 4,600 तक पहुंच गया है।
अधिकारियों का कहना है कि जेलों और मुर्दाघरों में मौतों के संबंध में रखी गई रिपोर्टों से जो नया डेटा मिला है उसी के आधार पर नए आकड़े जारी किए गए हैं।
जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार चीन नए अब तक करीब कोरोना संक्रमण के 84,000 मामलों की पुष्टि की है।
चीन में हुई कम मौतों के दावे पर सवाल
बीबीसी के चीन संवाददाता स्टीफ़न मैकडॉनल कहते हैं कि वुहान में होने वाली मौतों का आंकड़ा दोगुना बढ़ा कर चीन ने विश्लेषकों को चिंता में डाल दिया है।
बीते कई सप्ताह से चीन के आधिकारिक आंकड़ों के बारे में सवाल पूछे जाते रहे हैं।अब तक अनुमान ये लगाया जा रहा था कि अपने शहरों और कस्बों में इमर्जेंसी का बेहतर प्रबंधन कर मौतों को कम करने में सफलता दिखाने के लिए चीनी अधिकारियों ने जान बूझकर आकड़ों के बारे में सच नहीं बताया होगा।
लेकिन ऐसा होता भी है तो चीनी अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि दूसरे देशों में यह संकट कितना व्यापक रूप ले चुका है।
वुहान के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इस बारे में जानबूझकर कोई गलत ब्योरा नहीं दिया, बल्कि यहां हालत सुधरने के बाद उन्होंने एक बार फिर सभी मामलों के बारे में जानकारी जुटाई है।
लेकिन चीन में मौतों के आंकड़ों की ख़बर ऐसे वक्त आई है जब वहां के आर्थिक विकास के आंकड़ों में गिरावट की घोषणा हुई।इस कारण कुछ जानकारों का मानना है कि हो सकता है कि चीन जानबूझकर ये ख़बर छिपाना चाहता हो। हालांकि ये पूरी तरह मात्र एक संयोग भी हो सकता है।
गुरुवार को चीन ने अर्थव्यवस्था पर कोरोना के प्रभाव से संबंधित आधिकारिक तौर पर आंकड़े जारी किए हैं। वर्ष 2020 के पहली तिमाही में चीन की जीडीपी में 6.8 फ़ीसदी की गिरावट देखी गई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, बीते तीन दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है।

वायरस को लेकर चीन और अमरीका में तनाव

कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान से ही हुई थी लेकिन जिस तरह उसने इस चुनौती का सामना किया और उससे निपटने में कामयाब रहा उसकी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तारीफ़ की.
लेकिन इसके बावजूद चीन की ओर से जारी किए गए आँकड़ों और संक्रमण पूरी तरह रोक पाने के दावों पर लगातार संदेह बना रहा है।
व्हाइट हाउस कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य एंथोनी फ़ाउची ने चीन के आकड़ों पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि चीन में दिसंबर महीने के दूसरे सप्ताह से ही कोरोना के मामले सामने आना शुरु हो गए थे लेकिन उसने ये बात पूरी दुनिया से छिपाई।उनका आरोप था कि चीन ने इस बीमारी के बारे में जानकारी और तथ्य छिपाए।
गुरुवार को भी उन्होंने कहा कि कोविड 19 पर चीन ने जो जानकारी अब तक दी है उस पर भरोसा करना मुश्किल है।
हाल में ब्रिटिश सरकार के वरिष्ठ मंत्री माइकल गोव ने बीबीसी को बताया, “चीन से जुड़ी कुछ रिपोर्ट स्पष्ट नहीं थीं -जैसे यह किस स्तर पर फैला, इसकी प्रकृति क्या है और यह कितना फैल सकता है.”
इसी साल फरवरी में डॉक्टर ली ने अस्पताल से यह तस्वीर शेयर की थी।
चीन में दिसंबर ख़त्म होने से पहले से ही कोरोना के मामले आने शुरु हो गए थे, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को 31 दिसंबर को उसने कोरोना वायरस की जानकारी दी।
लगभग उसी वक़्त एक डॉक्टर जिन्होंने अपने सहकर्मियों को सार्स जैसे किसी वायरस के संक्रमण को लेकर आगाह किया था उनसे पुलिस ने पूछताछ भी की थी।
वुहान सेंट्रल अस्पताल के नेत्र-विशेषज्ञ डॉ. ली वेनलियांग ने 30 दिसंबर को ही अपने साथी डॉक्टरों को चेताया था कि उन्होंने कुछ मरीज़ों में सार्स जैसे वायरस के लक्षण देखे हैं।लेकिन उन्हें ये कह कर चुप करा दिया गया कि वे लोगों को भ्रमित ना करें।कुछ दिनों बाद डॉ. ली की मौत कोरोना वायरस से हो गई।
बाद में 14 जनवरी को संगठन ने ट्वीट किया कि चीन की शुरुआती जांच में इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में फैलता है।
डोनल्ड ट्रंप और अन्य लोगों ने इस ट्वीट के ज़रिए WHO पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि संगठन आंख मूंदकर चीन की बातों पर भरोसा कर रहा है।
22 जनवरी को एक ट्वीट में WHO ने एक बयान जारी करके कहा कि वुहान में कोरोना वायरस के इंसानों से इंसानों में फैलने के मामले सामने आए हैं. जिसके बाद जनवरी के आखिर में WHO ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया।
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट वॉच से जुड़े केनेथ रॉथ ने भी कहा था कि देश में हो रही मौतों के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर चीनी सरकार बेहद कड़ा रुख़ अपना रही है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि सोशल मीडिया पर वुहान में अंतिम संस्कार के लिए लाए गए शवों की संख्या के बारे में बताने पर एक व्यक्ति को चीनी सरकार ने ऐसा करने से रोका।

चीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन से भिड़े ट्रंप

हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ऐडहॉनम गीब्रियेसिस ने चीन के प्रयासों की तारीफ़ की और कहा कि जिस तेज़ी से चीन ने इस महामारी का पता लगाया और लगातार पारदर्शिता बरती वो सराहनीय है।
अमरीका के उनके बयान की आलोचना की और ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन परस्त रवैया अपनाने का आरोप लगाया.
अमरीका की तरफ़ से WHO को दिए जाने वाले फंड का ज़िक्र किया और कहा, “अमरीका WHO को सबसे ज़्यादा फंड देता है और आने वाले समय में हम इस फंड पर रोक लगाने जा रहे हैं.”
इसके बाद ट्रंप ने अपने प्रशासन को WHO का फंड बंद करने के निर्देश दे दिए और कहा कि वायरस के संक्रमण को रोकने में संगठन की भूमिका की समीक्षा की जाएगी।
इसके उत्तर में जेनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक डॉक्टर टेड्रॉस ने कहा कि कोरोना वायरस का ‘राजनीतिकरण’ नहीं किया जाना चाहिए।
चीन ने भी अमरीकी राष्ट्रपति के बयान का विरोध किया है।चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ाओ लिजियान ने गुरुवार को कहा है, “अमरीका को कोरोना वायरस महामारी का राजनीतिकरण करने से बचना चाहिए और इससे निपटने में अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए.”
जॉन हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार चीन नए अब तक करीब कोरोना संक्रमण के 84,000 मामलों की पुष्टि की है और यहां इस कारण कुल 4,636 मौतें हुई हैं।
(स्रोत बीबीसी)

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