पलटीमार नीतीश कुमार की विश्वसनीयता और भारतीय राजनीति

इंडिया फर्स्ट से साभार

पलटीमार नीतीश कुमार आदमी ठीक नहीं है , कुछ बातें नीतीश से साफ़ होनी चाहियें

सुभाष चन्द्र
भाजपा के साथ नीतीश के फिर से गठबंधन की बातें अपनी जगह भाजपा की नज़र से सही हो सकती हैं लेकिन मैं निजी तौर पर नीतीश कुमार को पसंद नहीं करता। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपके रहने के लिए यह आदमी किसी से भी हाथ मिला सकता हैं। ऐसे नेताओं को चुनाव में पटकनी मिलनी चाहिए। ऐसे नेता को नेता कहना ही नेता के नाम पर गाली से कम नहीं। बेपेंदी का लौटा। आज सवाल यह पैदा होता है कि क्यों 45 विधायकों के साथ नीतीश मुख्यमंत्री बना रहेगा और 78 विधायकों की बड़ी पार्टी का नेता उपमुख्यमंत्री बनेगा। अब तो वह चुनाव के समय की स्थिति भी नहीं है, जब नीतीश को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ा गया था।

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महाराष्ट्र में भी भाजपा बड़ी पार्टी होने के बावजूद अपने नेता फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बना सकी और अब बिहार में यही होगा। नीतीश कुमार अपने राजनीतिक चाल चरित्र से खरा व्यक्ति नहीं है और उसे “धोखेबाज़” नेताओं की श्रेणी में रखना गलत नहीं होगा। अपनी गोटियां बिठाने के लिए यह व्यक्ति जब मर्जी पाले बदल लेता है जैसे कोई दीन ईमान है ही नहीं। एक दिन ऐसा व्यक्ति ठोकर जरूर खाता है क्योंकि एक समय ऐसा जरूर आता है जब सारी चालबाजी धरी रह जाती है।
नीतीश कुमार जैसे मक्कार नेता के साथ कुछ बातें साफ़ हो जानी चाहियें। सबसे पहली बात उसे स्पष्ट कर देनी चाहिए कि उसे अपना “secularism” का चोला खूंटी पर टांग कर आना होगा।

  • भाजपा सरकार द्वारा संसद में लाए गए हर प्रस्ताव / बिल का समर्थन करना होगा। जिसमें जदयू की अपनी नीति नहीं चलेगी;

-नीतीश को अपनी सरकार की जातिगत जनगणना की रिपोर्ट वापस लेनी होगी। लोकसभा चुनाव में गठबंधन से जदयू को 10 सीट मिलेगी;

-ग्रह मंत्रायल भाजपा नामित उपमुख्यमंत्री के पास रहेगा और जो भी पाकिस्तानी आतंकी अड्डे बनाए गए हैं बिहार में उन्हें लोकसभा चुनाव तक ख़तम करने में नीतीश कोई अड़चन नहीं डालेगा;

-केंद्र में कोई मंत्री पद उसके किसी सांसद को नहीं मिलेगा;

-लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री के लिए नरेंद्र मोदी के नाम के लिए बिना शर्त समर्थन की घोषणा करनी होगी;

-श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समर्थन न करने के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी होगी।

ये सभी बातें नीतीश से साफ़ कर लेनी चाहियें और अगर वह नहीं मानता तो भाड़ में जाए खुद नीतीश कुमार और चूल्हे में जाए उसका जदयू। मुझे उम्मीद है भाजपा के अधिकांश नेता नीतीश कुमार जैसे मक्कारी करने वाले को वापस लेने के मूड में नहीं होंगे लेकिन पार्टी नेतृत्व के निर्देश तो मानने ही होते हैं।

आज जदयू के प्रवक्ता के सी त्यागी कह रहे हैं कि इंडी गठबंधन का टूटना तय है जिसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार होगी। यह कोई नई बात नहीं बता रहे हैं त्यागी जी क्योंकि इस “ठगबंधन” का टूटना तो उसके जन्म के दिन ही तय हो गया था और अब तो वैसे भी राहुल “कालनेमि” निकले हुए है “इंडी तोड़ो यात्रा” पर। ऐसे में बस लट्ठ इस बात के लिए बजने हैं कि टूट के जिम्मेदार कौन है क्योंकि तोड़ेगा गठबंधन हर दल और बिल फाड़ेगा कांग्रेस के सिर पर।

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