भारत की आध्यात्मिक चेतना शक्ति का फिर जागरण करने की आवश्यकता : दिनेश कुमार सारस्वत

ग्रेटर नोएडा । ( विशेष संवाददाता ) यहां आर्य समाज delta-1 में आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए सुप्रसिद्ध हिंदुत्ववादी चिंतक दिनेश कुमार सारस्वत ने कहा कि भारत ऋषि मुनियों का देश है । इसने अपनी आध्यात्मिक चेतना शक्ति के माध्यम से विश्व का मार्गदर्शन किया और यह विश्व गुरु कहलाया । यही कारण था कि प्राचीन काल में दूर-दूर के देशों से यहां आध्यात्मिक शक्ति के जागरण के लिए लोग आया करते थे और इस देश को अपना आध्यात्मिक नेता स्वीकार कर यहां से विद्याध्ययन कर वापस अपने देश लौटते थे । जबकि आज युवाओं को बाहरी देशों से विद्या अध्ययन करने के लिए भेजा जाना शान की बात समझा जा रहा है जो कि चिंता का विषय है । उन्होंने कहा कि अब हमें अपने देश के उसी आध्यात्मिक वैश्विक गुरु के स्वरूप को फिर से स्थापित करना होगा , तभी हम विश्व का नेतृत्व करने की वास्तविक शक्ति ग्रहण कर पाएंगे ।

कार्यक्रम में राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ आनंद कुमार ने कहा कि इस समय माता पिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने वाली भारतीय संस्कृति को सबसे गंभीर खतरा उन लोगों से है जो भारत के भीतर रहकर भारत की जड़ें खोदने का कार्य कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार से उन्हें बहुत कुछ अपेक्षाएं थी , परंतु अभी उस दिशा में ठोस कार्य नहीं हो पाया है जिसमें कार्य करते हुए यह सुनिश्चित किया जा सके कि अब भारतीय संस्कृति को कोई खतरा नहीं है ।

उन्होंने कहा कि जब तक छद्म धर्मनिरपेक्षता को इस देश के मौलिक संस्कार के रूप में मान्यता प्रदान की जाती रहेगी तब तक भारतीय संस्कृति असुरक्षित ही मानी जाएगी ।

इसी प्रकार अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री एसडी विजयन ने पर्यावरण प्रदूषण को समाप्त करने की दिशा में ठोस कार्य करने पर बल दिया । उन्होंने कहा कि यज्ञ के माध्यम से भारत में पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की एक अद्भुत कला का विकास हुआ । जिसे अब भुला दिया गया है या भुलाया जा रहा है । श्री विजयन ने कहा कि यदि हम फिर अपनी याज्ञिक परंपरा को जीवित कर लें तो पर्यावरण संतुलन को ठीक रखने में मदद मिल सकती है । जिससे हमारी संस्कृति भी सुरक्षित रहेगी और यह मानवता भी सुरक्षित रहेगी ।

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