Categories
राजनीति

लोकतंत्र के राज में

 

बातें करते किसी और की, और किसी से नाता है।
नेताओं को हाथ जोडऩा, भाषण करना आता है।

तोड़-फोड में सिद्घहस्त है, कानूनों को तोड़ रहे हैं।
दलबदलू हैं अपने नेता, जब चाहें दल छोड़ रहे हैं।
कुरसी इनकी मात-पिता है, कुरसी के गुण गाते हैं।
मतलब पड़े तो अपने नेता, गधे को बाप बनाते हैं।

दंगा करवाने में माहिर, जब चाहें दंगा करवा दें।
बने रहें खबरों में नेता, अपना घर भी आप जला दें।
मारपीट पर रहे अमादा, ऐसे भी बलवान हैं नेता।
मतगणना मतदान भी फर्जी, करवा दें धनवान हैं नेता।

मतदाता नेता निर्माता, नेता देश चलाते हैं।
लोकतंत्र के राज में भैया, गधे पंजीरी खाते हैं।

 

 

Comment:Cancel reply

Exit mobile version