पुण्य प्रसून वाजपेयी अगर पत्रकार रहते हुये आशीष खेतान कारपोरेट घरानों के प्यादे बनने से नहीं कतरा रहे थे। अगर पंकज गुप्ता हर हाल में पार्टी फंड बढ़ाने के लिये हर रास्ते को अपनाने के लिये तैयार थे। अगर कुमार विश्वास कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के बीच झूलते हुये केजरीवाल को नजर आ रहे […]