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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-60

वायु-जल सर्वत्र हों शुभ गन्ध को धारण किये गतांक से आगे…. इसके लिए हमको सिमटती हरियाली को पुन: विस्तार देने के लिए भी कार्य करना चाहिए। ‘वृक्ष लगाओ’ अभियान के अंतर्गत ‘पर्यावरण नियंत्रक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ’ की स्थापना राष्ट्रीय स्तर पर होनी चाहिए। इस सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के माध्यम से हम यज्ञ पर वैज्ञानिक आविष्कार अनुसंधानादि करें। […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-57

वायु-जल सर्वत्र हों शुभ गन्ध को धारण किये पृथ्वी के समस्त प्राणधारियों को जीवन इस सूर्य से मिलता है। पृथ्वी सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करती है और यही ऊर्जा इसकी सतह को गर्माती है। वैज्ञानिकों का मत है कि इस ऊर्जा का लगभग एक तिहाई भाग पृथ्वी को घेरने वाली गैसों के आवरण अर्थात वायुमंडल […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-46

भावना मिट जायें मन से पाप अत्याचार की कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति छोटी-छोटी बातों को स्वाभिमान का प्रश्न बना लेता है, और उन्हीं में बह जाता है। बात-बात पर कहने लगता है कि-यह बात तो मेरे स्वाभिमान को चोट पहुंचा गयी, और कोई भी व्यक्ति मेरे स्वाभिमान को चोटिल नहीं कर […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-45

भावना मिट जायें मन से पाप अत्याचार की वैदिक संस्कृति में गृहस्थ धर्म को  सर्वोत्तम माना गया है। वेद ने एक सदगृहस्थ का चित्र खींचते हुए कहा है :- ”तुम दोनों व्यवहारों में (पति-पत्नी की ओर संकेत है) सदा सत्य बोलते हुए भरपूर धन कमाओ। हमारी प्रभु से कामना है कि यह पत्नी तुझ पति […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-44

रोग पीडि़त विश्व के संताप सब हरते रहें गतांक से आगे….. हमारे पूर्वज ऋषियों ने जीवन के पम लक्ष्य मोक्ष को पाने के लिए वेद की उपरोक्त आज्ञा का पालन करते हुए संगम तट पर शांत एकांत स्थानों का और अपनी झोंपडिय़ों का निर्माण किया था। जिनमें वह बैठकर जीवन की साधना करते थे और […]

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