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प्रभु की वाणी वेद

आओ हम सब पढ़े-पढ़ावें, प्रभु की वाणी वेद है।
जिससे कट जाते हर संकट, मिट जाते उर भेद हैं॥

1.वेद प्रभु की सच्ची पूँजी, वेद आन और बान है।
वेद प्रभु की ज्ञान की कुंजी, वेद प्रभु की शान है।
पढ़े-पढ़ायें, सुने-सुनायें, चले ढलें श्रुति वेद हैं॥
जिससे कट जाते………

2.वेद ही हर मानव को जग में,मानवता सिखलाते हैं।
ॠषि-मुनि बनकर वेदों से, सत्य की राह दिखाते हैं।
वैदिक धर्म पे चलकरके ही, मिट जाते भ्रम छेद हैं॥
जिससे कट जाते………

3.ॠक है ज्ञान, साम है भक्ति, यजु-कर्म, अथर्व-विज्ञान है।
इनपर ही चलकरके होता, जीवन का कल्याण है।
होकर विमल प्रभु गुण गाते, न रहता कोई खेद है॥
जिससे कट जाते………

4.धन्य-धन्य हे ईश्वर तुमको, तूने वेद का ज्ञान दिया।
धन्य-धन्य हे ॠषि दयानंद, तूने वेद-रस पान किया।
धन्य-धन्य हे भारत भूमि, जिसका चिंतन वेद है॥
जिससे कट जाते………
-विमलेश बंसल ‘आर्या’
पता:329 द्वितीय तल संत नगर,
पूर्वी कैलाश, नई दिल्ली-65

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