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अन्धविश्वास निर्मूलन क़ानून का निर्माण ही इसका संवैधानिक समाधान है!

andhvishwas kanunघोर आश्चर्य और दुःख की बात है कि एक ओर तो पुरुष द्वारा दृष्टि डालना भी स्त्रियों को अपराध नजर आता है और दूसरी ओर 21वीं सदी में भी महिलाएं इस कदर अन्धविश्वास में डूब हुई हैं कि उनको मनुवादियों के पैरों तले लेटने में भी धार्मिक गर्व की अनुभूति होती है। आत्मीय सुकून महसूस होता है। वैकुण्ठ का रास्ता नजर आता है! पापों और पाप यौनि से मुक्ति का मार्ग नजर आता है। आखिर यह कब तक चलता रहेगा?

अन्धविश्वास निर्मूलन क़ानून का निर्माण ही इस प्रकार की सभी समस्याओं का एक मात्र स्थायी संवैधानिक समाधान है! लेकिन आर्यों की मनुवाद पोषक सरकारें अपनी इच्छा से ऐसा कानून कभी नहीं बनाना चाहेंगी। संघ और संघ के सभी अनुसांगिक संगठन इस मांग का पुरजोर विरोध करते हैं जिसका स्पष्ट आशय यही है कि संघ नहीं चाहता कि देश के लोग अन्धविश्वास से बाहर निकलें! जिसका बड़ा कारण है, जिस दिन अन्धविश्वास निर्मूलन कानूनबन गया संघ की सारी चमत्कार और अन्धविश्वास आधारित सभी कथित धार्मिक दुकानें बंद हो जायेंगी!

इसलिए सोशल मीडिया के मार्फ़त अन्धविश्वास निर्मूलन कानून निर्माण की मांग का समर्थन किया जाए और लोगों को अन्धविश्वास निर्मूलन कानून के समर्थन में खड़ा किया जाये। जब जनता में माहौल बनेगा तो सतीप्रथा निरोधक कानून की भांति, सरकार को अन्धविश्वास निर्मूलन कानून भी बनाना पड़ेगा। जिस दिन ये कानून बन गया, समझो उसी दिन से संघ के षड्यंत्रों का और आर्यों के मनुवाद रूपी जहर का स्वत: निर्मूलन हो जायेगा। मनुवाद का विनाश और सत्यानाश करना है तो अन्धविश्वास निर्मूलन कानून बनाने का समर्थ किया जाए। हक रक्षक दल इस दिशा में पहल करता है। सभी आम-ओ-खास का समर्थन और सहयोग जरूरी है। अन्धविश्वास निर्मूलन कानून लागू होते ही बहुत सी मुसीबतों से अपने आप ही छुटकारा मिल जाएगा!

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश

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