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14 मार्च 2015 को शनि वक्री हो रहे हैं

14 मार्च 2015 को शनि वक्री हो रहे हैं। यानि आपके जीवन में सुख और दुख दोनों का शनि बड़ा कारण बनने जा रहे हैं। देश और दुनिया के पटल पर शनि तूफान मचाने वाले हैं। शनि के वक्री होने के दौरान में घटेंगी कई घटनाएं देश के राजनैतिक क्षेत्र मे उथल उथल मचेगी

प्रायः शनि के वक्रत्व काल को अत्यधिक अशुभ परिणामदायक बताया जाता है, जबकि पाया गया है कि वक्री होने पर शनि के प्रभावों का शुभत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस अवधि में जातक को वही फल प्राप्त होते हैं जिनका वह अधिकारी होता है। फलदीपिका के अनुसार वक्री ग्रह नीच या शत्रु राशिस्थ हो तो भी उच्च ग्रह के अनुसार ही फल करता है। इसी तरह शनि वर्गोत्तम या नवमांश में हो तो स्वक्षेत्री स्थिति के अनुसार ही फल करता है। फलदीपिका के 20वें अध्याय में रचनाकार स्पष्ट करता है कि विंशोत्तरी दशा- अंतर्दशा के शुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब दशा या अंतर्दशा का स्वामी ग्रह शुभ भावेश होकर स्व या उच्च राशि में विद्यमान हो अथवा वक्री हो। ज्योतिष विद्वान श्री सत्याचार्य ने भी उच्च स्वराशिस्थ या वक्री ग्रह को ही श्रेष्ठ माना है। दक्षिण भारत के विद्वान श्री मंत्रेश्वर भी वक्री ग्रहों को परम शुभ फल प्रदाता कहते हैं। उक्त मतों के अनुसार शनि के वक्र काल को अशुभ मान लेना उचित नहीं है। पाश्चात्य विद्वान भी वक्री शनि को शनि पीड़ित लोगों के लिए शुभ मानते हैं। अपनी इस अवस्था में शनि व्यक्ति के जीवन को सुखमय भविष्य की ओर ले जाता है। शनि के वक्रत्व काल में ही व्यक्ति आत्म विश्लेषण के दौर से गुजरता है और अपने भविष्य को सुखमय बनाने का प्रयास करता है।

14 मार्च 2015 दिन मंगलवार को सायंकाल 8.21 मिनट पर शनि वक्री होंगे। शनि के वक्री होने के बारे में यह माना जाता है कि जब शनि वक्री होकर विश्व विनाशक गणपति पर आए तो उनकी गर्दन उनके पिता ने ही काट डाली थी। हालांकि कहा जाता है कि क्रूर ग्रह यदि वक्री हो जाए तो महाक्रूर हो जाता है। शुभग्रह महाशुभकारी हो जाता है। जब भी शनि, सूर्य से 180 डिग्री के बाहर हो जाता है तभी यह शनि वक्री हो जाता है। यह शनि 01 अगस्त 2015 तक वक्र गति से गतिमान रहेगे।

1 अगस्त, 2015 से वर्ष अंत तक शनि मार्गी अवस्था मे गतिशील रहेंगे। यह शनि तुला, वृश्चिक तथा धनु राशि पर साढ़ेसाती के साथ रहेंगे तथा मेष व सिंह राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा। ‪‎ज्योतिष मतानुसार- मेष, सिंह, तुला, वृश्चिक तथा धनु राशि वालों को शनि ग्रह की शांति के उपाय करने चाहियें।

चार ग्रहों के राशि परिवर्तन से ये महीना देश के लिए खास रहेगा। 31 दिनों में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र राशि बदलेंगे। इन चार ग्रहों के अलावा शनि और गुरु वक्री रहेंगे, यानी टेढ़ी चाल से चलेंगे। ग्रह स्थितियों के अनुसार ये महीना सभी राशियों के लिए कुछ खास रहेगा।

सूर्य – महीने की शुरुआत में कुंभ राशि में रहेगा, 15 तारीख से मीन राशि में आ जाएगा।

चंद्रमा – लगभग हर ढाई दिन में राशि बदलेगा। महीने की शुरुआत में मिथुन राशि में रहेगा। 12 राशियों में घूमकर महीने के आखिरी दिनों में कर्क राशि में रहेगा।

मंगल – महीने की शुरुआत में मीन राशि में रहेगा। 24 तारीख से मेष राशि में आ जाएगा।

बुध – महीने की शुरुआत में मकर राशि में रहेगा। 9 तारीख से कुंभ राशि में आ जाएगा। 28 तारीख से मीन राशि में रहेगा।

गुरु – कर्क राशि में वक्री रहेगा।

शुक्र – महीने की शुरुआत में मीन राशि में रहेगा। 12 तारीख से मेष राशि में रहेगा।

शनि – वृश्चिक राशि में रहेगा। 14 तारीख से वक्री हो जाएगा।

राहु – कन्या राशि में रहेगा।

केतु – मीन राशि में रहेगा।

शनि के वक्री होने के दौरान में घटेंगी कई घटनाएं देश के राजनैतिक क्षेत्र मे उथल उथल मचेगी कुछ रहस्य उजागर होगे शनि महाराज वक्री होने का साफ संकेत है कि कुछ उथल पुथल होगी, बदलाव होगा, परिवर्तन होगा, जून में जब शनि वक्री हुये थे तब केदारनाथ धाम में तबाही मची थी। ऐसी अनेक घटनाये है जिन्हो पर विस्तार से लिखा जा सकता है

प० राजेश शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र

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