श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान का अर्धशताब्दी समारोह हुआ संपन्न : राष्ट्र, धर्म, नीति और व्यवस्था एक दूसरे के पूरक : डॉ. राकेश कुमार आर्य

जमशेदपुर ( विशेष संवाददाता ) यहां स्थित श्री कृष्ण सिन्हा संस्थान का अर्धशताब्दी समारोह उत्साहजनक परिवेश में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए ‘भारत को समझो’ अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता और सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि यह संस्थान राष्ट्र, धर्म, नीति और व्यवस्था के अनुकूल और मर्यादित व्यवस्था का प्रतीक है, जो कि राष्ट्र निर्माण करने की परिपक्व विचारधारा को स्पष्टत: लेकर चलता है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के संस्थापक हरि बल्लभ आरसी जी एक तपे हुए संत हैं। जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के प्रति संकल्पित नई संतति का निर्माण करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका राष्ट्रवादी चिंतन, सोच और विचारधारा अभिनंदन के योग्य है।


डॉ आर्य ने कहा कि हमें ऐसी शिक्षा नीति चाहिए जो ‘सा विद्या या विमुक्तये’ के वैदिक सिद्धांत के अनुकूल हो अर्थात जो मुक्ति को प्रदान करने वाली हो। प्रत्येक प्रकार के बंधन को काटने वाली हो और समाज में लोगों को एक दूसरे के प्रति सहयोगी और सद्भावपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करती हो। यह अच्छी बात है कि इस संस्थान के माध्यम से इसी प्रकार की विचारधारा को घोषित किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को एक दूसरे के साथ समन्वित दृष्टिकोण अपनाते हुए जीवन जीने के लिए प्रेरित करने वाली शिक्षा ही वास्तव में राष्ट्र निर्माण करने में सहायक होती है। डॉ आर्य ने कहा कि राष्ट्र ,धर्म ,व्यवस्था, नीति और संस्थान ये सब एक दूसरे के पूरक हैं । इन सबका समन्वय कर और उनके अनुसार समाज और राष्ट्र की व्यवस्था का निरूपण करना शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य है। महर्षि कणाद को उद्धृत करते हुए उन्होंने धर्म की परिभाषा देते हुए यह स्पष्ट किया कि धर्म वही होता है जो अभ्युदय की प्राप्ति और नि:श्रेयस की सिद्धि कराने में सहायक होता है। उन्होंने इन दोनों शब्दों की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस निश्चित व्यवस्था से अर्थात नीति या धर्म की व्यवस्था से इस लोक और परलोक दोनों का कल्याण होता हो, वास्तव में वही धर्म होता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि आज के समाज ने धर्म को न समझकर इस शब्द के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है। जिस धर्म के आधार पर संपूर्ण मानवता का इतिहास टिका है, वर्तमान टिका है और भविष्य टिका है, उसी को हम तोड़ने, फोड़ने, लताड़ने और दुत्कारने का काम करते हैं। इससे बड़ा दुर्भाग्य और कोई नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व ही भारतवर्ष देश की प्राण शक्ति है। यही सनातन है और इसी सनातन को हम सब एक सोच, एक समझ और एक विचार के साथ स्वीकार कर आगे बढ़ने का संकल्प लें। हमें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि हमारा देश कभी संपूर्ण भूमंडल पर शासन किया करता था और उस समय संपूर्ण मंडल का गुरु भी भारत ही हुआ करता था। आज हमें अपने देश को विश्व गुरु के इस सम्मानित पद पर बैठाना है तो इसके लिए हम सब संकल्पित होकर आगे बढ़ने के लिए हाथ में हाथ डालकर चलने का व्रत करें । तभी हम अपने देश की, अपने हिंदुत्व की और आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व की रक्षा कर पाने में सफल होंगे।
डॉ आर्य ने कहा कि जातिवादी राजनीति को बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिन्हा एक जहर मानते थे। यह बहुत ही दुर्भाग्य का विषय है कि आज के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जाति के आधार पर जनगणना करवा रहे हैं। निश्चय ही यह श्री कृष्ण सिन्हा जी के आदर्शों के विपरीत है। उनके व्यक्तित्व को नमन करते हुए श्री आर्य ने कहा कि डॉक्टर श्री कृष्ण सिन्हा एक ऐसे व्यक्ति थे जिनका राष्ट्र निर्माण में विशेष योगदान रहा। उनके आदर्शों को अपनाकर चलने की आज आवश्यकता है।
श्री कृष्ण सिन्हा संस्थान के सचिव और संस्थापक श्री हरि बल्लभ आरसी जी के व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए डॉ आर्य ने कहा कि उन्होंने अपनी तप, त्याग और साधना के बल पर इस संस्थान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। हमें आशा करनी चाहिए कि अगले 50 वर्ष में यह अपने और कीर्तिमान स्थापित करेगा। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि संस्थान गरीब बच्चों को शिक्षित करने में अपना आर्थिक सहयोग देता है और जो गरीब व्यक्ति शासन प्रशासन से न्याय नहीं पा सकते हैं उन्हें न्याय दिलाने में भी श्री आरसी जी अपनी सक्रिय भूमिका निर्वाह करते हैं। इससे पता चलता है कि पूरा संस्थान शिक्षा, सेवा और संस्कार के प्रति समर्पित होकर कार्य कर रहा है।

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