Categories
प्रमुख समाचार/संपादकीय

अंतरिक्ष विज्ञान:विविध तथ्य

15 अक्टूबर 1994 को प्रमोचित 283 टन भारी 44 मीटर लंबे ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक राकेट पीएसएलवी डी-2 ने 804 किलोग्राम भारत के भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह आईआरएस पी-2 को वांछित धु्रवीय सूर्यतुल्यकाली कक्षा में स्थापित करके अपना मिशन सफलता पूर्वक पूरा किया। इस प्रकार, भारत विश्व में ऐसे छह राष्ट्रों के एकमात्र गु्रप में शामिल हो गया, जिन्होंने बहु-विषयक, प्रौद्योगिकीय रूप से जटिल उपलब्धि को हासिल किया, पीएसएलवी डी-3 रॉकेट की अगली विकासात्मक उड़ान 1995 के लिए निर्धारित है।
संवर्धित उपग्रह प्रमोचक रॉकेट की चतुर्थ विकासात्मक उड़ान 113 किलोग्राम भारके स्रोस सी-2 वैज्ञानिक उपग्रह को निम्न भू-कक्षा में स्थापित करके अपना मिशन सफलता पूर्वक पूरा किया।
जीएसएलवी के द्रव प्रणोदक इंजन के लिए सिलिकॉन फिनालिक थ्रोट का सफल विकास और अर्हता, वर्ष 1994 की एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि है जीएसएलवी का एल-40 द्रव नोदन चरण अब 1995 से अपनी अर्हता के लिए तैयार हो गया है।
सन 1990 में प्रमोचित इनसेट-1 श्रंखला के उपग्रहों में अंतिम इनसेट 1 डी उपग्रह के साथ दो स्वदेश में निर्मित बहुउद्देश्यीय उपग्रह जुलाई 1992 में प्रमोचित इनसेट 2ए और जुलाई 1993 में प्रमोचित इनसेट-2 बी दूरसंचार, दूरदर्शन, मौसम विज्ञान, आपदा चेतावनी और संकट के संसूचन के लिए महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करते हुए कक्षा में भली प्रकार कार्य कर रहे हैं।
इनसेट-2सी का प्रमोचन 1995 के लिए निर्धारित है तथा इसके एक वर्ष बाद इनसेट-2 डी छोड़ा जाएगा।
दो भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह मार्य 1988 में छोड़े गये आईआरएस-1ए और अगस्त 1991 में छोडे गये आईआरएस-1 बी देश के प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित बहुमूल्य अंतरिक्ष आधारित सुदूर संवेदित आंकड़े प्रदान कर रहे हैं और इस प्रकार ये राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंध प्रणाली का मुख्य आधार बन गये हैं भरत ने अपने प्रमोचक रॉकेट पीएसएलबी डी-2 द्वारा प्रमोचित आईआर एस पी-2 उपग्रह को आईएरएस प्रणाली में शामिल कर लिया है। जिससे आंकड़ों की क्षमता बढ़ गयी है।
एएसएलबी डी-4 द्वारा मई 1994 में छोड़ा गया सी-2 उपग्रह जिसमें दो वैज्ञानिक नीत भार गामा, किरण प्रस्फोट परीक्षण और मंदक विभव विश्लेषक है वैज्ञानिक समुदाय को बहुमूल्य आंकड़े उपलब्ध करा रहा है।
डॉ. विक्रम साराभाई का 75वां जन्म दिवस अगस्त 1994 में मनाया गया।
भारत सरकार द्वारा 1972 में अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग की स्थापना के साथ भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की औपचारिक रूप से शुरूआत की गयी।
अंतरिक्ष क्रियाकलाप भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी एनआरएसए भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला पीआरएल और अन्य एजेंसियों के माध्यम से किये जाते हैं।
अंतरिक्ष विभाग ने निम्नलिखित प्रमुख केन्द्रों, यूनिटों की स्थापना की है—-
1. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र बीएसएससी तिरूवंतपुरम।
2. इसरो उपग्रह केन्द्र आइजेक बंगलौर
3. अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र सैक अहमदाबाद।
4.शारकेन्द्र श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश
5. बंगलौर तिरूवंतपुरम और महेन्द्रगिरि में अपनी सुविधाओं सहित द्रव नोदन प्रणाली।
6. विकास तथा शैक्षिक संचार यूनिट डेकू अहमदाबाद।
7. बंगलौर, लखनऊ, श्रीहरिकोटा, कार निकोबार और मारीशस में अपने केन्द्रों सहित इसरो दूरमिति अनुवर्तन तथा आदेश नेटवर्क इस्टै्रक।
8. इसरो जड़त्वीय प्रणाली यूनिट आईआईएसयू तिरूवंतपुरम।
9. इनसेट प्रधान नियंत्रण सुविधा एमसीएफ हसन कर्नाटक।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version