गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से ही संभव है विश्व कल्याण : आचार्य विद्या देव


ग्रेनो (अजय कुमार आर्य) गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहे 21 दिवसीय वेद पारायण यज्ञ में यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य विद्या देव जी ने उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि भारत की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को अपनाकर ही विश्वकल्याण होना संभव है। आचार्य श्री ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा प्रणाली अपनी विशेषताओं के कारण संसार को दीर्घकाल तक प्रेरित करती रही। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के कारण भारत की आश्रम व्यवस्था सुचारू रूप से कार्य करती रही । इसके अतिरिक्त वर्ण व्यवस्था भी बहुत ही महत्वपूर्ण ढंग से लोगों के बीच समन्वय स्थापित करने में सफल रही।
हमारे ऋषियों ने एक बार शिक्षा प्रणाली को आविष्कृत किया तो फिर उसी के आधार पर करोड़ों वर्ष तक संसार को सन्मार्ग दिखाते रहे। जबकि आज की शिक्षा प्रणाली आजादी के 75 वर्ष पश्चात भी अनेक कमियों का शिकार है। इसी से पता चल जाता है कि हमारे ऋषि पूर्वजों का बौद्धिक स्तर और आज के तथाकथित शिक्षाविदों का बौद्धिक स्तर किस प्रकार का है?
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में शिक्षा संस्कृति और धर्म से प्रभावित होती थी जो प्राचीन भारतीय समाज के अहम तत्व थे। संस्कृति और धर्म मनुष्य की मनुष्यता को निखारते हैं और उसे प्राणी मात्र के प्रति कर्तव्य शील बनाते हैं। वास्तव में शिक्षा का भी यही उद्देश्य होता है कि शिक्षित नागरिक मानव समाज के प्रति ही नहीं बल्कि प्राणी मात्र के प्रति कर्तव्य शील बन जाएं यही उनका धर्म होता है। आज की शिक्षा प्रणाली रोजगार परक है जो युवाओं को धन कमाने की शिक्षा तो दे रही है परंतु उनके नैतिक और आत्मिक उत्थान की कोई दिशा उन्हें नहीं समझा रही है। यही कारण है कि आज का युवा पढ़ लिख कर भी दिशा विहीन है। उन्होंने कहा कि आज हमें वेदों की शिक्षा देकर विश्व कल्याण की योजना पर काम करना चाहिए।
गुरुकुल के प्रबंधक और आर्य समाज के प्रमुख स्तंभ देव मुनि जी ने कहा कि प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के माध्यम से बच्चे के समग्र विकास पर बल दिया जाता था। हमारे आचार्य लोग बच्चों से खेल खेल में उनका साक्षात्कार लिया करते थे और जैसी जिसकी रूचि होती थी उसी रूचि के अनुसार उसको निखारने अथवा तराशने का काम किया करते थे। उस समय शिक्षा कमाई का साधन नहीं थी। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज सरकारी स्तर पर शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं निशुल्क देने की घोषणाएं तो की जाती हैं पर सच यह है कि शिक्षा और स्वास्थ्य ही इस समय सबसे अधिक महंगे हो गए हैं।
वैदिक शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत बच्चों का आत्मिक विकास करने के साथ-साथ जागतिक विकास करने पर भी बल दिया जाता था।
उन्होंने कहा कि कला साहित्य शास्त्र और दर्शन की जानकारी के साथ-साथ छात्रों को व्यवहारिक शिक्षा भी दी दी जाती थी और उन्हें उनके वर्ण के अनुसार अलग-अलग कामों के लिए तैयार किया जाता था। उस समय किसी प्रकार की सामाजिक प्रतिस्पर्धा की भावना नहीं थी जबकि आज की शिक्षा ने सामाजिक प्रतिस्पर्धा पैदा करके लोगों को आपस में लड़ाने का काम किया है। देव मुनि जी ने कहा कि प्राचीन काल में हमारी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत छात्र का मनोविज्ञान समझने पर विशेष बल दिया जाता था। मनोविज्ञान को समझ कर उसके जीवन की दिशा तय की जाती थी।
ज्ञात रहे कि शिक्षक दिवस पर गुरुकुल मुर्शदपुर में भी शिक्षा संबंधी सम्भाषणों का आयोजन किया गया । वक्ताओं ने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर बल दिया और इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आज की शिक्षा प्रणाली गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के विध्वंस पर खड़ी की गई है। सभी वक्ताओं ने सरकार से गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनः लागू करने की मांग की।

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