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राहुल पर भारी पड़ रहे हैं मोदी?

इक़बाल हिंदुस्तानीकांग्रेस के ना चाहते हुए भी 2014 में होने जा रहे आम चुनाव में पीएम पद का मुकाबला नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी हो चुका है। इसके साथ ही सेकुलर कहे जाने वाले अनेक दलों और लोगों की चाहत के खिलाफ मोदी का ग्राफ दिन ब दिन ना केवल राहुल और उनकी कांग्रेस से […]

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धर्म अध्यात्म और मानवता के रक्षक-गुरु नानक देव जी

विनोद बंसल पंद्रहवीं शताब्दी में मुगलों के अत्याचारों के चलते पूरे भारत में फ़ैली अराजकता व लूट-खसोट के कारण जन जीवन पूरी तरह असुरक्षित था।हिन्दू धर्म कर्म काण्ड व कुप्रथाओं की जटिलताओं में उलझ गया था। भयाक्रान्त हिन्दू अपना धर्म त्याग मुस्लिम बनने को मजबूर थे और धर्म और मानवता से लोगों की आस्था पूरी […]

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देश का पी.एम. चाय बेचने वाला नही हो सकता

राकेश कुमार आर्यहमारे देश का संविधान हमारे जनप्रतिनिधियों को चुनने के लिए केवल इतनी व्यवस्था करता है कि ऐसा व्यक्ति (1) भारत का नागरिक हो (2) सजायाफ्ता मुजरिम ना हो (3) पागल या दिवालिया न हो इत्यादि।जिस देश के जनप्रतिनिधियों के भीतर जनप्रतिनिधि बनने के लिए केवल इतनी ही योग्यता रखी गयी हो, उस देश […]

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भारत में पुलिस और नागरिक सम्बन्ध-कल और आज

मनीराम शर्मापुलिस सुधार के लिए भारत में समय समय पर स्वर उठते रहे हैं और जनता के उबाल पर ठन्डे छींटे मारने के लिए विभिन्न कमेटियों/आयोगों/बोर्डों का गठन किया जाता रहा है किन्तु पुलिस के कर्कश स्वर में अभी तक कोई कमी नहीं आई है। प्राय: आरोप लगते रहते हैं कि पुलिस अपराधियों के साथ […]

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खाके वतन का मुझको हर जर्रा देवता है

जावेद उस्मानीभारत का सौहाद्र दुनिया के लिए मिसाल है लेकिन गाहे बगाहे कुछ सरफिरे अपने निहित स्वार्थ के कारण व्यर्थ के विवादो को हवा देते रहते है इनमें दिशाविहीन और विचारहीन ,सियासतदां भी शामिल हैं। धर्म ,जाति और भाषा पर ऐसे तत्वो का हस्यापद आचरण व विषवमन समरसता और मानवता के विरुद्ध अपराध से कम […]

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महापुरूषों पर सियासत बंद हो

सिद्धार्थ मिश्रछल कपट, झूठ,भ्रष्टाचार एवं अवसरवादिता आज राजनीति के सर्वप्रमुख उपकरण बन चुके हैं । सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि ये आचरण कई बार सियासत के पूरे रूप स्वरूप को विकृत कर देता है । इस फेहरिस्त में राजनीति की अगली पेशकश है महापुरूषों का इच्छानुसार प्रयोग । निसंदेह ये सर्वमान्य सत्य है […]

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सरदार पटेल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जम्मू-कश्मीर

डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्रीसरदार पटेल से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण घटनाएँ अब इतिहास का हिस्सा बन चुकी हैं । लेकिन इस पुण्य अवसर पर कुछ का स्मरण करना समीचीन होगा । जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान ने हमला किया हुआ था । महाराजा हरि सिंह ने रियासत को नई स्थापित हो रही संघीय लोकतांत्रिक सांविधानिक व्यवस्था का अंग […]

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औचित्य:टोपी फतवे का

शंकर शरण फिल्म अभिनेता रजा मुराद ने किसी के द्वारा मुस्लिम टोपी न पहनने पर तंज कसते हुए कहा कि ‘टोपी पहनने से धर्म भ्रष्ट नहीं होता’। संकेत नरेंद्र मोदी की ओर था। वस्तुत: उन्होंने एक सही बात गलत आदमी के लिए कही। यह सच है कि हिन्दू धर्म में किसी बाह्याचार नहीं, बल्कि आचरण […]

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‘पटेल नेहरू से बेहतर पी.एम. सिद्घ होते’

राकेश कुमार आर्यपिछले दिनों 31 अक्टूबर को पटेल जयंती के अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने (विश्व में अब तक की सबसे ऊंची प्रतिमा) उनकी प्रतिमा का अनावरण करते समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उपस्थिति में कह दिया कि सरदार पटेल यदि देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश का इतिहास ही कुछ […]

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सावरकर के विचार को संदर्भ सहित समझें

समग्र सावरकर ही समग्र राष्ट्र का पर्याय है अनुच्छे (1)-कई हिंदुत्व प्रेमी और साथ ही हिंदू राष्ट्रवादी चिंतकों ने वीर सावरकर जी द्वारा 1936 में हिंदू महासभा के कर्णावती अहमदाबाद में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में दिये गये अध्यक्षीय भाषण के एक अंश पर गंभी आपत्ति प्रकट की है। इस आपत्ति पर विचार करते हुए प्रस्तुत […]

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