“मनुस्मृति का व्यावहारिक और वैज्ञानिक स्वरूप” विषय पर विचार गोष्ठी हुई संपन्न

- ब्रह्मचारी आर्य सागर
रबूपुरा। आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के तत्वावधान में यहां स्थित करण सिंह मेमोरियल पब्लिक स्कूल में मनुस्मृति का व्यावहारिक और वैज्ञानिक स्वरूप विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी का शुभारंभ करने से पूर्व वैदिक यज्ञ का भी आयोजन किया गया। जिसका ब्रह्मत्व आर्य समाज के सुप्रसिद्ध संन्यासी देव मुनि जी महाराज द्वारा किया गया। विचार गोष्ठी से पूर्व यज्ञ के प्रथम चरण में महाशय किशनलाल आर्य और आर्य प्रतिनिधि सभा के जिला संगठन सचिव महेंद्र सिंह आर्य द्वारा अपने भजन प्रस्तुत किए गए।
विचार गोष्ठी के प्रारंभ में अपना वक्तव्य देते हुए समाज सेवी रूपलाल कौशिक ने कहा कि मनुस्मृति को लेकर की गई यह विचार गोष्ठी एक मील का पत्थर सिद्ध होगी। क्योंकि इसके माध्यम से हम बहुत कुछ सकारात्मक विचार और चिंतन प्रस्तुत कर रहे हैं। यह ऐसा चिंतन है जो संसार से आज तक छुपाया गया है। इसके पश्चात उगता भारत के अध्यक्ष श्री देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट द्वारा धर्म पर अपना गंभीर चिंतन प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि मनु सृष्टि के आदि राजा थे। उन्होंने ऋषियों के आग्रह पर सभी मनुष्य के धर्मो का व्याख्यान उनको दिया। मनुस्मृति सृष्टि का आदि संविधान है। धर्म में वेद मनुस्मृति शिष्ट पुरुषों का आचार ,आत्मा की पवित्रता – ये चारों प्रमाण होते हैं। श्री आर्य ने धर्म की हृदयग्राही व्याख्या की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मनुस्मृति द्वारा प्रतिपादित धर्म की व्यवस्था को आज के संदर्भ में लोगों को समझने की आवश्यकता है। यदि लोग धर्म और धर्म की व्यवस्था को समझ जाएंगे तो आज की धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत कितना निर्मूल है – यह स्वयं ही स्पष्ट हो जाएगा। इसके अतिरिक्त लोगों को यह भी पता चलेगा कि धर्म की व्यवस्था के बिना संसार में कुछ भी संभव नहीं है।
श्री देवेंद्र सिंह आर्य के पश्चात आर्य जिला प्रतिनिधि सभा के यशस्वी प्रधान इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपना धारा प्रवाह बहुत ही रोचक व्याख्यान दिया। डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि मनुस्मृति सृष्टि का आदि संविधान है। मनु सृष्टि के पहले राजा थे। जिन्होंने अयोध्या जैसी नगरी को बसाकर उसे विश्व की पहली राजधानी बनाया था । उन्होंने कहा कि उनके संविधान की छाया आज भी संसार के सभी संविधानों पर दिखाई देती है। मनु महाराज संसार के पहले ऐसे संविधान निर्माता हैं जिन्होंने संविधान में राजा के लिए भी दण्ड का निर्धारण किया। आज के विश्व का कोई भी संविधान इस प्रकार की व्यवस्था नहीं करता। मनु के संविधान अर्थात मनुस्मृति की व्यवस्थाओं की झलकियां आज भी हमारे गांव के सामाजिक व्यवहार में दिख जाती है। मनु की व्यवस्था आज भी जीवित है। गांव में स्त्रियों को जो रास्ते में बुजुर्ग व्यक्ति भी सम्मान देते हैं, यह मनु का ही आदर्श है। मनु की व्यवस्था योग्यता के आधार पर शासन में भागीदारी को सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि मनु के बारे में व्याप्त भ्रांतियों को दूर कर आज के परिवेश में हमें अपने चिंतन को व्यापकता देते हुए हाथ में हाथ डालकर चलना होगा। अपने सभी प्रकार के मतभेदों को दूर कर हम राष्ट्र के लिए एक होकर कार्य करें। जिसके लिए आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर अपनी विस्तृत योजना पर कार्य कर रही है।
विशिष्ट वक्ता के रूप में एडवोकेट मुकेश आर्य जी ने कहा कि मनु ने जाति व्यवस्था नहीं बनाई। उन पर जाति बनाने का आरोप लगाना निराधार है। मनु के चिंतन को देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि वह कभी जातियों का निर्माण कर भी नहीं सकते थे। उन्होंने जो भी कुछ कहा वह वैदिक दृष्टिकोण से कहा। जिसे समझने या समझाने में लोगों ने जानबूझकर चूक की है। जिससे हमारे समाज का बहुत अधिक अहित हुआ है। मनु के चार वर्ण राष्ट्र के ही चार अंग हैं। ब्राह्मण क्षत्रिय आदि वर्ण चारों मिलकर ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करते हैं।
ब्रह्मचारी आर्य सागर द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मनु की व्यवस्था में ब्राह्मण को भोग विलास धन संपदा एकत्रित करने का अधिकार नहीं था। ब्राह्मण की निधि केवल विद्या ही होती थी। ब्राह्मण विद्या का ही प्रचार करते थे। ब्राह्मण राष्ट्र का मस्तिष्क है । यदि मस्तिष्क में विकृति आती है तो शेष शरीर शरीर भी विकृत हो जाता है। मनु का ग्रंथ मानव धर्मशास्त्र है। आदर्श राजव्यवस्था आदर्श सैन्य व्यवस्था आदर्श कूटनीति विदेश नीति जैसे सभी विषयों का समावेशन मनुस्मृति में है । मनुस्मृति बहुत व्यापक ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि इसका व्यावहारिक पक्ष हो या सैद्धांतिक पक्ष हो , उसकी हम अवहेलना नहीं कर सकते। इसे आज के राष्ट्रीय और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में यथावत लागू कर दिया जाए तो निश्चय ही संसार को एक आदर्श व्यवस्था प्राप्त हो सकती है। इसी विषय को लेकर आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुध नगर कार्य कर रही है। जिससे लोगों में जन जागरण का कार्य हो और लोगों को अपने इस अनमोल ग्रंथ के बारे में सच्चाई की जानकारी हो। वरिष्ठ अधिवक्ता और समाज सेवी किशनलाल पाराशर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें एक अभियान के अंतर्गत मनु के सकारात्मक चिंतन को जन-जन तक पहुंचाने का काम करना चाहिए।
अंत में कार्यक्रम गोष्ठी के अध्यक्ष वानप्रस्थी देव मुनि जी ने कहा कि वेद शास्त्र और मनुस्मृति हमारे घर में होनी चाहिए। तभी हम इनका लाभ उठा सकते हैं। हमें उनका अध्ययन कर उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारना चाहिए ।आज देश को आवश्यकता है कि हम लोग मनुस्मृति के वेद प्रतिपादित सिद्धांतों को देश की राजनीति समाज और घर गृहस्थी में लागू करने की योजना पर काम करें। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि विधर्मी हमें निगलने के लिए तैयार हैं।
इसके पश्चात शांति पाठ के माध्यम से गोष्ठी का समापन किया गया । गोष्ठी में उपस्थित हुए सज्जनों को डॉ राकेश कुमार आर्य की “26 मानचित्रों में भारत का इतिहास” व “उगता भारत राष्ट्र मन्दिर ” पुस्तक तथा उगता भारत अखबार समूह की ओर से प्रकाशित वार्षिक विशेष कैलेंडर भी उपहार स्वरूप भेंट किया गया। इस अवसर पर महेंद्र आर्य, उपाध्यक्ष महावीरसिंह आर्य, महाशय रंगीलाल आर्य , किशन लाल आर्य, अजय आर्य, अरिदमन आर्य, एडवोकेट वेद प्रकाश सहित दर्जनों गणमान्य जन उपस्थित रहे।

लेखक सूचना का अधिकार व सामाजिक कार्यकर्ता है।