राहुल गांधी ने दीया टॉर्च पर कसा तंज


आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कोरोना संकट का सामना करने के लिए पूरा देश एकजुट है। इसका नजारा रविवार(अप्रैल 5) रात नौ बजे देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर हर वर्ग और समुदाय के लोगों ने दीप जलाकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपनी एकजुटता प्रदर्शित की। लेकिन कांग्रेस और उसके नेताओं ने इस अभियान से अपनी दूरी बनाये रखी। यहां तक कि राहुल गांधी ने ट्वीट कर दीया-टॉर्च जलाने के प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर तंज कसा। राहुल गांधी ने अपने तंज के जरिए कोरोना के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी के देशव्यापी अभियान को न सिर्फ हल्के में लिया, बल्कि देशवासियों की भावनाओं का अपमान भी किया।
दरअसल, राहुल का हिन्दू आध्यात्मिकता पर तंज कसना कोई नयी बात नहीं, क्योकि जो कोट के ऊपर जनेऊ पहन हिन्दू होने का ठोंग रचता हो, उससे और कोई अपेक्षा की भी नहीं जा सकती। टीवी परिचर्चाओं में कांग्रेस का समर्थन और मोदी सरकार की कार्यशैली पर कटाक्ष करने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णन तक ने अप्रैल 5 को 9 बजे 9 मिनट घरों की लाइट ऑफ कर दीया, मोमबत्ती, टॉर्च फ़्लैश आदि से प्रकाश करने की आध्यात्मिकता पर प्रकाश डाला था। मार्च 22 को ताली अथवा थाली पीटने, 21 दिन का लॉक आउट आदि पर ज्योतिष गुरु भारत के पक्ष में देख रहे हैं, जबकि राहुल मुस्लिम कट्टरपंथियों की बोली ही बोल रहे हैं। राहुल हो या सोनिया गाँधी, इनका हिन्दू विरोधी बयान इनकी मानसिकता को दर्शाता है। पूर्व महामहिम प्रणव मुखर्जी ने तो अपनी पुस्तक तक में सोनिया के हिन्दू विरोधी होने की बात लिखी है और राहुल भी आखिर बेटा तो सोनिया गाँधी का है।देशहित में सोंचना इनकी कुंडली में ही नहीं दिखता।
मोदी सरकार पर तंज कसते हुए राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक तस्वीर भी शेयर की। इसमें उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की कि भारत में कोरोना वायरस से निपटने के लिए दीपक, टॉर्च और बर्तन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि दुनिया में इस घातक वायरस से निपटने के लिए मास्क, सैनिटाइजर, ग्लव्स और साबुन का इस्तेमाल किया जा रहा है । इससे पहले राहुल गांधी की मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था, ‘लगातार और विश्वसनीय ढंग से चिकित्सा जांच करने के अलावा कोविड-19 से लड़ने का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। हमारे चिकित्सकों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों को सभी तरह का सहयोराहुल गांधी और सोनिया गांधी ने जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों और कोरोना से लड़ने के लिए किए जा रहे उपायों को कमतर बताया है, उससे सवाल उठता है कि क्या सिर्फ हथियारों के बल पर कोई सेना जंग जीत सकती है ? क्या जंग जीतने के लिए सैनिकों के हौसले, इच्छाशक्ति और एकजुटता का कोई मतलब नहीं है ? प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। देशवासियों को कोरोना की चपेट में आने से बचाने के लिए हर तरह के कदम उठा रहे हैं। मास्क, सेनेटाइजर से लेकर टेस्ट लैब्स तक की सुविधाएं बढ़ाई जा रही है। वहीं संक्रमित लोगों को इलाज के लिए क्वारंटाइन में रखा जा रहा है।
इनके अलावा कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले लोगों के सम्मान में ताली और थाली बजवाने के साथ ही लोगों में जागरुकता पैदा करने और एकजुटता के लिए दीपक भी जलाया गया। कोरोना को फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन जैसे कदम उठाए गए हैं।
कोरोना प्रकोप से निपटने को लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार के प्रयासों की आज पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है। जहां अमेरिका, इटली और स्पेन समेत कई देशों में यह बीमारी महामारी बन चुकी है, वहीं भारत में स्थिति नियंत्रण में है। WHO के COVID-19 के विशेष प्रतिनिधिन डेविड नबैरो ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में भारत की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर विश्व के अन्य देशों ने जहां लापरवाही बरती,वहीं भारत ने कड़े उठाए हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत अन्य देशों से आगे है।
अप्रैल 6 को tv9 पर आध्यात्मिक गुरुओं के हो रही परिचर्चा में यही निष्कर्ष निकल कर आ रहा है कि 14 अप्रैल के बाद से भारत में इसका प्रभाव कम होना शुरू होगा और भारत विश्व में एक शक्तिशाली देश बनकर उभरेगा।

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