साधना स्वान्त सुखाय है, दिखावे की नहीं बात ।

साधना के संदर्भ में –

साधना स्वान्त सुखाय है,
दिखावे की नहीं बात ।
वहीं साधना श्रेष्ठ है,
जिसमें मन खो जात॥2107॥

दुष्ट और सज्जन के मन की तरंगों (Vibration) के संदर्भ में –

मन को शान्ति देत है,
साधु से मुलाक़ात ।
दुष्ट के दर्शन मात्र से,
हृदय दुःखी हो जात॥2108॥

सज्जन की सलाह ही कल्याण -कारी होती है निकृष्ट व्यक्ति की नही

नीच सलाह मत मानीये,
बेशक होवे खास ।
शकुनी और मन्थरा,
कर गये सत्यानाश ।।2109॥

प्रभु-कृपा के संदर्भ मे

बल ज्ञान क्रिया प्रभु,
पात्र देख कर देय ।
पात्रता ज्यो खंड़ित करे,
वापिस भी ले लेय॥2110॥

काल चकर मृत्यु के संदर्भ मे

काल-चकर रुकता नही,
लाखो करो उपाय ।
मृत्यु ऐसी डंकिनी,
रुक दिन सबको खाय॥2111॥

राम के संदर्भ में

शील संयम सौन्दर्य की,
मूर्ति हैं श्रीराम ।
अनुकरण करो राम का,
मिले मोक्ष धाम॥2112॥

श्रम, साहस और अनुशासन के संदर्भ मे –

श्रम, साहस और संगठन ,
जिनके भीतर होय ।
समृद्धि के फूलों से,
जीवन शुरभित होय॥2113॥

हृदय की वेदना को आसू प्रकट करते है –

आसूँ टपके आँख से,
शब्द नही बन पाय ।
आँसू बेशक मूक,
सच को दे बतायं॥2114॥

भक्ति के संदर्भ में –

दिव्य गुणों का भासना,
भक्ति का उपहार ।
सिमरन सेवा रोज कर,
खुश हों सृजन हार॥2115॥

प्रेम के संदर्भ मे –

प्रेम केंद्र संसार का ,
ज्यों माला में सूत ।
अमूर्त यज्ञीय – भावना,
शक्ति छिपी अकूत॥2116॥
क्रमशः

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