पश्चिमी देशों में उपभोक्तावाद के धरातल पर टिकी पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं पर आज स्पष्टतः खतरा मंडरा रहा है। 20वीं सदी में साम्यवाद के धराशायी होने के बाद एक बार तो ऐसा लगने लगा था कि साम्यवाद का हल पूंजीवाद में खोज लिया गया है। परंतु, पूंजीवाद भी एक दिवास्वप्न ही साबित हुआ है और कुछ समय […]
Category: आर्थिकी/व्यापार
कोरोना महामारी की दो लहरों को झेलने के बाद भारत में अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे पटरी पर आती दिख रही है। भारत में, अप्रैल-मई 2021 के महीनों में महामारी की दूसरी लहर का सामना करने के बाद, जून 2021 में आर्थिक गतिविधियां तेज गति से पुनः प्रारम्भ हो गई हैं, जिसका असर अब जुलाई 2021 माह […]
किसी भी देश के आर्थिक विकास को गति देने में तीन क्षेत्रों, कृषि क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र एवं सेवा क्षेत्र का योगदान रहता है। विकास के शुरुआती दौर में कृषि क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक रहता है परंतु जैसे जैसे देश में विकास की गति तेज होने लगती है वैसे वैसे कृषि क्षेत्र का योगदान कम होता […]
***********************?** स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है l” …….. क्योंकि उस क्लास ने दृढ़तापूर्वक यह कहा था कि “समाजवाद सफल होगा और […]
“सहकारिता से विकास” का मंत्र
प्रह्लाद सबनानी विभिन्न राज्यों के सहकारी क्षेत्र में लागू किए गए कानून बहुत पुराने हैं। अब, आज के समय के अनुसार इन कानूनों में परिवर्तन करने का समय आ गया है। सहकारी क्षेत्र में पेशेवर लोगों की भी कमी है, पेशेवर लोग इस क्षेत्र में टिकते ही नहीं हैं। भारत में आर्थिक विकास को गति […]
भारत में 30 वर्ष पूर्व, वर्ष 1991 में, आर्थिक क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम लागू किए गए थे। उस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंच गई थी। देश में विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 15 दिनों के आयात लायक राशि तक का ही बच गया था। ऐसी स्थिति में देश को सोना […]
डॉ. हनुमन्त यादव वर्ष 2021 के प्रथम तीन माह में वर्ष 2020 के समान ही कोविड-19 महामारी ने सेवाओं संबंधी वैश्विक व्यापार पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इसके परिणामस्वरूप विश्व भर में आपूर्ति श्रृंखलाएं भंग हो गई। भारत से सेवाओं के निर्यात से प्राप्त राजस्व में 10 प्रतिशत कमी की संभावनाएं हैं। भारत […]
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में 23वां वित्तीय स्थिरता प्रतिवेदन जारी किया है। इस प्रतिवेदन में बताया गया है कि कोरोना महामारी के द्वितीय दौर के बाद से चूंकि कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम विश्व के लगभग सभी देशों में अब गति पकड़ता दिख रहा है एवं साथ ही विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा उठाए गए […]
भारत में आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से सहकारिता आंदोलन को सफल बनाना बहुत जरूरी है। वैसे तो हमारे देश में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1904 से हुई है एवं तब से आज तक सहकारी क्षेत्र में लाखों समितियों की स्थापना हुई है। कुछ अत्यधिक सफल रही हैं, जैसे अमूल डेयरी, परंतु […]
केंद्र सरकार ने खुदरा एवं थोक कारोबारियों को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के दायरे में शामिल कर लिया है। केंद्र में एमएसएमई विभाग के मंत्री श्री नितिन गड़करी जी ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा है कि खुदरा एवं थोक व्यापारियों को मजबूत करते हुए केंद्र सरकार एमएसएमई क्षेत्र को आर्थिक […]