पद्मावती फिल्म में जौहर का अपमान!

देश में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों का उपहास उड़ाने का खेल लम्बे समय से चल रहा है। तथाकथित वामपंथी बुद्धिजीवी के दिमाग की उपज कहे जाने वाले इन उपहासों के पीछे मात्र यही भाव प्रदर्शित होता है कि जिनसे समाज को प्रेरणा मिलती है, उन्हें किसी प्रकार से मिटाया जाए और उनके प्रति लोगों में नकारात्मक भाव का संचार हो। कौन नहीं जानता कि वामपंथी इतिहासकारों ने भगवान राम के अस्तित्व को ही नकारने का प्रयास किया। इसी प्रकार का प्रयास आज भी चल रहा है। और इसी कारण से भारतीय समाज अपनी वास्तविक पहचान से बहुत दूर होता जा रहा है। तथाकथित बुद्धिजीवियों ने हमारे देश की ऐतिहासिक पहचान को इस प्रकार से प्रस्तुत करने का काम किया है कि आदरणीय पात्रों को भी समाज के लिए निरादर का पात्र बना दिया जाए। हम यह भी जानते हैं कि कोई भी देश अपने वास्तविक स्वर्णिम इतिहास को विस्मृत कर देता है तो वह स्वयं की अपने विलुप्त होने का मार्ग तैयार करता है। वास्तव में अपने स्वर्णिम अतीत के प्रति गौरव होना चाहिए, लेकिन लम्बे समय से इस स्वर्णिम अतीत को समाप्त करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। आज इसी राह पर फिल्मकार संजय लीला भंसाली चल रहे हैं। फिल्म पद्मावती का हिन्दू समाज का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि फिल्म पद्मावती के माध्यम से संजय ने राजपूत समाज को अपमानित किया है। इतिहास के नाम पर धंधा करने वाले कुछ विदेशी व वामपंथी तथाकथित इतिहासकारों के कुकृत्यों की आड़ में राजस्थान की गौरवशाली राजपूत परम्परा का अपमान करना देश के ऐतिहासिक स्वरुप को मिटाने जैसा ही कार्य है। वास्तविकता यही है कि रानी पद्मावती अमर वीरांगना हैं। मुगल अत्याचारी अलाउद्दीन खिलजी से अपने शील की रक्षा करते हुए रानी पद्मावती ने स्वयं को जलती चिता में झोंक दिया। चंद पैसों के लालच और ओछी पब्लिसिटी की चाह में ऐसी महान महिला को बड़े ही घटिया तरीके से अलाउद्दीन की प्रेमिका बताया जाना न सिर्फ भारतीय इतिहास के साथ बलात्कार होगा, बल्कि हर भारतीय नारी के सम्मान को भी ठेस पहुंचाएगा। सबसे बड़ी शर्म की बात यह है कि यह सब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किया जाता रहा है। देश में अभिव्यक्ति की आजादी अमर्यादित होती जा रही है, बोलने की कोई सीमा नहीं है। यहां तक कि अपने पूर्वजों का अपमान भी अभिव्यक्ति का हिस्सा बनती जा रही है। आज अभिव्यक्ति की आजादी के नाम हिन्दू वीरांगनाओं का सरेआम चीरहरण करने का खेल चल रहा है। फिल्म पद्मावती में कुछ इसी प्रकार के दृश्य दिखाए गए हैं। पद्मावती के पूरे इतिहास को झूठ के साथ दिखाया गया है। इसके विरोध में राजपूत समाज के संगठन करणी सेना ने फिल्म का झलक प्रसारित होने पर विरोध जातया है, साथ ही कहा है कि फिल्म प्रसारित होने के दिन भारत बंद किया जाएगा और किसी भी छविग्रह में पद्मावती फिल्म को किसी भी हालत में प्रदर्शित नहीं होने दिया जाएगा। 
गौरतलब है कि फिल्म निर्माता और निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ उनकी आगामी फिल्म ‘पद्मावती’ की जयपुर में शूटिंग के दौरान हाथापाई और मारपीट की गई थी। इस फिल्म का विरोध कर रही राजपूत समूह करणी सेना ने आरोप लगाया है कि भंसाली अपनी फिल्म ‘पद्मावती’ में राजपूत रानी पद्मावती के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। करणी सेना का आरोप है कि भंसाली की फिल्म में रानी पद्मावती का किरदार निभा रहीं दीपिका पादुकोण और अलाउद्दीन खिलजी का किरदार निभा रहे रणवीर सिंह के बीच आपत्तिजनक ‘लव सीन्स’ फिल्माए जा रहे थे। ताजा विवाद में उस समय और मोड़ आ गया, जब पद्मावती की भूमिका निभा रही दीपिका पादुकोणे ने अपने पिछड़े होने के कारण विरोध करने वालों को निशाने पर लिया। लेकिन सवाल यह आता है कि क्या दीपिका पादुकोणे को पद्मावती का वास्तविक इतिहास पता है, अगर नहीं तो उनको इस विवाद में नहीं पडऩा चाहिए। दीपिका पादुकोणे को समझना चाहिए कि वह एक अभिनेत्री के साथ ही एक भारतीय महिला भी हैं। इस कारण उन्हें भारतीय होने के नाते कम से कम अपने देश की महिलाओं के आदर्श को ध्यान में रखना चाहिए।

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