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आर्थिकी/व्यापार

भारतीय बैंकों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ तो हुई है परंतु अभी भी सतर्कता जरूरी

आपको याद होगा कि कुछ समय पूर्व ही भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी क्षेत्र की 11 बैंकों को, इन बैंकों में खराब कर्ज के खतरनाक स्तर तक बढ़ जाने के कारण, त्वरित सुधारात्मक ढांचे के तहत रखा था। पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकारी क्षेत्र के बैंकों को कम पूंजी आधार, गैर-पेशेवर प्रबंधन, हताश कर्मचारियों […]

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भारतीय बैंकों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ तो हुई है परंतु अभी भी सतर्कता जरूरी

आपको याद होगा कि कुछ समय पूर्व ही भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी क्षेत्र की 11 बैंकों को, इन बैंकों में खराब कर्ज के खतरनाक स्तर तक बढ़ जाने के कारण, त्वरित सुधारात्मक ढांचे के तहत रखा था। पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकारी क्षेत्र के बैंकों को कम पूंजी आधार, गैर-पेशेवर प्रबंधन, हताश कर्मचारियों […]

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अमृतकाल में भारतीय आर्थिक दर्शन के सहारे आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था

श्री एंगस मेडिसन दुनिया के जाने माने ब्रिटिश अर्थशास्त्री इतिहासकार रहे हैं। आपने विश्व के कई देशों के आर्थिक इतिहास पर गहरा अनुसंधान कार्य किया है। भारत के संदर्भ में आपका कहना है कि एक ईस्वी के पूर्व से लेकर 1700 ईस्वी तक भारत पूरे विश्व में सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित […]

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गरीबों का कायाकल्प करने में कामयाब रहे मोदी

प्रह्लाद सबनानी गरीबी कम करने के लिए वित्तीय समावेशन प्रमुख कारक के रूप में कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री जनधन योजना को लागू करने के बाद से देश में गरीब वर्ग के बीच बैंकिंग सेवाओं में तेजी से प्रगति हुई है। वित्तीय समावेशन आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन का प्रमुख चालक भी बन गया है। […]

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दोनों ही समाचार भारत की आर्थिक समृद्धि के लिए शुभ संकेत हैं

बृजेन्द्र सिंह वत्स भारत की अर्थव्यवस्था के लिए दिनांक १८ मई २०२३ को दो समाचार प्राप्त हुए। एक के अनुसार भारत का रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ के पार पहुंच गया, दूसरे के अनुसार भारत में प्रचलित दो हजार के नोट को १ अक्टूबर से बंद कर दिया गया। भारत का रक्षा उत्पादन एक लाख […]

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गरीबी दूर कर भारत ने संसार में जमाया अपना सिक्का

प्रह्लाद सबनानी अतिगरीबी का आकलन 1.9 अमेरिकी डॉलर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन आय के आधार पर किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार किए गए आकलन के अनुसार अब भारत में केवल 0.9 प्रतिशत नागरिक ही इस गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। भारत में विशेष रूप से कोरोना महामारी के बीच एवं इसके […]

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परियोजनाओं में देरी होने के दुष्परिणाम और देश का आम आदमी

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा परियोजनाओं का समय पर पूरा नहीं होना केवल और केवल दो संस्थाओं यानी कि सरकार की एजेंसी व कार्य करने वाली संस्था के बीच का नहीं होता बल्कि इसका सीधा-सीधा असर आम जन पर पड़ता है। परियोजनाओं में देरी होने से लागत बढ़ती है और इस लागत की वसूली आम आदमी […]

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सामान्य जीवन का अंतिम दशक

-अनुज अग्रवाल बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि अपना काम करके जा चुकी है और किसान व फल- सब्ज़ी उत्पादक बस चुपचाप बर्बादी की दास्ताँ देख रहा है। हर दो – तीन महीने में बदलने वाले मौसम ने पिछले तीन वर्षों में इतनी करवटें ली है जिसका कोई पैटर्न ही नहीं नजर आ रहा। मौसम के बदलाव […]

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क्या महत्त्वहीन हो रहा है आंगनबाड़ी का लक्ष्य?

दौलत राम उदयपुर, राजस्थान गर्भवती महिलाओं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कुपोषण से बचाने और उन्हें स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1975 में देश भर में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई थी. छोटे बच्चों को बेसिक शिक्षा प्रदान करने और गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रखने वाली यह एक […]

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एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के प्रयास करते कुछ राज्य

भारत को यदि 5 लाख करोड़ अमेरिकी कॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है तो निश्चित ही इसका रास्ता विभिन्न राज्यों के विकास के मार्ग से होकर जाता है। यह हर्ष का विषय है कि भारत के कुछ राज्य अपनी अर्थव्यवस्था को एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की ओर ले जाने के गम्भीर प्रयास करते हुए दिखाई […]

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