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शर्म मगर इनको आती नही

रविन्‍द्र द्विवेदी की विशेष रिपोर्ट 

नई दिल्‍ली। उत्‍तम नगर के विधायक पवन शर्मा पूरी तरह एक असफल विधायक साबित हो रहे हैं । विधायक बनने से पूर्व चुनाव के समय उन्‍होंने जनता से बड़े-बड़े वायदे किये, मतदाताओं को लुभाने के लिये तरह-तरह के सुविधा देने का झूठा आश्‍वासन दिया कि गरीब जनता के झुग्‍गी-झोपड़ी की भी लाइट दिन-रात में एक बार भी नही कटेगी। मगर उत्‍म नगर में निरंतर बिजली कटौती से नागरिकों का जीना दूभर हो गया है। रोज-रोज आधी रात को भीषण गर्मी में बिजली कट जाने से यहां के नागरिकों का जीवन छिन्‍न-भिन्‍न हो गया है। इस कड़कती गर्मी में बिजली कटौती से जिन गरीबों के घर में इनवर्टर नही है वो तो रात में ठीक तरह से सो भी नही पाते उनके छोटे-छोटे बच्‍चे गर्मी में बेहाल रात-रात भर जगते रहते हैं। जो बच्‍चे रात-रात भर जगेंगे वो सुबह कैसे अपने स्‍कूल जायेंगे। जब गरीब बिजली कटौती को लेकर विधायक पवन शर्मा से सवाल करता है तो वो कहते हैं कि ये सब कांग्रेस की चाल है इसमें हमारा दोष नही है। विशेषकर ये बिजली कटौती संजय इंक्‍लेव, भगौती बिहार जैसे पिछड़े इलाकों में होते हैं।

उत्‍तम नगर के गरीब इलाकों में तो पानी की भारी किल्‍लत है। यहां वीआईपी इलाकों तो रोज सुबह शाम पानी आता है मगर गरीबों को तो पानी के दर्शन दो-तीन दिन बाद बड़ी मुश्किल से होता है। ये तो ऐसे ही है जैसे गरीब वोट ही नही देता पवन शर्मा जी बड़े-बड़े वीआईपी लोगों के वोट से विधायक बने हों । गरीबों की बस्तियों में पवन शर्मा के खिलाफ इतना गुस्‍सा है कि पवन शर्मा झुग्‍गी-झोपडि़यों में जाना ही छोड़ दिये हैं क्‍योंकि इन गरीबो के अंदर इतना आक्रोश है कि उनके इलाकों में विधायक जी कभी भूले-बिसरे चले जाते हैं तो इनको वहां किसी तरह से जान बचा के भागना पड़ता है।

हिन्‍दू महासभा ने कई बार विधायक पवन शर्मा को चेतावनी दे चुकी हैं मगर बेशर्म नेताओं को शर्म नही है। उत्तम नगर में कुछ एनजीओ भी नागरिकों की बिजली, पानी, सड़क और साफ-सफाई जैसे मूल-भूत जरूरतों के मदद के लिये आगे आये हैं।

बड़े मियां सो बड़े मियां छोटे मियां भी शुभान अल्‍लाह 

उत्‍तम नगर के स्‍थानिय निगम पार्षद अनिल सब्‍बरवाल की तो बात ही मत पूछिये। इनका तो बस तीन ही काम ही है भोजन, निद्रा और विश्राम। इलाके में पूरा गंदगी का साम्राज्‍य फैला है पार्षद महोदय को उसकी जरा सी भी चिंता नही है। गरीबों की कॉलोनियों के छोटे गली में तो कभी झाड़ू ही नही लगते और लगते है तो बस गली के बड़े वीआईपी लोगों की गलियों में। छोटे गलियों में तो गंदगी के साम्राज्‍य का आलम रहता है। वहां तो कभी झाड़ू ही नही लगते।

और तो और उत्‍तम नगर में इतने आवारा कुत्‍ते हैं और इतने खतरनाक हैं कि कभी-कभी तो रात में कितनों को काट खाया है। कितने अपने वाहन में जाते रहते हैं तब भी ये खतरनाक कुत्‍ते काटने के लिये दौड़ा लेते है। इन आवारा कुत्‍तों का डर हमेशा महिलाओं और छोटे बच्‍चों को रहता है मगर यहां के पार्षद को अपने नागरिकों की कोई चिंता नही रहती। जरूरत है इन आवारा कुत्‍तों को पकड़कर कहीं अन्‍यत्र छोड़ने की, ये आवारा कुत्‍ते पोट्टी करके पूरे उत्‍तम नगर में गंदगी मचाये रहते हैं। मगर ये अय्याश किस्‍म के नेता अपनी आलीशान एसी गाडि़यों में चलते हैं इन्‍हें ये सब नही दिखाई देता है। उत्‍तम नगर के संजय इंक्‍लेव जगह-जगह नालियों की गंदगियां दसों दिन रखे रहते हैं उन्‍हें साफ करने वाला कोई नही आता।

क्या छोटी गलियों में इंसान नही रहते वहां भी साफ सफाई की आवश्‍यकता पड़ती है वहां भी डेंगू, मलेरिया का खतरा रहता है। मगर इन सफाई कर्मियों के उपर कोई लगाम लगाने वाला ही नही रहता।

अब देखना है कि इन सुविधाभोगी नेताओं को अपने नागरिकों की चिंता कब होती है, कब ये उन्‍हें उनके समस्‍या से निजात दिलायेंगे। अगर ये नेता अपने नागरिकों की समस्‍या दूर नही कर पाते हैं तो हम उन्‍हें असफल नेता ही कहेंगे। रामाधार फाउण्‍डेशन एनजीओ इनके खिलाफ एक बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रही है।

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