गांधी जी की हत्या के पश्चात चित्तवावन ब्राह्मण हिंदुओं पर क्या बीती

भारत की विडंबना ही तो है जो हिन्दुओ की हत्याओं पर राजनेताओ को मौन धारण करवा देती है। नाथूराम गोडसे एवं गांधी जी के नाम पर आज तक धार्मिक तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है। गांधी जी की हत्या को आज तक देश रो रहा है पर उन हिन्दुओ की हत्याओं को रोने वाला कोई नहीं। गांधी जी की हत्या के पश्चात महाराष्ट्र में गोडसे व् चित्तवावन ब्राह्मण गोत्र वाले हिन्दुओ को उनके पहचान पत्र से ढूंढ ढूंढकर उनके घरो से निकालकर उनकी निर्मम हत्या कर दी गयी लघभग 6000 से लेकर 10000 तक की अनुमानित संख्या में हिन्दुओ की निर्मम हत्या की गयी पर तब की राजनीति ने हिन्दुओ की मृत शैया से अपनी आँखे फेर ली और आज भी सर तन से जुदा के अमानवीय नारे के साथ जिन हिन्दुओ की निर्मम हत्या की जा रही है । उस पर संसद आज भी मौन है हिन्दुओ के अन्तःकरण में कटटरपंथी पहले भी भय व्याप्त करने में सफल हुए और आज भी सफल हो रहे हैं क्यूंकि हिन्दुओ को इस अमानवीय , कटटरपंथी व् जिहादी सोच से लड़ने हेतु समर्थ करने के लिए कोई भी व्यवस्था संचालित नहीं है । कभी हिन्दू महासभा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस जिम्मेदारी का निर्वहन किया करते थे परन्तु आज वह भी नहीं है । क्यूंकि गांधी जी की हत्या के पश्चात दोनों ही संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे जिसके पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वयं को एक सामाजिक व राजनीतिक संगठन के रूप में स्थापित कर लिया और हिन्दू महासभा जैसे संगठन उस प्रकार से पुनः क्रियाशील ही नहीं हो पाए । अतः इस राष्ट्र को स्वम मंथन करना होगा की पुरे विश्व में मात्र एक देश भारत बचा है जिसमे हिन्दू अभी अपना जीवन व्यापन कर पा रहें है परन्तु सनातनी हिन्दुओ का भविष्य इस बात पर निर्भर होगा की हिन्दू समाज अपने संरक्षण हेतु राजनीतिक संगठनों की तरफ देखता है या अपने पूर्वजों के पुरुषार्थ को अपनाता है। क्योंकि राजनीति तो सर्वप्रथम सत्ता का सुख भोगने हेतु ताकतवर लोगों के समूह के समक्ष नतमस्तक होती है ।

दिव्य अग्रवाल

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