मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के शुभ संकेत

– ललित गर्ग-

वर्ष 2024 के आम चुनाव सन्निकट हैं। भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक एवं धमाकेदार जीत के प्रति आश्वस्त है। एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी एक नयी पारी की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का यह तीसरा कार्यकाल अगले एक हजार वर्षों के लिए एक मजबूत नींव रखने का कार्यकाल होगा। इस अवधि में भारत दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ विश्वगुरु भी बन सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी के दो कार्यकाल की समीक्षा करें तो स्पष्ट हो जाता है कि उनकी सरकार द्वारा उठाये गये हर कदम एवं उनकी हर बात राष्ट्र निर्माण की दिशा में बढ़ाये गये अनूठे, परिवर्तनकारी एवं सकारात्मक कदम रहे हैं। 2014 से पहले के भारत में भ्रष्टाचार, घोटालों और तुष्टिकरण की ही बात सामने आती थी लेकिन अब विकास, अविष्कार और नवाचार की बातें हो रही हैं, जिनमें नये भारत, सशक्त भारत की जड़े गहरी हुई है। मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्ष भारतीय इतिहास में सबसे सुदृढ़ एवं युगांतरकारी रहे हैं। हम सब इतिहास के उस स्वर्णिम काल के गवाह बनने के साक्षी बने हैं। यह सब मोदी के करिश्माई एवं चमत्कारी व्यक्तित्व से ही संभव हो पाया है। करिश्मा किसी व्यक्ति विशेष का एक निश्चित गुण होता है जो अपवाद होता है और जिसके आधार पर वह स्वीकार्यता हासिल कर शासन करता है। लिंकन, चर्चिल, रूसवेल्ट और जॉन एफ केनेडी महान राजनेता थे, जो अपने करिश्माई व्यक्तित्व और प्रभामंडल के लिए जाने जाते थे और इसका उपयोग उन्होंने अपने देश को मजबूत करने के लिए किया। मोदी इसी श्रेणी के इन सबसे आगे निकलते हुए विलक्षण क्षमताओं एवं मौलिक विशेषताओं वाले विरल नेता है।
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा एवं सभी विपक्षी दल अपनी-अपनी चालें चल रहे है। भाजपा एवं इंडिया गठबंधन दोनों ही खेमों में अब हर दिन चुनावी रणनीति को लेकर नये गठबंधन हो रहे हैं तो बने हुए गठबंधन टूट रहे हैं, अनेक नेता दलों के पाले बदल रहे हैं, एक दूसरे को मात देने का दौर चल रहा है, सब अपनी-अपनी व्यूह रचना बना रहे हैं। भाजपा ने स्वयं की 370 एवं उसके गठबंधन की 400 सीटों का लक्ष्य बनाया है। इंडिया गठबंधन एवं विभिन्न राजनीतिक दल भी जीत की संभावनाओं को लेकर जुटें हैं। राजनीति पल-पल नया आकार लेती है, इसलिये राजनीति में सही वक्त पर सही ढंग से इस्तेमाल करने का हुनर होना अपेक्षित होता है, जो अच्छा चल रहा है उसे बिगाड़ना आना चाहिए और जो बिगड़ रहा है उसे सुधारना आना चाहिए। इसी को कहते है राजनीति। इसी राजनीति के महारथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा की रणनीति तीक्ष्ण एवं प्रभावी बनकर सामने आ रही है ताकि धमाकेदार चुनाव परिणाम तक पहुंचा जा सके। मोदी के करिश्माई राजनीति का ही परिणाम है कि नीतीश कुमार और जयंत चौधरी जैसे नेताओं को इंडिया गठबंधन से छीन लिया गया है। कांग्रेस के अशोक चव्हान को भाजपा में शामिल करके राज्यसभा में भेजा दिया है। कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की स्वर सुनाई दे रहे हैं। मायावती और चंद्रबाबू नायडू को विपक्ष में जाने से रोक दिया गया है। शिवसेना और राकांपा की दो फाड कर दी गयी है। श्रीराम मन्दिर उद्घाटन से हिन्दू वोटों को प्रभावित किया गया है, वही ‘भारत रत्न’ की घोषणा से आम चुनावों को प्रभावित करने का राजनीतिक कौशल सामने आया है।
मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व का ही परिणाम है कि आगामी चुनावों में भाजपा की शानदार जीत के बनते दृश्यों को देखकर समूचा विपक्ष बौखलाया हुआ या किंकर्तव्यविमूढ़ दिखाई दे रहा है। यह स्थिति बनने का मूल कारण जहां मोदी का ऐतिहासिक एवं सफल दो कार्यकाल हैं, वही आगामी चुनाव को लेकर उनकी रणनीति एवं राजनीतिक कौशल है। मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व की विशेषताओं में प्रमुख  हैं कि वे दूरदृष्टि रखते हैं, लक्ष्य तय करते हैं और उस लक्ष्य को पूरा करने में लगे रहते हैं। वे अपने एजेंडे को लेकर निर्णायक और स्पष्ट हैं। लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह अपने भीतर देखते हैं एवं जनता से सीधा संबंध स्थापित करते हैं। उन्होंने सिर्फ भौतिक-आर्थिक विकास के संदर्भ में ही विकास की बात नहीं की बल्कि विकास का लाभ समाज के निचले तबके और अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाने के लिये योजनाएं एवं नीतियां बनाई ताकि उनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आए और अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर बने। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्र के सांस्कृतिक पुनरुद्धार को बल दिया, जो सकारात्मक सभ्यता के साझा मूल्यों और इन मूल्यों में गर्व की भावना पर आधारित हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने राजनीतिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में देश के लिए एक उचित स्थान बनाया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास एक सुस्पष्ट दृष्टि है कि आजादी के 75वें या 100वें साल में राष्ट्र किस मुकाम पर होगा। उन्होंने भारत के लिए एक विजन और दीर्घकालिक लक्ष्य तय किया है। इसे हासिल करने के लिए उन्होंने व्यापक लक्ष्य को विभिन्न माध्यमों से दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्यों में विभाजित किया है और इसमें सरकार के हर वर्ग, पहलू और क्षेत्र को समावेश किया है। लक्ष्य चाहे दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का हो या फिर व्यवसाय की सुगमता का या फिर वैश्विक निर्यात का प्रतिशत या वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सा बढ़ाने का हो, इनके बारे में एक स्पष्ट रुख अख्तियार किया गया है और इन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में प्रयास भी चल रहे हैं। आर्थिक और वित्तीय मानदंडों पर भारतीय अर्थव्यवस्था आज सर्वश्रेष्ठ स्थिति में है। इसकी विकास की दर आठ प्रतिशत के इर्दगिर्द घूम रही है। प्रधानमंत्री अपने प्रत्येक संबोधन में देश की हर छोटी बड़ी सफलता का श्रेय 140 करोड़ भारतीयों को देते हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज देश और समाज के जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां विकास की गति को बल न मिल रहा हो। कोरोना काल खंड हो या कश्मीर में 370 को हटाना या फिर यूक्रेन संकट या फिर अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पर हर जगह भारत की विदेश नीति की कुशल छाप दुनिया में देखी जा रही है।
प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की तीन विशेषताएं है। एक, ये ईमानदार हैं। दूसरे, योग्य है, और तीसरे, मेहनती है। निश्चित रूप से उनकी वित्तीय ईमानदारी में आज तक किसी को शक नहीं रहा। उनके कट्टर से कट्टर विरोधी भी उनके व्यक्तिगत रूप से बेईमान होने का संदेह व्यक्त नहीं करते। जहां तक उनकी योग्यता एवं दूरदर्शिता का सवाल है, शायद वे अब तक जितने भी प्रधानमंत्री भारत में हुए हैं उनमें इस दृष्टि से सबसे ज्यादा दूरदर्शी हैं। उनके मेहनती होने के बारे में बताया जाता है कि वे 73 साल की उम्र होने के बावजूद, सोलह सोलह घंटे काम करते हैं। कह सकते हैं कि किसी देश को इससे बेहतर प्रधानमंत्री और क्या मिल सकता है, जिसमें ये तीन-तीन दुर्लभ गुण हो? कह सकते हैं कि मुश्किल से ही किसी मुल्क को मिलता है ऐसा प्रधानमंत्री। लेकिन ऐसे योग्य, कर्मठ, विजनरी, ईमानदार प्रधानमंत्री ने आज देश की दशा और दिशा बदल कर रख दी है।
आर्थिक उदारीकरण से पहले श्रमिकों कामगारों को जो अधिकार और सुविधाएं प्राप्त थीं, उसमें काफी सुधार आया है। खेती-किसानी के लिए कमजोर रूप से किसान को 6000 रुपये की वित्तीय सब्सिडी मोदी सराकार द्वारा दी जा रही है। विदेशी पूंजी का निवेश हो रहा है। सेंसेक्स अभी तक का सबसे उच्चतम स्तर पर जा चुका है। रक्षा से लेकर अंतरिक्ष तक व खेलों की दुनिया में भी भारत का अद्भुत विकास हुआ है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज योग पूरी दुनिया में छा गया है और यह उन्हीं के प्रयासों का परिणाम रहा कि आज पूरा विश्व हर वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है। योग दिवस की ही तरह विश्व अहिंसा दिवस को भी दुनिया ने स्वीकार कर शांतिपूर्ण एवं अहिंसक जीवनशैली को बल दिया है। आयात से अधिक निर्यात हो रहा है। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था को प्रधानमंत्री मोदी अच्छे से संचालन कर पा रहे हैं। उसकी विशेषता रही है कि वैश्विक आर्थिक मंदी का उस तरह इस देश को सामना नहीं करना पड़ा जिस तरह से आज पश्चिमी देश मंदी का सामना कर रहे हैं। एक बड़ा गुण निश्चित रूप से प्रधानमंत्री में होना चाहिए, वह है जनता से जुड़ाव। मौजूदा प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में सर्वाधिक जनता से संवाद कायम किया है और अब तक के सारे मिथ तोड़ दिये हैं।

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