विष्णु गुप्त किया की विपरीत प्रतिक्रिया होती है। हिंसा के विरोध में प्रतिहिंसा भी होती है। दुनिया में कोई सर्वशक्तिमान नहीं होता है? सर्वशक्तिमान समझने वाली शक्ति को भी चुनौती मिलती है। अराजक और अनियत्रित शक्ति, समूह और व्यवस्था की मानसिकता का दमन होता है, पतन भी होता है। यह सब हम बार-बार देखते हैं। […]
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