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गीता के ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करना आज की आवश्यकता

krishna rath     नई दिल्ली, अगस्त 8, 2014। गीता के ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करना आज की महती आवश्यकता है। विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली के महा मंत्री श्री राम कृष्ण श्रीवास्तव ने आज एक बैठक के बाद कहा कि गीता व महा भारत की शिक्षाएँ यदि बाल मन में ही घर कर गईं होतीं तो आज जिन समस्याओं से देश को जूझना पड रहा है, शायद हमारे पास तक न फ़टकतीं। गीता के ज्ञान को किसी धर्म या संप्रदाय से जोड कर देखने वालों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज से लगभग पांच हजार से अधिक वर्ष पूर्व, इन महान ग्रथों की रचना जिस समय की गई, उस समय न मुस्लिम थे न ईसाई और न कोई अन्य वर्तमान मत-पंथ संप्रदाय। इन ग्रंथों में कहीं भी जब हिन्दू मुस्लिम या ईसाई शब्द आया ही नहीं तो इसे किसी सांप्रदायिक चश्मे से देखना ही वास्तव में सांप्रदायिकता है। उन्होंने मांग की कि विश्व के इन पुरातन व महानतम ग्रंथों को अविलम्ब पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाए जिससे अनैतिकता, भृष्टाचार, महिला उत्पीडन इत्यादि अनेक गंभीर सामाजिक बीमारियों से निपटने के लिए आगे आने वाली पीडी को सही दिशा मिल सके।

बैठक की विस्तृत जानकारी देते हुए विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख श्री विनोद बंसल ने बताया कि गीता और महा भारत मानवता और मानवीय जीवन मूल्यों को दर्शाने वाले मूल ग्रंथ हैं। अपने झण्डेवालान स्थित कार्यालय में आज हुई इस बैठक में पारित एक प्रस्ताव के अनुसार गीता व महा भारत व्यक्ति व राष्ट्र निर्माण की कुंजी हैं जिसके विश्व व्यापी प्रचार मात्र से विश्व शांति की पुन:स्थापना आसानी से हो सकती है। विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली भारत तथा देश की समस्त राज्य सरकारों से अनुरोध करती है गीता व महा भारत जैसे अनुपम ग्रंथों के उचित अध्ययन, पठन-पाठन व शोध की व्यवस्था अपने-अपने स्तरों पर करें जिससे प्रत्येक भारतीय हर प्रकार से समृद्ध होकर देश के साथ-साथ विश्व के चहुँ मुखी विकास में अपना योगदान सुनिश्चित कर सके।

बैठक में विहिप दिल्ली के अध्यक्ष श्री रिखब चन्द जैन, उपाध्यक्ष श्री रोशन लाल गोरखपुरिया, श्री अशोक कुमार तथा श्री गुरदीन प्रसाद रुस्तगी, मंत्री श्री राम पाल सिंह यादव व विजय प्रकाश गुप्ता तथा दुर्गा वाहिनी संयोजिका श्रीमती संजना चौधरी, मातृ शक्ति संयोजिका श्रीमती संध्या शर्मा सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।

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