जब सब के मौलिक अधिकार समान है तो मौलिक कर्तव्य समान क्यों नहीं बस स्टैंड मार्ग

एक बात सुन लीजिए और मान भी लीजिए !
भारत की मीडियम क्लास और लोअर मीडियम क्लास के हितों को अब कोई भी नकार नहीं सकता !
सरकार कोई भी रहे , मध्यम वर्ग से आई युवा पीढ़ी के हितों और सपनों को कोई नजरंदाज नहीं किया जा सकता !
दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति भारत में है , युवाओं की बात जो नहीं करेगा , डूब जाएगा !

गरीबी हटाओ की बात हमारे देश में सत्तर के दशक में शुरू हुई थी , वास्तव में गरीबी हटाने का काम अब कुछ वर्ष पहले शुरू हुआ है । गरीबी कैसे हटेगी , युवा शक्ति तो बहुत है परंतु उसके पास स्किल नहीं है , तकनीकी नहीं है , कुशलता नहीं है । जब तक हमारे युवा ट्रेंड नहीं होंगे , किसी काम में माहिर नहीं होंगे तब तक रोजगार कैसे मिलेगा ?

नहीं मिलेगा तो गरीबी कैसे हटेगी । कुछ वर्षों से स्टार्ट अप तो आ रहे हैं परंतु कईं क्षेत्रों में कोई नई शुरुआत नहीं हुई है । क्या कृषि क्षेत्र और पर्यावरण के क्षेत्र में नए स्टार्ट अप पैदा नहीं हो सकते ? करने पड़ेंगे , तभी हमारे युवा बारोजगार होंगे और तभी सही अर्थों में गरीबी मिटेगी ।

भारत बहुत बड़ा देश है । हमारी आबादी बढ़ते बढ़ते चीन के पास पहुंच गई है । चीन ने एक बच्चा पॉलिसी लाकर चमत्कारिक रूप से आबादी पर नियंत्रण पा लिया । हम ” दो या तीन बच्चे होते हैं घर में अच्छे ” और ” हम दो हमारे दो ” के गाने गा गाकर भी 140 करोड़ पर पहुंच गए ! जनसंख्या नियंत्रण कानून लाओ तो धार्मिक बवाल खड़ा हो जाता है ?

समान नागरिक संहिता लाओ तो लोग छाती पीटने लगते हैं । भारत में हर हाथ को रोजगार देना है तो आबादी घटाइए । इस विषय पर न तो धर्मबाजी चलेगी और न ही राजनीति । भारत में रोजगार के साधन बराबर बढ़ रहे हैं । बढ़ती आबादी की स्पीड जब तक कम नहीं होगी , हर हाथ को काम कदापि नहीं मिल पाएगा ।

भारत की तुलना हम अमेरिका , ब्रिटेन या यूरोप के छोटी आबादी वाले देशों से नहीं कर सकते । तुलना तो सिर्फ चीन से कर सकते हैं । चीन से हम केवल दो करोड़ पीछे हैं , कुछ ही दिनों में बराबर होंगे और फिर आगे । गांठ बांध लीजिए कि आबादी घटानी है । यह जिम्मा मीडियम क्लास पर कम और लोअर मीडियम क्लास पर ज्यादा है ।

सच कहें तो हम सब भारतवासियों पर ज्यादा है । आबादी घटाइए , जब सबके अधिकार बराबर हैं तो सबके कर्तव्य बराबर क्यों नहीं हो सकते ? अफसोस की बात है कि धर्मों में बंटते जा रहे समाज को जातियों में बांटने के बाद अब छोटे छोटे समूहों में बांटने के षड्यंत्र राजनीति शुरू कर रही है । देश के भविष्य , प्रगति और अखंडता के लिए देश एक , संविधान एक , ध्वज एक होना जरूरी है तो सभी के लिए समान कानून बनाना जरूरी क्यों नहीं ?
अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश,9451221253

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