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भ्रष्ट शासन व्यवस्था और लोकतंत्र की स्थापना

मनीराम शर्मा ब्रिटिश साम्राज्य के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए गवर्नर जनरल ने भारतीयों पर विभिन्न कानून थोपे थे। यह स्वस्प्ष्ट है कि भारत में राज्य पदों पर बैठे लोग तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य के प्रतिनिधि थे और उनका मकसद कानून बनाकर जनता को न्याय सुनिश्चित करना नहीं बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार करना, […]

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भारत में नागरिकों के मौलिक अधिकार

भारतीय नागरिकों को 7 मौलिक अधिकार प्रदान किये गये थे, परंतु 44वें संशोधन के द्वारा संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकारों से नही रहा है। इस प्रकार भारतीय नागरिकों को केवल 6 मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, जो इस प्रकार है-1. समानता का अधिकार-कानून की दृष्टि में प्रत्येक नागरिक समान है। धर्म, जाति, वंश, लिंग, रंग, […]

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लो, अब सरकार ही चली मन्दिर तोड़ने

विनोद बंसलकभी असामाजिक तत्वों, तो कभी आतंकवादियों के निशाने पर रहने वाले दिल्ली के असंख्य मन्दिर व गुरुद्वारे अब जनता द्वारा चुनी गई सरकार की हिट लिस्ट में भी सामिल हो गए हैं। जिन 74 धर्म स्थलों को तोडने के लिए दिल्ली सरकार उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दे चुकी है उनमें से 54 मन्दिर […]

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मुस्लिमों को खुश करने के लिए अब नीतीश चले मुलायम, लालू की राह

तनवीर जाफ़रीजनता दल युनाईटेड द्वारा भारतीय जनता पार्टी से अपना नाता तोडऩे के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(एनडीए) बिखर चुका है। जेडीयू व बीजेपी के मध्य आई दरार का प्रभाव बिहार सरकार पर भी पड़ा तथा नितीश कुमार की सरकार ने अपने पूर्व सहयोगी भाजपा से पल्ला झाड़ कर चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेकर विधानसभा […]

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न्यायपालिका की कमियों की सजा जनप्रतिनिधि को क्यों मिले?

राजीव कुमारसुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया है कि अगर किसी विधायक या सांसद को किसी भी न्यायालय से दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है, तो वे पद पर नहीं रहेंगें और चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। इसके साथ हीं इस फैसले में यह प्रावधान भी है कि जेल से कोई […]

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नरेन्द्र मोदी के बयान पर बौखलाई कांग्रेस

गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के चुनाव अभियान मुखिया नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के लिए नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए उसे धर्मनिरपेक्षता रूपी बुरके में छिपी होने की बात क्या कह दी कि कांग्रेस अपने लिए ऐसा सुनकर पूरी तरह बौखलाहट में आ गयी है। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी और […]

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मोदी ने टोपी क्यों नहीं पहनी?

चंद महीनों पहले जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राज्य में जनता से सीधे संपर्क के लिए सदभावना मुहिम छेड़ी तो उसमें अलग अलग धर्मों के प्रतिनिधियों को भी मंच पर उनसे मुलाकात के लिए लाया जाता था.इन लोगों में कभी कोई मोदी को पारंपरिक पगड़ी तो कोई साफा या शॉल पेश करता. लेकिन एक […]

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राजा ययाति और लाल कृष्ण आडवाणी

विनोद कुमार सिन्हावैदिक युग में आर्यावर्त्त में एक अति पराक्रमी राजा हुआ करते थे। नाम था ययाति। वे सूर्यपुत्र मनु के वंशज और इन्द्रासन के अधिपति रहे महान राजा नहुष के पुत्र थे। यश, पराक्रम और कुशल प्रजापालन में वे कही से भी अपने पिता नहुष से उन्नीस नहीं थे। एक बार आखेट करते समय […]

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न्याय से वंचित होने पर क्या करें ?

मनीराम शर्माभारत में उच्च स्तरीय न्यायाधीशों के लिए स्वयं न्यायपालिका ही नियुक्ति का कार्य देखती है और उस पर किसी बाहरी नियंत्रण का नितांत अभाव है।फलत: जनता को अक्सर शिकायत रहती है कि उसे न्याय नहीं मिला और उतरोतर अपीलों का लंबा सफर करने बावजूद आम नागरिक वास्तविक न्याय से वंचित ही रह जाता है। […]

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लालू जी का परिवर्तन या परिवारवाद

वीरेन्द्र सेंगरनई दिल्ली। राजनीति में बढ़ते परिवारवाद को लेकर लंबे समय से बहस रही है। खास खतरा यही है कि बेशर्मी से इस प्रक्रिया के बढ़ते जाने से राजनीतिक दलों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विकास में लगातार बाधा आ रही है। लेकिन, मुश्किल यह है कि एक-एक करके अब प्राय: सभी दलों में यह ‘बीमारी’ […]

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