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‘आरोग्य सेतु’ एप और कोविड़ – 19

योगेश कुमार गोयल

यही कारण है कि आरोग्य सेतु एप को ज्यादा से ज्यादा मोबाइल फोनों में इंस्टॉल कराने के लिए अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है। इस एप को एंड्रॉयड स्मार्टफोन के अलावा आईफोन में भी इंस्टॉल किया जा सकता है।

कोरोना महामारी से इस समय पूरी दुनिया एक बड़ी जंग लड़ रही है। पिछले दिनों इसी जंग में मदद के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ‘आरोग्य सेतु’ नामक एक एप लांच किया गया और उसके बाद प्रधानमंत्री द्वारा की गई अपील के पश्चात् करोड़ों भारतीयों द्वारा इस एप को डाउनलोड किया जा चुका है। 14 अप्रैल को राष्ट्र के नाम दिए संदेश में भी प्रधानमंत्री ने एक बार फिर प्रत्येक व्यक्ति से इस महत्वपूर्ण एप को डाउनलोड करने की अपील की, जिसके बाद लोगों द्वारा इस एप के प्रति उत्साह देखा जा रहा है। इस एप का निर्माण भारत सरकार के आयुष विभाग द्वारा लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए किया गया है तथा एप में कोरोना के लक्षण, बचाव तथा रोकथाम से जुड़ी जानकारियां दी गई हैं। यही कारण है कि कोरोना के खिलाफ प्रभावी ढंग से लड़ाई लड़ने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सभी जवानों को यह एप इंस्टॉल का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा रेलवे द्वारा अपने करीब 13 लाख कर्मचारियों और मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े सभी लोगों, शिक्षकों तथा छात्रों को भी यह एप डाउनलोड तथा इंस्टॉल करने को कहा गया है।

क्या है ‘आरोग्य सेतु’ एप?

‘आरोग्य सेतु’ एप लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे तथा जोखिम का आकलन करने में मदद करता है। लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने के उद्देश्य से यह एप बनाया गया है। जिस भी व्यक्ति के फोन में यह एप होगा, वह दूसरों के सम्पर्क में कितना रहा है, यह पता लगाने के लिए ब्लूटूथ तकनीक, एल्गोरिदम तथा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। हमारे मोबाइल की ब्लूटूथ, जीपीएस तथा मोबाइल नंबर का उपयोग करते हुए यह विशेष एप हमारे आसपास मौजूद कोरोना पॉजिटिव लोगों के बारे में पता लगाने में मदद करता है। इसके अलावा यह संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने की आशंका के बारे में भी अलर्ट नोटिफिकेशन देता है। हालांकि यह केवल तभी पता चल सकता है, जब सम्पर्क में आने वाले आसपास के संदिग्ध संक्रमित व्यक्ति ने भी यह एप अपने मोबाइल फोन में इंस्टॉल किया हो और यह सक्रिय हो।

यही कारण है कि इस एप को ज्यादा से ज्यादा मोबाइल फोनों में इंस्टॉल कराने के लिए अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है। इस एप को एंड्रॉयड स्मार्टफोन के अलावा आईफोन में भी इंस्टॉल किया जा सकता है। कांटैक्ट ट्रेसिंग के लिए यह एप हमारे मोबाइल नंबर, ब्लूटूथ तथा लोकेशन डाटा का उपयोग करता है और बताता है कि आप कोरोना के जोखिम के दायरे में हैं या नहीं। लोकेशन और ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हुए एप जांचता रहता है कि आपके आसपास कोई संक्रमित व्यक्ति अथवा संभावित संक्रमित तो नहीं है। यह एप तभी कार्य करता है, जब आप अपने मोबाइल नंबर को रजिस्टर करते समय ओटीपी से उसे प्रमाणित करते हैं। यदि आप जरूरत के समय में स्वयंसेवक (वालेंटियर) बनने की इच्छा रखते हैं तो एप रजिस्टर करते समय स्वयं को इसके लिए नामांकित करने का विकल्प भी इसमें मौजूद है। एप में कोरोना से बचाव के लिए सभी जरूरी दिशा-निर्देश तथा सुझाव भी दिए गए हैं।

कैसे करें इंस्टॉल?

सबसे पहले अपने मोबाइल की लोकेशन तथा ब्लूटूथ ऑन कर लें। अब ‘एपल स्टोर’ अथवा ‘गूगल प्ले स्टोर’ को खोलें और सर्च में AarogyaSetu टाइप करें। यहां से इस एप को अपने मोबाइल में इंस्टॉल करें। जब आप यह एप इंस्टॉल करेंगे, यह आपसे मोबाइल की लोकेशन उपयोग करने की अनुमति मांगेगा। इंस्टॉल करने के बाद मोबाइल की ब्लूटूथ तथा लोकेशन दोनों सदैव ऑन रखें क्योंकि यह एप तभी काम करेगा, जब ये दोनों ऑन होंगे। इन्हीं के जरिये इस एप को यह पता रहेगा कि आप कब और कहां जा रहे हैं और बाहर आप अनजाने में ही किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में तो नहीं आए हैं। एप खोलने के बाद 11 उपलब्ध भारतीय भाषाओं में से अपनी एक पसंदीदा भाषा का चयन करें। अब अपना रजिस्ट्रेशन करने के लिए यहां अपना नाम, उम्र, लिंग, व्यवसाय, पिछले 14 दिनों में की गई विदेश यात्रा इत्यादि की सही-सही जानकारी दें। एप में सेंट्रल तथा सभी प्रदेशों के हेल्पलाइन नंबर की जानकारी उपलब्ध है, जिस पर क्लिक पर आप वह नंबर डायल कर सकते हैं।

यह एप काम कैसे करता है?

यह एप ‘सेल्फ असेसमेंट टेस्ट’ में दी गई निजी जानकारी के अलावा लक्षण, बीमारी इत्यादि जानकारियों तथा आपकी लोकेशन के आधार पर बताता है कि आपको कोरोना का कितना जोखिम है और आपको फोन पर परामर्श की, कोरोना का टेस्ट कराने की या डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है या नहीं। इस सेल्फ असेसमेंट टेस्ट के आधार पर ही कोरोना के जोखिम का अंदाजा लगाया जाता है और बाकी लोगों को भी उसी के आधार पर अलर्ट किया जाता है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि रजिस्टर करते समय इसमें बिल्कुल सही जानकारी दी जाए। अगर आपको कोरोना का जोखिम है तो एप के जरिये आपको जानकारी मिलेगी कि आपको कोरोना की जांच कराने की जरूरत है या केवल क्वारंटीन से ही काम चल जाएगा। यदि कोरोना परीक्षण कराए जाने की जरूरत है तो यह परीक्षण कहां करा सकते हैं, यह जानकारी भी आपको मिल जाएगी। आरोग्य सेतु एप में हरे तथा पीले रंग के जोन के जरिये जोखिम का स्तर दर्शाया जाता है। अगर आपके मोबाइल की एप में आपको हरे जोन में दिखाया जाता है तो इसका अर्थ है कि आपको कोई खतरा नहीं है और आप सुरक्षित हैं लेकिन कोरोना से बचने के लिए आपके लिए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) को बनाए रखना और घर पर रहना आवश्यक है। अगर आपको इस एप में पीले रंग में दिखाया जाता है तो इसका अर्थ है कि आपको बहुत जोखिम है और आपको हैल्पलाइन पर सम्पर्क करना चाहिए। अगर कोई कोरोना पॉजिटिव अथवा कोरोना के लक्षण वाला व्यक्ति आइसोलेशन में न रहकर सार्वजनिक स्थान पर जाता है तो इसकी जानकारी भी प्रशासन तक पहुंच जाएगी।

आरोग्य सेतु के अलावा अन्य एप से निगरानी

आरोग्य सेतु के अलावा पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा इत्यादि कुछ राज्य सरकारों द्वारा भी ऐसे मोबाइल एप शुरू किए जा चुके हैं, जिनके जरिये कोरोना से संबंधित जानकारियां हासिल की जा रही हैं। आंध्र प्रदेश में ‘कोरोना अलर्ट ट्रेसिंग सिस्टम’ का उपयोग शुरू किया जा रहा है, जिसके जरिये होम क्वारंटीन में रखे गए हजारों लोगों पर नजर रखी जा रही है। हिमाचल प्रदेश में भी ‘कोरोना मुक्त हिमाचल’ एप जल्द लांच किए जाने की संभावना है। कर्नाटक सरकार में तो गत दिनों सरकार द्वारा यह आदेश दिए गए थे कि लोग हर घंटे अपनी सेल्फी खींचकर भेजें। वहां ‘कोरोना वाच’ एप के जरिये कोरोना पॉजिटिव लोगों के पिछले 14 दिनों के मूवमेंट के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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