तुम कश्मीर, हम अखंड भारत!!

kashmir akhand bharatपाकिस्तान के सेनापति जनरल राहिल शरीफ ने दावा किया है कि पाकिस्तान और कश्मीर को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। कश्मीर का मसला संयुक्तराष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार जनमतसंग्रह द्वारा हल किया जाना चाहिए। कश्मीर तो भारत विभाजन का अधूरा अध्याय है। जनरल शरीफ बेचारे क्या करें? उनकी मजबूरी है। अगर पाकिस्तान का सेनापति यह कहने लगे कि अब बहुत हो चुका। हमने कश्मीर की डुगडुगी काफी पीट ली। तीन-चार युद्ध लड़ लिए। आतंकवाद फैला दिया। दुनिया के मालदार मुल्कों को कश्मीर के नाम पर जमकर दुह लिया और सबसे बड़ी बात कि कश्मीर के बहाने पाकिस्तान की फौज को जनता के सीने पर चढ़ाकर रख लिया। फिर भी नतीजा शून्य निकला। कश्मीर के चलते पाकिस्तान बर्बाद हो गया। अब यह फौज कश्मीर नहीं, पाकिस्तान की खिदमत करेगी।

अगर जनरल शरीफ और नवाज शरीफ, दोनों ही इस सच्चाई को कबूल कर लें तो पाकिस्तान ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया का नक्शा ही बदल जाए। यदि जनरल शरीफ कहते हैं कि पाक और कश्मीर एक ही हैं। उन्हें अलग नहीं किया जा सकता तो मैं कहता हूं कि भारत और पाक भी एक हैं। उन्हें अलग नहीं किया जा सकता। वे आज दुश्मनी में एक हैं। मैं उन्हें दोस्ती में एक करना चाहता हूं। यह विभाजन का ही अधूरा अध्याय है। कश्मीर आज जितना पाकिस्तान के पास है, उतना उसके पास रहे और जितना भारत के पास है, उतना उसके पास रहे और हमारे दोनों मुल्क आगे बढ़ें। भारत के किसी प्रधानमंत्री की आज तक इतनी हिम्मत नहीं पड़ी कि वह कह सके कि हम पाकिस्तानी कश्मीर को वापस लेकर रहेंगे। इस दब्बूपन की वजह क्या है, इसमें मैं अभी नहीं जाउंगा लेकिन यदि पाकिस्तान कहता है कि वह भारतीय कश्मीर लेकर रहेगा, क्योंकि वह उसका है तो मैं बता दूं की नरेंद्र मोदी की पार्टी जनसंघ और भाजपा कहती रही है कि पाकिस्तान उनका है। उसे वे लेकर रहेंगे।

अखंड भारत बनाएंगे। आप कश्मीर छीनने की कोशिश कीजिए और हम पाकिस्तान पर कब्जा करने की कोशिश करते रहें। नतीजा क्या होगा? हम हजार साल तक लड़ते रहेंगे। हमारे मुल्कों के करोड़ों लोग गरीबी और गंदगी में दम तोड़ते रहेंगे?जहां तक जनमतसंग्रह का सवाल है, लगभग 20 साल पहले जब बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री थीं, मैंने उनसे पूछा था कि क्या आप कश्मीरियों को ‘तीसरा विकल्प’ देने को तैयार हैं याने कश्मीर न भारत और न पाकिस्तान में मिले लेकिन आजाद रहे तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि ‘नहीं’। यदि ऐसा है तो फिर वह जनमतसंग्रह तो नहीं हुआ। वह तो अपनी मर्जी थोपना हुआ। संयुक्तराष्ट्र प्रस्ताव को तो मुशर्रफ और सं.रा. महासचिव ही अप्रासंगिक बता चुके थे। जो कश्मीर अभी पाकिस्तान के पास है, क्या उसके हालात इतने आकर्षक हैं कि भारतीय कश्मीरी अपने कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहेंगे? मुझे विश्वास है कि पाकिस्तानी फौज अपनी कश्मीर नीति पर ज़रा ठंडे दिमाग से विचार करेगी।

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