नई दिल्ली के राजेंद्र भवन में राष्ट्रीय प्रेस महासंघ का प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न

भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद मुखरित करना समय की आवश्यकता : डॉक्टर ओम प्रकाश पांडे

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा दिल्ली का नाम फिर से इंद्रप्रस्थ कराने का प्रस्ताव किया गया पारित , मुख्य वक्ता डॉ ओमप्रकाश पांडे बोले इस प्रस्ताव को रखेंगे संबंधित मंत्रालय और प्रधानमंत्री के समक्ष , राष्ट्रीय संयोजक रवि चाणक्य बोले सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का जागरण ही ‘ राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ‘ का एकमात्र उद्देश्य

नई दिल्ली । ( एल एस तिवारी ) राष्ट्रीय प्रेस महासंघ का प्रथम अधिवेशन यहां दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित राजेंद्र भवन में संपन्न हुआ । जिसमें संगठन के राष्ट्रीय संयोजक रवि चाणक्य ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय प्रेस महासंघ का उद्देश्य भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का जागरण करना है , जबकि संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ करने और दिल्ली स्थित पुराने किले में महाभारतकालीन घटनाओं का चित्रण कराने का प्रस्ताव रखा गया । जिसे उपस्थित सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने सर्वसम्मति से पारित किया ।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक और नासा एवं इसरो जैसी संस्थाओं के प्रमुख वैज्ञानिक रहे डॉक्टर ओम प्रकाश पांडे ने कहा कि भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद मुखरित किया जाना समय की आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि विश्व के लिए ज्ञान विज्ञान का केंद्र भारत रहा है। इसलिए भारत को विश्व ने सदा सम्मान की दृष्टि से देखा है । यदि हम अपने गौरवपूर्ण अतीत के प्रति आज भी सावधान हों तो विश्व हमारे नेतृत्व में फिर काम करने के लिए तैयार है । श्री पांडे ने कहा कि हमारे ऋषि लोग ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ऊंचाई को छू गए थे । इसलिए आज हम भारत के गौरव को मुखरित करने वाले साहित्य के सृजन पर ध्यान दे रहे हैं ।

उन्होंने इस दिशा में अपने द्वारा लिखित पुस्तक के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पुस्तक शीघ्र ही प्रकाशित होगी । जिसमें भारत के संपूर्ण गौरवपूर्ण अतीत को समाविष्ट करने का सरकारी स्तर पर प्रयास किया जा रहा है । श्री पांडे ने कहा कि भारत का दार्शनिक ज्ञान आज भी संसार का मार्गदर्शन कर रहा है । उन्होंने गौतम , कणाद ,कपिल जैसे ऋषियों के जीवन के गंभीर ज्ञान दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके बनाए हुए ग्रंथ और नियम आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं और जब तक सृष्टि है तब तक यह मार्गदर्शन करते रहेंगे।

श्री पांडे ने ईशावास्योपनिषद के प्रथम मंत्र — ” पूर्णम अद: पूर्णम इदम पूर्णात पूर्णम उदच्यते ।

पूर्णस्य पूर्णम आदाय पूर्णम एव अवशिष्यते ।।

का अर्थ करते हुए कहा कि इसमें ऋषि ने बहुत गंभीर बात कही है कि पूरे में से पूरा निकाल लें तब भी पूरा बचा रहेगा , पूरे में पूरा जोड़ना है तब भी वह पूरा ही रहेगा । उन्होंने कहा कि उपनिषद की यह बात बड़ी विलक्षण है । उपनिषद की यह चर्चा भौतिक नहीं आध्यात्मिक जगत की है । आत्मा के जगत में भौतिक हिसाब नहीं चलता । आध्यात्मिक गणित का यही हिसाब है वहां देने से घटता नहीं बढ़ता है । लेने से बढ़ता नहीं घटता है । जीवात्मा के जगत में जोड़ से बढ़ भी सकता है और घट भी सकता है । निकालने से घट भी सकता है बढ़ भी सकता है । परंतु भारत के ऋषि उपनिषदकार इस भौतिक जगत की चर्चा कम आध्यात्मिक जगत की चर्चा अधिक करते हैं , इसलिए उनका यह मंत्र बहुत गहरा अर्थ दे रहा है।

श्री पांडे ने हिंग्स बोसॉन , गॉड पार्टिकल की गंभीर चर्चा पर भी प्रकाश डाला और बताया कि भारत के ऋषि यों ने जिस परम चेतन तत्व परमात्मा की कल्पना की है उसे आज के विज्ञान ने की अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है जिससे पता चलता है कि हमारे ऋषि बहुत गहरा गंभीर और तात्विक ज्ञान रखते थे।

श्री पांडे ने कहा कि इस समय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के माध्यम से समाचार पत्रों को देश में वैचारिक क्रांति का सूत्रपात करना चाहिए । उन्होंने कहा कि भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अभिप्राय किसी वर्ग , संप्रदाय या समुदाय के अधिकारों का हनन करना नहीं है । अपितु प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी प्रकार के पक्षपात के उसके मौलिक अधिकार उपलब्ध हो सकें यह चिंतन भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का है। भारत की संस्कृति ऋषि संस्कृति है । जिसमें सर्वे भवंतू सुखिन: की कल्पना की गई है । उन्होंने कहा कि सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया की पवित्र भावना का उद्घोष करने वाली संस्कृति ‘ सबका साथ , सबका विकास और सबका विश्वास ‘ जीतकर चलने वाली संस्कृति है ।भारत प्राचीन काल से ही अपनी इसी संस्कृति के आधार पर सबको अपने गले लगाने में सफल हो पाया है और हम आज भी इसी वैश्विक सांस्कृतिक चिंतन के माध्यम से विश्व को भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाने में विश्वास रखते हैं । श्री पांडे ने कहा कि राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के इस प्रथम अधिवेशन में दिल्ली का नाम फिर से इंद्रप्रस्थ करने और दिल्ली के पुराने किले के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए उसके संबंध में भी राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा रखे गए प्रस्ताव को वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं संस्कृति मंत्रालय सहित प्रधानमंत्री के समक्ष भी रखेंगे ।

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