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आतंकवाद

हर रावण का अंत सुनिश्चित है…

प्रणय विक्रम सिंह कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो समाज को अपने स्थापित जीवन मूल्यों के प्रति पुनः दृढ़ होने को मजबूर कर देती हैं। कुख्यात माफ़िया सरगना अतीक अहमद और उसके हर गुनाह में बराबर के शरीक अशरफ की हत्या एक ऐसी ही घटना है।निर्बल को न सताइये जाकी मोटी हाय, बुरे काम का […]

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आतंकवाद राजनीति

बहुबलियो का कवच होता है राजनीतिक चुनाव

डॉ. राधे श्याम द्विवेदी भारत वर्ष के प्रायः हर क्षेत्र में मुख्य रूप से दो वर्गों का बर्चस्व रहा है। एक को शासक और दूसरे को शासित वर्ग कहा जा सकता है। शासक बाहुबली वर्ग के बारे में लोगों की आम जन अवधारणा में कोई विशेष परिवर्तन अभी तक नही दिखता है। राजशाही तो संविधान […]

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इस्लाम का अविष्कार मानव बम

मुसलमानों ने आज तक एक भी ऐसा अविष्कार नहीं किया ,जिस से ,हरेक व्यक्ति को फायदा हो सके ,लेकिन मुसलमानों ने लोगों को बर्बाद करने और उनको मारने के अनेकों अविष्कार किये हैं ,मुसलमानों की नीति है कि हर उपाय से दूसरों को मारा जाये ,चाहे ऐसा करते समय हम खुद क्यों न मर जाएँ […]

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कानून के शासन के साथ-साथ अतीक का अतीत देखना भी जरूरी

ललित गर्ग चालीस सालों तक सियासत की दुनिया में जिस अतीक अहमद का सिक्का सबसे खरा था, उसी माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ को कैमरे के सामने तीन शूटरों ने मौत के घाट उतार दिया। अशरफ और अतीक के खामोश हो जाने के बाद अब गुड्डू मुस्लिम को लेकर कई तरह के कयास लगाए […]

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अतीक का बेटा अपने बाप को दाउद बना डालता* *पुलिसकर्मियो को बम मार कर बाप को पाकिस्तान ले जाता*

================== आचार्य श्री विष्णुगुप्त अतीक अहमद के बेटे असद की प्लानिंग जानकर आप हैरान और परेशान हो जायेंगे। उसकी प्लानिंग अगर सफल हो जाती ते फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बहुत ही बदनामी होती और नरेन्द्र मोदी को भी कंधार-काबुल प्रकरण पर अटल बिहारी वाजपेयी की तरह बदनामी झेलनी पड़ती। असद की […]

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आतंकवाद विशेष संपादकीय

सांप्रदायिक दंगे और हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य

कुछ लोग भारत में सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए यह तर्क देते हैं कि भारत में प्राचीन काल से ही सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के प्रति लोगों में सतर्कता बनी रही है । इस बात से किसी सीमा तक हम भी सहमत हैं , परंतु हमारी सहमति वहीं तक है जहां तक […]

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मोदी-शाह की पुलिस ने रामनवमी पर लगाया प्रतिबंध /जुलूस रोका* *हिन्दू बन गये निरोध/ पर्व मानने का अर्थ मुकदमा झेलना और जान गंवाना*

=================== आचार्य श्री विष्णुगुप्त निरोध शब्द का प्रयोग करना सही प्रतीत नहीं होता है। निरोध शब्द का प्रयोग करने से सभ्य लोग बचते हैं। लेकिन जब पानी सिर से उपर बहने लगता है तब निरोध जैसे शब्द का प्रयोग करना मजबूरी बन जाती है। हिन्दुओं पर निरोध शब्द का प्रयोग बहुत ही सटीक हैं। निश्चित […]

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कानपुर फाइल 25 मार्च 1931

आज कश्मीर फाइल पर शोर हो रहा है। परंतु कश्मीर फाइल की घटनाए ना पहली बार हुई थी और ना ही अंतिम हैं। यह एक अंतहीन सिलसिला है। 23 मार्च को जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गयी थी, तो लोगों के मन में गुस्सा था। कांग्रेस ने एक दिन की हड़ताल […]

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भिंडरावाला के नक्शे कदम पर बढ़ता अमृतपाल सिंह

कुमार विश्वास ने केजरीवाल व खालीस्तानियों की मिली भगत का भंडाफोड़ पहले ही कर दिया था। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही खालिस्तानियों ने तांडव शुरू कर दिया है। अमृतपाल सिंह कौन है? दुबई में टैक्सी चलाता था… अभिनेता दीप सिद्धू की मौत के बाद उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख […]

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अपराधी और राजनीति

योगेंद्र योगी अपराधी अपने जाति या संप्रदाय में रॉबिन हुड की छवि कायम करने के लिए उदार तौर-तरीके अपनाते रहे हैं। दस्यु सुंदरी रही फूलन देवी ने अपने साथ हुई ज्यादती का बदला सामूहिक हत्याकांड को अंजाम देने के बाद अपनी जाति में ऐसी ही छवि बनाई थी। राजनीतिक दल वोट बैंक साधने के लिए […]

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