मोदी और डॉ. स्वामी के व्यक्तित्व के मजबूत पहलू

हिंदू युवाओ में नरेन्द्र मोदी और सुब्रहमण्यम स्वामी की साख बढऩे के साथ ही क्या अडवानी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली सहित कई बीजेपी शीर्ष नेता अप्रासंगिक हो गए हैं? क्या इसका कारण इनका गाँधी परिवार से अंदरूनी सम्बन्ध तो नहीं। कुछ तो बात जरुर है क्योंकि भारत के युवाओं खासकर हिंदू युवाओं में मोदी की साख एक हिंदू नेता के रूप में स्थापित हो चुकी है साथ ही भारत के एक आदमी की सेना डॉ. सुब्रहमण्यम स्वामी भी खुले रूप में हिंदू समर्थक और कांग्रेस/ भ्रष्टाचार विरोधी नेता के रूप में जाने जाने लगे हैं, आखिर बीजेपी के शीर्ष नेताओं से हिंदू युवाओं का जुड़ाव कम क्यों होता जा रहा है? जिसे देखो वही मोदी मेरा अगला पीएम चिल्ला रहा है। इस बात में तो सच्चाई अवश्य है कि बीजेपी के कुछ शीर्ष नेताओं की साख एक नेता के रूप में खत्म हो चुकी है और विरोधी दल के नेता की छवि तो बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी है। कांग्रेस जिस तरह से देश को बरबाद कर रही है और डॉ. स्वामी जिस तरह से रोज नए नए खुलासे करके कांग्रेस को फंसा रहे हैं, इससे लगता है कि भारत में विपक्ष सिर्फ डॉ.स्वामी हैं न की बीजेपी। बीजेपी के पास कांग्रेस को घेरने के लिए तगड़े मुद्दों का अभाव एकदम नहीं है और अन्ना-बाबा के अभियान ने युवाओं के हाथ में डंडा भी पकड़ा दिया है, फिर भी बीजेपी शीर्ष नेतृत्व नकारा बना हुआ है, इसके पीछे राज ये है कि भारत के बहुत सारे नेता वीडियो और पैसों (कालाधन-व्यवसाय-लेन देन-जमीन जायदाद-खनन ) की वजह से ब्लैकमेल हो रहे हैं। जिसमें यदि बीजेपी के कुछ नामी लोग शामिल हों तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। क्योंकि सद्चरित्र होना कोई बीजेपी की बपौती नहीं है, इसका सीधा फायदा कांग्रेस मीडिया को सामने लाकर कर रही है। भारत की जनता दागी लोगों को नेता बनाकर कुछ भी हासिल नहीं करा पायेगी और उसके सीमित विकल्प बचे हंै जो हजारों मौजूदा विकल्पों पर भारी पड़ेंगे। इन सीमित विकल्पों में शामिल हैं नरेन्द्र मोदी और डॉ.सुब्रहमण्यम स्वामी।
भारत की कुछ शीर्ष हवाई परिवहन कंपनियों के मालिक जिस शातिराना तरीके से लोगों को विदेश में सैर बिना पैसे के करवाते हैं, उस परिस्थिति में लोगों का औरतों के साथ वीडियो बनाकर फिर उन्हें धीरे धीरे ब्लैकमेल करना बहुत हैरानी की बात नहीं है। आज के ज़माने में जब एक मटर के दाने के बराबर कैमरा कहीं भी फिट किया जा सकता है। किसी ने एक बार फेसबुक पर डाला था कि भारत में अधिकांश नेताओं के वीडियो बनाकर तैयार हैं और यह ब्रह्मास्त्र 2014 में फेसबुक का मुख्य पोस्ट हुआ करेगा तो मुझे एन. डी. तिवारी जैसे लोगों की याद आयी कि कैसे बिना चाहे भी आपके पास औरतें आकर आपका वीडियो बनवा जायेंगी। बात वीडियो का या औरत से सम्बन्ध का नहीं है, बात है आदर्श और नेता बनने की। आप आदर्श हैं इसलिए नेता हैं, अम्बानी के पास 3,00,000 करोड की संपत्ति है लेकिन कोई हिंदू उनकी पूजा नहीं करता है, परन्तु एक निर्धन सन्यासी का पैर छूआ जाता है। कारण कि उसके पास सद्चरित्र जैसी अमूल्य संपत्ति है और नेताओं को हम इसी कसौटी पर परखते हैं। फेसबुक पर गुजरात चुनावों के ठीक पहले और 2014 के चुनावों के पहले गद्दार नेताओं के अश्लील वीडियो पोस्ट करने की होड़ मचने वाली है जैसा कि किसी फेसबुकिये ने धमकी दी कि अगर अभिषेक मनु सिंघवी की वीडियो दुबारा यु-ट्यूब से हटाया तो वह चिदंबरम की रूसी महिला के साथ का वीडियो डाल देगा, यह शायद सच हो…
नेता का वीडियो सार्वजनिक होने पर सबसे पहले वह घर-परिवार से जाता है, फिर समाज से जाता है, फिर पार्टी से जाता है और अंत में निर्दलीय लडऩे की आकांक्षा पालने की रही सही कसर तब खत्म हो जाती है जब वह अपने क्षेत्र में भी दौड़ा लिया जाता है। यही वह डर है जो नेता को वीडियो की सीडी की आवाज में हिजड़ा बना देता है, सिर्फ अश्लील वीडियो देखने पर यदि मीडिया आपको बरबाद कर सकती है, तो सोचिये- किसी नेता के अलग अलग औरतों के साथ का 2-3 वीडियो उसे किस गर्त में डाल देगा- इससे अच्छा है कि देश को भी बेचकर यदि इज्जत छुपी रहे, वही बहुत है।
आज भारत की यही स्थिति बन गयी है
मोदी और डॉ.स्वामी के यही मजबूत पहलू हैं कि वे हिंदुत्व वादी होने के साथ साथ चरित्र से भी मजबूत हैं। नहीं तो लोगों ने क्या नहीं किया? मोदी जी तो ब्रह्मचारी भी हंै, क्या कांग्रेस को इनकी यह कमजोरी नजर नहीं आयी होगी? और क्या ये चुपचाप बैठे रहे होंगे…. कतई नहीं…।
यही कारण है कि कांग्रेस मिडिया को साथ लेकर बार बार मोदी और स्वामी को घेरने की कोशिश करती है और ये दोनों दिन ब दिन मजबूत होते जा रहे हैं या कहिये कि हिंदू दिलों के राजा बन बैठे हैं और जहां ये होंगे वहां भला कौन टिकेगा,अडवानी, सुषमा, जेतली कोई भी नहीं।

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