डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत में शिक्षा के अध:पतन की आज एक नई खबर आई है। एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार देश में अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश करनेवाले छात्रों की संख्या दुगुनी हो गई है जबकि हिंदी माध्यम की पाठशालाओं में भर्ती सिर्फ एक-चाथाई बढ़ी है। याने अंग्रेजी माध्यम हिंदी माध्यम के मुकाबले चार […]
श्रेणी: शिक्षा/रोजगार
चंदन श्रीवास्तव उच्च शिक्षा-संस्थानों में कौन कितना बेहतर है, यह निर्धारित करने के लिए सरकार ने एक देसी फ्रेमवर्क बनाया है. संस्थानों को उनकी श्रेष्ठता के क्रम में ऊपर से नीचे सजाने की तरकीब आकर्षक लग सकती है और जरूरी भी. जो अभिभावक अपने होनहारों की उच्च शिक्षा पर बरसों की जमा रकम खर्च करने […]
डॉ. मधुसूदनशिक्षा के माध्यम का बदलाव, भारत की क्रान्तिकारी प्रगति का सशक्त मौलिक कारण मानता हूँ। यह ऐसा धुरा है, जिस पर सारे राष्ट्र की प्रगति का चक्रीय (Merry Go Round) हिण्डोला आधार रखता है, और कुशलता पूर्वक चतुराई से, प्रबंधन करनेपर, प्रचण्ड गति धारण कर सकता है; सपने में भी जो किसी ने, सोची […]
अशोक प्रवृद्ध बोलने वाली भाषा शब्दों से बनती है । शब्द अर्थ से युक्त हों तो भाषा बन जाती है । अत: बोलने वाली भाषा अर्थयुक्त वाक्य है । भाषा की श्रेष्ठता भावों को सुगमता से व्यक्त करने की सामथ्र्य है । भावों को व्यक्त करने की सामथ्र्य को ही भाषा की शक्ति माना जाता […]
प्रो. एनके सिंह मैं हमेशा से ऐसा करता आया हूं और शिक्षक समुदाय को भी यही सलाह देता हूं कि शिक्षण दिल से होना चाहिए, न कि दिमाग से। यह तभी संभव है, जब आप अपने जीवन के अनुभवों को दिल से महसूस करते हो और इन अनुभवों को लेकर अपने भीतर ही शोध में […]
मृत्युंजय दीक्षित भारतीय शिक्षा जगत को नई दिशा देने वाले डॉ. राधाकृष्णन का जन्म दक्षिण मद्रास में लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तिरूतनी नामक छोटे से कस्बे में 5 सितम्बर सन् 1888 ई. को सर्वपल्ली वीरास्वामी के घर पर हुआ था। उनके पिता वीरास्वामी जमींदार की कोर्ट में एक अधीनस्थ राजस्व अधिकारी थे। […]
क्या आप एडवेंचर स्पोर्ट्स की चाहत में कुछ भी छोड़ सकते हैं? क्या आप प्रकृति के करीब रहना पसंद करते हैं? अगर इन सवालों का जवाब आपकी ओर से ‘हां’ है, तो आप एडवेंचर स्पोर्ट्स की दुनिया में अपने लिए बेहतर करियर तलाश सकते हैं। घरेलू पर्यटन में वृद्धि होने की वजह से एडवेंचर स्पोर्ट्स […]
मृत्युंजय दीक्षित भारतीय शिक्षा जगत को नई दिशा देने वाले डा. राधाकृष्णन का जन्म दक्षिण मद्रास में लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित तिरूतनी नामक छोटे से कस्बे में 5 सितम्बर सन 1888 ई. को सर्वपल्ली वीरास्वामी के घर पर हुआ था। उनके पिता वीरास्वामी जमींदार की कोर्ट में एक अधीनस्थ राजस्व अधिकारी थे। […]
पंकज घिल्डियाल पेरेंट्स का दबाव कहें या पीयर प्रेशर, अक्सर छात्र एडमिशन के वक्त असमंजस की स्थिति में देखे जाते हैं। यहां तक कि जब वक्त होता है अपने किसी मनचाहे कोर्स में दाखिले का तो उस वक्त वे किसी नामी कॉलेज को तरजीह देने लगते हैं। कॉलेज की बजाए कोर्स से क्यों न करें […]
बहुत से युवा ग्रेजुएशन से पहले ही कोई भी नौकरी शुरु कर खुद को आत्मनिर्भर बना लेते हैं। ऐसी नौकरी भले ही उन्हें कुछ समय के लिए अपने पैरों पर खड़ा होने का भरोसा दिलाती हों, मगर भविष्य में सिर्फ इसी के बूते तरक्की का सपना देखना बेमानी होगा। ग्रेजुएशन के बाद करियर पर संजीव […]