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कविता

मधुबन कभी न मरता है

मधुवन कभी न मरता हैपतझड़ लाख करे कोशिश परमधुवन कभी न मरता है ।अपनों से आहत हर प्राणीसपनों में भी डरता है ।।मौन हो गयीं सब शाखाएंपत्तों के गिर जाने पर ।लेकिन उत्सव खूब मनायानई कोपलें आने पर ।।टहनी से पत्तों का गिरनातरु को बहुत अखरता है । पतझड़ लाख———-गहरे सागर की लहरें भीतट का साथ निभाती हैं ।कभी -कभी तटबंध तोड़करफिर वापस आ जाती हैं ।।नदियों की कल -कल क्रीड़ा सेसागर का जल भरता है । पतझड़ लाख—————-माटी के मटके से जल कारिश्ता बहुत पुराना है ।किसी तीसरे के आने सेहो जाता अनजाना है ।।चिकने घट पर एक बूँद भीजल का नहीं ठहरता है । पतझड़ लाख—————-पलकों की छाया में आंसूपोषण अपना पाता है ।आहत नयनों के पनघट सेबिना कहे बह जाता है ।।विश्वासों के मर जाने सेपूजा थाल बिखरता है । पतझड़ लाख————–अनिल कुमार पाण्डेयबिसधन, बिल्हौर, कानपुर नगरसंस्थापक-तुलसी मानस साहित्यिक संस्थानप्रदेश अध्यक्ष-उगता भारत प्रबुद्व जन मंचए-265 आई टी आई मनकापुर ,गोण्डा(उ प्र)शब्द दूत -9198557973

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