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प्राधिकरण को अब देने पड़ेंगे दस फीसदी भूखंड

21 अक्टूबर 2011 के आदेश के विरूद्घ नोएडा प्राधिकरण की अर्जी को उच्च न्यायालय इलाहाबाद की पूर्णपीठ ने 14 मई को निरस्त कर दिया। नोएडा प्राधिकरण का कहना था कि वह 64.70 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा और किसानों को दस फीसदी, भूखंड देने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि प्राधिकरण के पास इतना बजट नहीं है। उच्च न्यायालय ने प्राधिकरण के अधिवक्ता के तकों को नहंी माना और अपने पूर्व पारित आदेश दिनांक 21 अक्टूबर 2011 में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहंी मानी। इससे किसानों को राहत मिली है और उन्हें 64.70 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा तथा दस फीसदी भूखंड मिलने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि प्राधिकरण के उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा की है। प्राधिकरण के चेयरमैन व मुख्य कार्यपालक अधिकारी रमारमण ने कहा है कि शहर का मास्टर प्लान 2021 एनसीआर प्लांनिग बोर्ड से मंजूर नहीं होने के कारण निर्माण कार्य ठप्प पड़ा है। इसलिए प्राधिकरण की प्राथमिकता मास्टर प्लान को मंजूर कराना है। हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका के खारिज होने पर सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।
उच्च न्यायालय के इस निर्णय के आ जाने से अब किसानों को दस प्रतिशत भूखंड दिया जाना नोएडा प्राधिकरण के लिए अनिवार्य हो गया है। यद्यपि प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि साकीपुर, जैतपुर, वैसपुर, बिरौंडी, बिसैंडा, तुस्याना, चूहडपुर, खादर, नामोली, मलकपुर, खेड़ा चौगानपुर, सुथियाना, रसूलपुर राय, मुरशदपुर, घरबरा जैसे लगभग डेढ दर्जन गांव ऐसे हैं, जिनमें विभिन्न संस्थानों के लिए भूमि का आवंटन हो चुका है। साथ ही किसानों को छह प्रतिशत के आवासीय भूखंड भी आवंटित किये जा चुके हैं। अब प्रत्येक गांव में तीन या चार हेक्टेअर भूमि दस फीसदी भूमि के आधार पर भूखंड आवंटित करने के लिए अतिरिक्त भूमि चाहिए। जो कि अब प्राधिकरण के पास है नहीं। इसलिए अतिरिक्त भूमि का मुआवजा देना ही प्राधिकरण के पास एकमात्र विकल्प है लेकिन इस पर किसानों का सहमत होना भी आवश्यक है। अधिकांश किसान मुआवजे के स्थान पर भूखंड लेना पसंद करेंगे, क्योंकि आने वाले समय में किसानों के लिए नोएडा प्राधिकरण की किसी भी आवासीय योजना में प्लाट लेना कठिन हो जाएगा। नोएडा प्राधिकरण का सारा एरिया ही रहीसों के लिए रह जाएगा और किसान उस स्थिति में टिक नहंी पाएगा। इसलिए किसानों की ओर से अभी से ही यह आवाज उठने लगी है कि उन्हें मुआवजा नहंी भूखंड दो।

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