जनपद गौतम बुद्ध नगर की पुलिस : नई बोतल में पुरानी शराब, क्या करेगा कमिश्नरी राज ?

ग्रेनो । जनपद गौतमबुध नगर में अब कमिश्नरी राज लागू हुए 2 माह का समय हो गया है। जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से इस उम्मीद के साथ लगाया गया कि शायद ऐसा करने से यहां की कानून व्यवस्था में सुधार होगा और लोगों को सस्ता व सुलभ न्याय भी प्राप्त होगा। परंतु इसके उपरांत भी न तो कानून व्यवस्था में कोई सुधार है और ना ही जनता को सस्ता व सुलभ न्याय प्राप्त हो रहा है ।

पहले से ही भ्रष्टाचार के लिए मशहूर रही पुलिस की कार्यप्रणाली को क्या कमिश्नरी राज से सुधारा जा सकता है ? यदि इसका उत्तर खोजा जाए तो निश्चित रूप से नहीं मैं ही उत्तर आएगा । वैसे भी सीआरपीसी के जितने प्रकरण पुलिस विभाग के लिए न्यायालयों से स्थानांतरित किए गए हैं उनमें वादकारियों का पुलिस विभाग में आना जाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है । क्योंकि पुलिस विभाग जनता के साथ तालमेल बैठाकर चलने वाला विभाग न होकर उससे एक दूरी बनाकर चलता है । साथ ही यहां पर कमजोर को हटाने और मजबूत को साथ बैठाने की प्रवृत्ति भी अंग्रेजों के जमाने से है । ऐसी परिस्थितियों में कमिश्नर राज भी जनता के लिए नई बोतल में पुरानी शराब ही साबित हो रहा है । इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि आसमान से गिरी तो खजूर मटक गई वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रही है। जिससे आम आदमी अपनी बात को किसी भी पुलिस कर्मचारी या अधिकारी के सामने कह नहीं पाता ।

ऐसे में सीआरपीसी के जितने प्रकरण थानों में स्थानांतरित किए गए हैं उन सबके लिए किसान परेशानी महसूस कर रहे हैं । इसके बारे में शुरुआत से ही यह मांग अधिवक्ताओं की ओर से की जाती रही है कि सीआरपीसी के प्रकरणों को पब्लिक से जुड़े राजस्व न्यायालय या अन्य संबंधित न्यायालय में ही रखा जाए । इसे जनता का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जनता की भावनाओं का सम्मान न करते हुए उसे थानों के ही चक्कर कटवाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

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