*शारदीय नवसस्येष्ठी(दीपावली) की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं*
(आर्य विचार)

दीपावली क्या है?
दीप = दिया (Lamp)
आवली = पंक्तियाँ (Queues) दीपावली एक त्योहार है, जो की कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शरद ऋतु की समाप्ति में केवल 15 दिन शेष रह जाते हैं। इसके पश्चात् अर्थात् कार्तिक महीने की समाप्ति पर हेमन्त ऋतु का प्रारम्भ हो जाता है। इस रात सभी लोग घरों और उसके आस पास तेल या घी के दीपक जलाते है।
इसे शारदीय नवसस्येष्टि भी कहते हैं।
शारदीय = शरद ऋतु का
नव = नया
सस्य = फसल, खेती
इष्टि = यज्ञ
[ वासन्ती नवशस्येष्टि = होली]

*दीपावली का महत्व-*
वर्षा ऋतु में वृष्टिबाहुल्य से घर, वायुमण्डल विकृत, मलिन, दुर्गन्धित हो जाते हैं, वर्षा के अवसान पर दलदलों के सडने, मच्छरों के आधिक्य तथा आर्द्रता (नमी) के कारण ऋतु-ज्वर मलेरिया डेंगू बुखार आदि रोग बहुत फैलते हैं। शरद-ऋतु के शारदीय-पूर्णिमा, विजयादशमी और दीपावली इन तीन पर्वों के यज्ञ (हवन) से इन रोगों का प्रतिकार होता है।  वायुमण्डल का संशोधन देवयज्ञ (हवन) से होता है, और घर की स्वच्छता रंग-रोगन आदि से होती है। इस समय श्रावण मास की फसल ( उडद, मूँग, बाजरा, तिल, कपास) का आगमन होता है, और इस अवसर पर नव-अन्न से देवयज्ञ (हवन) करने का विधान है।

*दीपावली की ऐतिहासिकता-*
वाल्मीकि-रामायण के अध्ययन से स्पष्ट होता है, की श्रीराम ने रावण का वध फाल्गुन मास में किया था, और चैत्र मास में अयोध्या लौट आये थे।अतः कार्तिक मास में मनायी जाने वाली दीपावली का श्रीराम के अयोध्या आगमन से कोई सम्बन्ध नहीं। इन दिनों रामलीला के मंचन के कारण यह भ्रांति लोक में फैल गई है। हाँ, दीपावली एक सनातन पर्व जरूर है जो रामायण काल मे भी मनाया जाता था।

30 अक्टूबर 1883, कार्तिक अमावस्या, दीपावली के ही दिन भारत माता के महान पुत्र, कलयुग मे वेदों की ओर लोटने का आह्वान करने वाले, अनेक क्रांतिकारीयो के प्रेरणास्त्रोत *स्वामी दयानंद सरस्वती जी* के जीवन का बलिदान हुआ था।
#BeingDayanand
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नोटः-बिना अपने घर व प्रतिष्ठान मे अग्निहोत्र/हवन किए आपका दीपावली पर्व अधुरा रह जाएगा।अतः यज्ञ अवश्य करें। #BeingRam

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