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सात्विक कर्मों की प्रधानता से ही जी‌वात्मा की उत्तम गति ::: आचार्य कर्मवीर

महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म
को युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री शिक्षक आर्य रत्न लखनलाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 6 दिसंबर 2022 मंगलवार को “”जीवात्मा की सिद्धि का शास्त्रीय आधार””विषय पर मुख्य वक्ता आचार्य कर्मवीर, अजमेर ने कहा कि वेदों में तीन सत्ता अनादि हैं –ईश्वर,जीव और प्रकृति । जैसे ब्रह्माण्ड के संचालन में ईश्वर की भूमिका सर्वोपरि है वैसे ही शरीर रूपी पिण्ड के संचालन में जीवात्मा की भूमिका सर्वोपरि है।
जीवात्मा शरीर रूपी रथ का मालिक है । इस रथ का सारथि बुद्धि है । रथ के घोड़े इन्द्रियां हैंऔर मन लगाम है। लेकिन जीवात्मा के बिना शरीर की गति नहीं चल सकती। जीवात्मा सुख-,दुख ,इच्छा, द्वेष, ज्ञान और प्रयत्न के माध्यम से शरीर को अनुभूति कराता है और इंद्रियों के माध्यम से मन और बुद्धि के सहयोग से अच्छे कर्मों की ओर मनुष्य बढ़ता है। मनुष्य के अंदर सात्विक ,राजस, और तामस गुण उनके कर्मों को प्रभावित करते हैं और यदि सात्विकता अधिक होती है तो जीवात्मा शरीर छोड़कर उत्तम योनि को प्राप्त करता है और उसकी उत्तम गति होती है राजसी और तामसी प्रवृत्तियां मनुष्य को नीचे की ओर मध्यम और अधम योनि को प्राप्त कराती हैं। जीवात्मा कर्म करने में स्वतंत्र है और फल भोगने में परतंत्र। इसलिए शास्त्रीय प्रमाणों से एवं मनुस्मृति के श्लोकों के प्रमाण द्वारा आचार्य श्री ने जिज्ञासुओं के प्रश्नों का जबाव दिया। उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती कृत “सत्यार्थ प्रकाश “के नवम समुल्लास के आधार पर सात्विक, राजसिक एवं तामसिक गुणों की अधिकता से जीवात्मा उत्तर -उत्तर उत्तम, मध्यम एवं अधम योनियों में जाता है। इसी कर्म की गति को जीवात्मा धारण करती रहती है, जिसे हम पुनर्जन्म कहते हैं। इससे स्पष्ट है कि जीवात्मा सात्विक कर्मों से उत्तम गति को प्राप्त कर सकती है इसमें कोई संदेह नहीं। इसीलिए मनुष्य को चाहिए कि वह उत्तम करें।
अन्य वैदिक विद्वानों में महान् इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य नोएडा,प्रोफेसर डॉ व्यास नंदन शास्त्री वैदिक बिहार, प्रोफेसर डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, अनिल कुमार नरूला दिल्ली, युद्धवीर सिंह हरियाणा, आर्य चंद्रकांता क्रांति हरियाणा, परमानंद सोनी भोपाल, चंद्रशेखर शर्मा जयपुर, सुरेश कुमार गर्ग गाजियाबाद, विमलेश कुमार सिंह, अनुपमा सिंह शिक्षिका, सुमन लता सेन आर्य शिक्षिका, अवधेश प्रताप सिंह बैंस, देवी सिंह आर्य दुबई, रामसेवक पाठक आदि ने भी अपने विचार रखे। इसके अतिरिक्त विश्व भर से सैकड़ों आर्य जन आर्यों का महाकुंभ से जुड़ कर लाभ उठा रहे हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कमला हंस, दया आर्या हरियाणा, संतोष सचान, ईश्वर देवी, आदिति आर्य ने सुंदर भजनों की प्रस्तुति द्वारा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संचालन भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन समिति के राष्ट्रीय संयोजक आर्यरत्न शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सभी महानुभावों के प्रति आभार जताया।

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