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काव्य गोष्ठी में डीसी पोद्दार की कविता ‘ बाबा का कमरा ‘ को मिली सराहना

ववाराणसी । (विशेष संवाददाता ) कविता में कवि की कल्पना ही नहीं होती अपितु उसके भाव और शब्द जब श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दें तो समझना चाहिए कि कविता बोल रही है और वह जनमानस को प्रभावित करते हुए कोई नया संदेश और संकेत भी देने में सफल हो रही है । जमशेदपुर निवासी सुप्रसिद्ध कवि श्री धर्मचंद पोद्दार की कविता जब शब्द और भाव लेकर बाहर निकलती है तो वह जनमानस को कुछ इसी प्रकार संकेत और संदेश देते हुए उनके दिलों में समा जाती है ।

विगत 13 अक्टूबर को वाराणसी की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ” काव्य संगम ” के द्वारा काव्य गोष्ठी आयोजित की गई थी । श्री पोद्दार के द्वारा उक्त काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता की गई । जिसको उन्होंने बखूबी निभाया और अपनी कुछ रचनाओं का पाठ भी किया जिनमें मुख्य रूप से ” सिंचाई ” , ” बाबा का कमरा ” एवं ” मां ! मैं भी तारा बनूंगा ” उल्लेखनीय है । श्री पोद्दार की रचना बाबा का कमरा और श्रोता झूम उठे और उन्हें के लिए विशेष तालियां बजती रही । बाद में भी लोगों ने उनकी इस कविता की बाद में विशेष सराहना की ।काव्य गोष्ठी का आयोजन डीरेका संस्थान मे किया गया जो कि डीजल रेल कारखाना का पुस्तकालय है ।

इस काव्य गोष्ठी में इलाहाबाद , फैजाबाद , गाजीपुर से भी लोग आए थे जमशेदपुर से तो थे ही । वाराणसी एवं आसपास के काफी संख्या में लोगों ने इसमें भाग लिया । इस काव्य गोष्ठी का सफल संचालन एखलाख गाजीपुरी ने किया ।जबकि

धन्यवाद ज्ञापन अरविंद भारती ने किया ।

इस काव्य गोष्ठी में भाग लेने वालों के नाम हैं एखलाख गाजीपुरी , आलोक सिंह बेताब , शलभ फैजाबादी , मनजीत जायसवाल , जयप्रकाश मिश्रा ‘ धाना पुरी ‘ , डॉ विंध्याचल पांडे ‘शगुन ‘ , सूर्य दीप कुशवाहा , जगदीश्वरी चौबे , ओमप्रकाश ‘चंचल’, शालिनी जायसवाल , भुलक्कड़ बनारसी , अरविंद भारत , श्रीमती करुणा सिंह , श्री महेंद्र अलंकार , विमल बिहारी , डॉ नसीमा निशा , आशिक बनारसी ,फुर्तीला बनारसी , अतहर बनारसी , मधु पांडे ,वासीफ़ बनारसी एवं बहर बनारसी आदि के नाम सम्मिलित है ।

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