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राजनीति

राजनीति ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बनाया

आलोक कुमार सेवा नहीं, खुद के लिए मेवा का जुगाड़ ही आज की राजनीति है। मेवा खाने की तड़प ही राजनीति की ओर खींच लाती है। आज राजनीति का मूल-मंत्र क्या है मेवा नहीं तो सेवा नहीं  पिछले अड़सठ सालों में हमारी किसी भी सरकार ,हमारे किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी ऐसा ठोस […]

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