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उगता भारत न्यूज़

ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के तत्वावधान में आयोजित किया गया वसंतोत्सव बसंत बहार कार्यक्रम

    

         ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के तत्वावधान में वसंत पंचमी के पावन पर्व पर कविता, गीत, लोकगीत और व्यंग्य का “वसंत बहार” वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ एस एस अवस्थी ने “वसंत ऋतु एवं वसंत पंचमी” के महत्त्व का उल्लेख करते हुए कहा कि ऋतुराज हर इनसान के हृदय को प्रफुल्लित कर देता है। प्राचीन काल में यह उत्सव अत्यंत उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता था।” 
         पद्मश्री डॉ. श्याम सिंह शशि ने सारा जहां अपना बताते हुए काव्य पाठ किया। डॉ सरोजिनी प्रीतम ने अपनी चार लाइनों वाली क्षणिकाओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सेवानिवृत्त आईपीएस डॉ वीरेंद्र कुमार शेखर ने बंगाल से शृंगार को प्रमुखता देते हुए कहा – “क्या ग़ज़ब ऋतुराज का शृंगार है, झूमता मदहोश सा संसार है।” लता तेजेश्वर रेणुका ने मुंबई से वसंत ऋतु को अपने शब्दों में कुछ ऐसे व्यक्त किया – “आई फिर वसंत रानी।” ज्योति नारायण ने हैदराबाद से 
दोहों में काव्य रस प्रस्तुत किया – “यह वसंत अनुराग है रंगों का त्योहार।” कृष्ण कुमार द्विवेदी ने नागपुर से मां सरस्वती की वंदना करते हुए कहा – “मां तनमन श्रद्धा से पूजते ही….।” रामआसरे गोयल ने सिम्भावली से एक ग़ज़ल के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया – “प्राणी शंकित व्यथा कहते कहते।” डॉ सी जे प्रसन्न कुमारी ने तिरुवनंतपुरम,केरल से वहां पर वसंत ऋतु की छटा का उल्लेख करते हुए कहा – “खिली चंपा चमेली….।”  दिल्ली विश्वविद्यालय के सांध्य सत्यवती महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ विजय शंकर मिश्र ने अवधी-भोजपुरी मिश्रित लोकगीत सुनकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ अहिल्या मिश्र ने हैदराबाद से अहिल्या का अर्थ बताते हुए कहा अहिल्या यानी जिस पर हल न चले। फिर बिहार की संस्कृति को अपने शब्दों में समेटते हुए कविता से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया – “रंग-रंग दे मेरी बासंती चुनरी धानी रे….।” आगरा की डाॅ. शशि गोयल ने “धानी रंग की चूनरी पीले पीले फूल। पवन वसन्ती बह उठी, अपना रस्ता भूल।।” के माध्यम से आनंद बिखेर दिया। दिल्ली के डॉ. संदीप कुमार शर्मा ने कहा – “ऋतुओं के राजा की बारी।” डॉ. हरिसिंह पाल ने दिल्ली से वसंत को – “श्यामा श्याम बसंती….” पुकारा। डॉ. एस. एस. अवस्थी,
महासचिव ने अपनी बुंदेलखंडी लोकगीत के माध्यम से समां बाँध दिया – “मोरी बहू हिरानी है, ऐ भैया मिले बता दियो,/भोपाल धुड़ी जबलपुर धूड़ी, सागर धूड़ी, रायपुर धूड़ी,सारी गागर छानी है…।” अंजलि अवस्थी ने दिल्ली से अपनी प्रभावी रचना के माध्यम से माहौल को वसंतमय कर दिया – “स्वागत है ऋतुराज आपका…।” हैदराबाद की डाॅ. आशा मिश्रा ‘मुक्ता’ ने “लौटा दो मधुमास मेरा” भावपूर्ण रचना प्रस्तुत कर वसंत के आगमन का स्वागत किया। इसके अलावा देश के लगभग चालीस कवियों, कवयित्रियों, गीतकारों ने अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। नरेंद्र परिहार ने नागपुर से सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए आभार व्यक्त किया।

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