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पैसा और संस्कृति

देखो भई ऐसा है, सबसे बड़ा पैसा है- यह पंक्तियां हमारी नहीं बल्कि एक विज्ञापन की है जिसे इस वक्त का सबसे बड़ा तथाकथित हंसोड़ बोलता है। इस बेचारे किराए के विदूषक की भी यही मजबूरी है क्योंकि यह एक छोटे से शहर के नितांत मध्यमवर्गीय परिवार का लडक़ा है जो अपने द्विअर्थी हाजिर जवाबी […]

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