भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर मोदी जी ने किया महर्षि दयानंद के सपने को साकार : ज्ञानेंद्र गांधी

योगी जी का सक्षम नेतृत्व बनाएगा प्रदेश को उत्तम प्रदेश, लोगों को हैं उनसे बहुत सारी अपेक्षाएं

मुरादाबाद। अभी हाल ही में यहां पर संपन्न हुए आर्यवीर महासम्मेलन के संयोजक रहे श्री ज्ञानेंद्र गांधी का कहना है कि भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर मोदी जी ने महर्षि दयानंद के सपने को साकार कर दिया है। उन्होंने ‘उगता भारत’ के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज ने 18 35 ईस्वी में लॉर्ड मैकाले के द्वारा स्थापित की गई शिक्षा पद्धति का भारी विरोध किया था और देश के लोगों को देश की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़े रखने के लिए प्रेरित किया था।
स्वामी जी महाराज ने इसी प्रकार अंग्रेजों की पूर्णतया भ्रष्ट हो गई न्यायिक व्यवस्था का भी कड़े और स्पष्ट शब्दों में विरोध किया था। उन्होंने कहा कि इसका कारण केवल एक था कि शिक्षा और न्याय व्यवस्था दोनों ही भारत में पहली बार महंगी होने जा रही थीं। जबकि उससे पहले भारत का आदर्श था कि शिक्षा और न्याय नि:शुल्क दिया जाए। आज देश में जिस प्रकार के हालात हैं और जिस प्रकार की अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है या स्वार्थवश लोग जिस प्रकार एक दूसरे के अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं, उसका कारण केवल एक है कि देश की शिक्षा और न्याय व्यवस्था महंगी हो गई हैं। यदि इन दोनों को आज भी भारत के प्राचीन सामाजिक और राजनीतिक मूल्यों के अनुरूप नि:शुल्क कर दिया जाए तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि भारत पुनः देव पुरुषों का देश बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत के वेदों की एक भी बात सांप्रदायिक नहीं है। वेद की प्रत्येक शिक्षा मानव मात्र के लिए है। जो हमें संसार के प्रत्येक प्राणी के साथ समन्वित होकर जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। प्रत्येक प्राणी के जीवन का सम्मान करना आर्यों के वैदिक दर्शन का सिद्धांत है, उसी का पवित्र चिंतन है। इस चिंतन के माध्यम से ही मानव समाज एक दूसरे के अधिकारों का सम्मान करने वाला बनेगा। परंतु इसके लिए सबसे पहले आवश्यक होगा कि मनुष्य मनुष्य बने और अपने आपको अपनी मर्यादाओं के केंद्र में स्थापित करे। आज का पथभ्रष्ट मानव समाज अपनी मर्यादाओं की केंद्र भूमि से पथभ्रष्ट हो चुका है। उसी के कारण सर्वत्र अशांति और कोलाहल का वातावरण है।
श्री गांधी ने कहा कि भारतीय शिक्षा बोर्ड भारत ऐसे ही उन्नतशील मानव समाज में परिणत करने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी का एक ऐतिहासिक निर्णय है। जिसे स्वामी रामदेव जी महाराज जैसी पवित्र आत्मा के माध्यम से पूर्णत्व प्रदान किया जाएगा। इस महान कार्य के संपादन में प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का मार्गदर्शन भी विशेष रूप से उल्लेखनीय और प्रशंसनीय है। जिनके भीतर आर्यत्व का सूर्य जगमगा रहा है ।उनकी तेजस्विता और ओजस्विता से भरा उनका नेतृत्व प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की ओर अग्रसर है। पूरे प्रदेश की जनता उनसे अपेक्षा करती है कि वे वेद के सूर्य को और भी अधिक आलोकित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उनके भीतर ऋषि के सिद्धांतों के प्रति समर्पण का भाव है और उसी के आधार पर वह प्रदेश को ही नहीं बल्कि देश को भी आगे बढ़ाने का सपना लेकर चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन को सफल बनाने में जिन जिन संस्थाओं दानी सज्जनों और अनुभवी लोगों ने अपने-अपने ढंग से सहयोग दिया उनके प्रति में हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। उनके सहयोग के बिना निश्चित रूप से मैं अपंग हो कर रह जाता। उन्होंने कहा कि अत्यंत विषम परिस्थितियों में यह आयोजन संपन्न हुआ था, क्योंकि उस समय मौसम खराब हो गया था और कार्यक्रम स्थल पर घुटनों तक पानी भर गया था। इसके उपरांत भी लोगों की श्रम शक्ति और ऋषि दयानंद जी के प्रति श्रद्धा की पवित्र भावना ने कार्यक्रम को सफल बनवाया। जिनके प्रति मैं हृदय से अपने आप को ऋणी अनुभव करता हूं।
श्री गांधी ने ‘उगता भारत’ समाचार पत्र के विषय में कहा कि यह पत्र धर्म, संस्कृति और इतिहास की जिन विशिष्टताओं को लाकर हमारे समक्ष प्रस्तुत कर रहा है उससे यह निसंकोच रूप से कहा जा सकता है कि यह पत्र संस्कृति दूत है, धर्म का प्रेरक है और इतिहास का उद्बोधक है।

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