राहुल गाँधी ने मुस्लिम वोट बैंक के कारण चुना वायनाड, दोनों सीटों से जीते तो रायबरेली छोड़ेंगे : आदेश रावल, कांग्रेस के वफादार पत्रकार

                     आदेश रावल (बाएँ) और राहुल गाँधी (फोटो साभार : X_Adesh/INCIndia)

लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गाँधी 2 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। वो केरल के वायनाड से दोबारा चुनावी मैदान में हैं, जहाँ से वो मौजूदा लोकसभा सांसद हैं, तो दूसरी सीट है रायबरेली। रायबरेली सीट पर अब तक सोनिया गाँधी चुनाव लड़ती रही हैं। इस बार राहुल गाँधी रायबरेली से चुनाव मैदान में हैं और अब जो जानकारी सामने आ रही है, वो ये है कि रायबरेली की जनता ने ‘अगर’ राहुल गाँधी को चुन भी लिया, तो वो रायबरेली की जनता के नहीं होंगे, क्योंकि ‘मुस्लिम वोटों’ की मजबूरी में वो वायनाड के ही सांसद बने रहना पसंद करेंगे।
वायनाड में वोटिंग के बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी को ‘टक्कर’ देने की ‘मजबूरी’ में उन्हें उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ना पड़ रहा है। हालाँकि अपनी परंपरागत सीट अमेठी से पिछला चुनाव हार चुके राहुल गाँधी दोबारा वहाँ से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सके, ऐसे में उन्होंने रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की। ऐसे में सभी लोगों का एक ही सवाल था कि ‘अगर’ राहुल गाँधी वायनाड और रायबरेली दोनों ही जगह से चुनाव जीतते हैं, तो फिर वो किस सीट से इस्तीफा देंगे। शायद इस सवाल का जवाब आ चुका है। कांग्रेस के ‘वफादारों’ में गिने जाने वाले ‘पत्रकार’ आदेश रावल ने जाने-अनजाने इसका खुलासा कर दिया है।

लल्लनटॉप से बातचीत में देश रावत ने ‘अंदर की बात‘ बताई और कहा, “राहुल गाँधी ने रायबरेली में चुनाव लड़ने के लिए शर्त रखी थी। क्योंकि खड़गे साहब ने कहा कि अगर हमने उत्तर प्रदेश की सीटें छोड़ दी तो खराब मैसेज जाएगा, क्योंकि पाँच चरणों के मतदान अभी बाकी है। इसके जवाब में राहुल गाँधी ने कहा कि अगर मैं दोनों सीट जीत जाता हूँ, तो मैं वायनाड नहीं छोड़ूँगा। चुनाव के दौरान अगर मीडिया ने मुझसे पूछा कि मैं किस सीट से बना रहूँगा, तो मैं झूठ नहीं बोल पाऊँगा, तो मैं कह दूँगा कि मैं रायबरेली छोड़ दूँगा।” इस बात पर सहमति बनने के बाद ही उन्होंने रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए हामी भरी।

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में बताया गया था कि राहुल गाँधी अमेठी में स्मृति ईरानी से हार जाएँगे, इसके बाद कांग्रेस एक सुरक्षित सीट की तलाश कर रही थी। तब कांग्रेस पार्टी की ओर से राहुल गाँधी के लिए मुस्लिम बहुल वायनाड सीट को चुना गया था। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट में एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाया गया था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कहा कि अमेठी में उस समय कांग्रेस के सबसे बड़े नेता रहे राहुल गाँधी को अमेठी में प्रेशर झेलना पड़ रहा है। ऐसे में कांग्रेस को सुरक्षित सीट ढूँढने की जरूरत है। इसका मतलब ये था कि राहुल गाँधी को वायनाड से चुनाव लड़ना चाहिए, क्योंकि इस सीट पर हिंदू अल्पसंख्यक और मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, जिससे राहुल गाँधी के लिए जीतना आसान हो जाएगा।

इस बार राहुल गाँधी उत्तर भारत से चुनाव नहीं लड़ रहे थे, वहीं, सोनिया गाँधी ने राज्यसभा जाने का फैसला कर लिया था, जबकि प्रियंका गाँधी के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बना हुआ था। ऐसे में अमेठी-रायबरेली से गाँधी परिवार से किसी का न होना पार्टी को नुकसान पहुँचा रहा था। यही वजह है कि कांग्रेस की टॉप लीडरशिप ने तय किया कि राहुल गाँधी को रायबरेली से चुनाव लड़ना ही पड़ेगा, क्योंकि वही सुरक्षित सीट है।

ऐसे में राहुल गाँधी को नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन से एक दिन पहले कांग्रेस की ओर से तैयार किया गया और तीन 3 मई को उन्होंने नामिनेशन दाखिल किया। 3 मई को नामांकन दाखिल कराया गया। इस सीट से बीजेपी ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में पहले ही उतार दिया था। हालाँकि आदेश रावल के खुलासे के बाद साफ हो गया है कि रायबरेली की जनता ने अगर ‘गलती’ से राहुल गाँधी को चुन लिया, तो उसे तुरंत ही फिर से लोकसभा चुनाव झेलना पड़ेगा, साथ ही कांग्रेस के किसी दूसरे प्रत्याशी को भी, क्योंकि राहुल गाँधी अल्पसंख्यक बहुल सीट वायनाड की जगह रायबरेली सीट से इस्तीफा दे देंगे।

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