#डॉ_विवेक_आर्य

हिन्दू इतिहास के सबसे बड़े गौ-भक्तों के नाम के जगह लिखे जायें तो शिवाजी महाराज का नाम विशेष रूप से स्मरणीय है।
गौ भक्त शिवाजी महाराज के लिए गाय सदैव पूजनीय रही थी। वह हमेशा बोलते थे कि गाय हिन्दू धर्म की शान है। जो भी इसको मात्र पशु समझ रहा है वह अज्ञानी है। खुद शिवाजी महाराज की दिनचर्या में गौ माता की सेवा शामिल थी. ऐसा ही एक किस्सा है, जो अब भूला दिया गया है. बचपन से ही शिवाजी गाय को आदरणीय और पूजनीय मानते थे और मात्र 10 वर्ष की आयु में ही शिवाजी ने यह सिद्ध कर दिया था कि उनका जन्म पापियों का नाश करने के लिए ही हुआ है। यह घटना शिवाजी महाराज के बाल्यकाल की है।

अपने पिता के साथ वे बादशाह के यहाँ जा रहे थे। यह बात बीजापुर की है। शिवाजी महाराज बचपन से हिन्दू लोगों के प्रिय भी थे। जब पिता और पुत्र दोनों रास्ते से गुजर रहे थे तो दोनों देखते हैं कि रास्ते में एक कसाई गाय को घसीटते हुए ले जा रहा था और वहां के बाजार के हिन्दू सर झुकाए बैठे हुए थे। मुग़ल शासन था, कौन क्या कर सकता था? उस समय शिवाजी की उम्र दस वर्ष की थी। कुछ इतिहास की पुस्तकें बताती है कि लोगों के मन में मुग़ल शासन का ऐसा डर था कि वह कुछ नहीं बोलते थे।

जब बालक गौ भक्त शिवाजी यह देखते हैं कि कसाई गो-माता पर अत्याचार करते हुए, उनको काटने ले जा रहा है वह तभी अपनी तलवार निकालते है और पहले तो गाय की रस्सी काटकर उसे बंधन मुक्त करते है और वह कसाई कुछ कहता इससे पहले ही उसका हाथ काटकर अलग कर देते है।
हिन्दुओं में वीर शिवाजी जी की जयजयकार हुई। हिन्दुओं को गौ, वेद, यज्ञ, जनेऊ और धर्म की रक्षा करने वाला मिल गया। इतिहास में वीर शिवाजी का नाम गौरक्षक के रूप में प्रसिद्ध हो गया।

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