आचार्य शिवदेव आर्य को जन्मदिवस की बधाई- “वेद प्रचारक प्रतिभाशाली सक्रिय ऋषिभक्त युवक श्री शिवदेव आर्य”

ओ३म्

गुरुकुल पौंधा-देहरादून के सुयोग्य स्नातक, कम्प्यूटर-प्रकाशन-सम्पादन कला का गहन ज्ञान रखने वाले युवा आचार्य श्री शिवदेव आर्य जी की ऋषि भक्ति एवं कार्य प्रशंसनीय हैं। आज उनका जन्म दिवस है। वह आज 27 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। हम उनके विषय में कुछ पंक्तियां लिखने के लिये प्रेरित हुए हैं। हम उनके जन्म दिवस के अवसर पर उनके विषय में अपने कुछ अनुभव साझा कर रहे हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि श्री शिवदेव आर्य जी स्वस्थ एवं दीर्घायु हों और ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज से जुड़े रहकर आर्यसमाज के मुख्य उद्देश्य वेद प्रचार में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते रहें। वह यशस्वी हैं एवं यशस्वी बने रहें, यह हमारी ईश्वर से प्रार्थना है।

श्री शिवदेव आर्य जी युवा हैं, आकर्षक व्यक्तित्व के धनी हैं, ऋषि और वेद-भक्त हैं तथा विनम्रता, दूसरों का सम्मान करने वाले तथा अन्यों के कार्यों में कष्ट उठाकर भी सहयोग करने जैसे अनेक गुणों से युक्त हैं। आप गुरुकुल पौंधा-देहरादून से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ‘‘आर्ष ज्योति” के सम्पादन, मुद्रण व प्रकाशन का कार्य देखते हैं। आपके परिश्रम तथा सम्पादन कला के ज्ञान सहित ऋषि दयानन्द में पूर्ण निष्ठा एवं आर्यसमाज के सिद्धान्तों में पूर्ण समर्पण ने इस पत्रिका को आर्यजगत की प्रमुख पत्रिका बना दिया है। आपका सम्पादकीय वैदिक सिद्धान्तों को केन्द्र में रखकर सामयिक राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने वाला एवं प्रेरणादायक होता है। आप निर्भीक एवं साहसिक व्यक्तित्व के धनी हैं। वैदिक विषयों सहित आर्यसमाज की उन्नतिपरक लेख भी आप समय-समय पर लिखते रहते हैं। आर्यजगत की अनेक पत्र-पत्रिकाओं सहित नैट पर सुलभ अनेक साइटों पर भी आपके लेख प्रकाशित होते रहते हैं। ऋषि दयानन्द के स्वप्न ‘कृण्वन्तो विश्वर्मायम्’ से आप परिचित है और उसे पूरा करने में आपके प्रयास एवं कार्य महत्वपूर्ण तथा सराहनीय हैं।

श्री शिवदेव आर्य जी को कम्पयूटर विज्ञान व कार्य प्रणाली का अच्छा ज्ञान है। आप अपनी पत्रिका ‘आर्ष ज्योति’ का सम्पादन ही नहीं करते अपितु उसके सभी लेखों को कम्पयूटर पर टाइप कर उसकी मुद्रण प्रति स्वयं ही तैयार करते हैं। आपने अनेक विद्वानों की अनेक पुस्तकों की हस्तलिखित पृष्ठों से कम्प्यूटरकृत मुद्रण प्रति तैयार की है जिनका मुद्रण हो चुका है।

आप गुरुकुल पौन्धा में अध्यापन भी कराते हैं और इसके साथ प्रशासनिक तथा कार्यालीय आदि अनेक कार्यों को देखते हैं। गुरुकुल के व्यवस्थित संचालन में आपकी महनीय भूमिका है। आचार्य डा0 धनंजय आर्य जी सहित स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी तथा आचार्य चन्द्रभूषण शास्त्री जी का आपको पूर्ण सहयोग, सत्परामर्श एवं आशीर्वाद प्राप्त है। आप इनके अनुचर एवं सुयोग्य शिष्य हैं।

गुरुकुल पौंधा में आने वाले अतिथियों का स्वागत कार्य भी श्री शिवदेव आर्य जी करते हैं। गुरुकुल पौंधा का उत्सव ऋषि जन्म भूमि न्यास टंकारा, ऋषि उद्यान अजमेर में आयोजित ऋषि मेला तथा उदयपुर सत्यार्थप्रकाश न्यास द्वारा आयोजित सत्यार्थप्रकाश महोत्सव के समान ही एक बहुत प्रभावशाली आयोजन होता है जिसमें देश भर से सहस्रों आर्यजन पधारते हैं। बड़ी संख्या में उच्च कोटि के विद्वान, संन्यासी एवं भजनोपदेशक भी इस उत्सव में पधारते हैं। यह उत्सव आर्यजगत का एक बहुत बड़ा मेला होता है। उत्सव में बाहर से आने वाले सभी आगन्तुक ऋषिभक्तों के आवास एवं भोजन की प्रशंसनीय व्यवस्था होती है। इन कार्यों में भी श्री शिवदेव आर्य जी की सक्रिय भूमिका व योगदान होता है। हमारा सौभाग्य है कि गुरुकुल की स्थापना के समय से ही हमें इसके सभी उत्सवों एवं अन्य छोटे-बड़े आयोजनों में उपस्थित रहने का सौभाग्य प्राप्त रहा है। हमने सभी आयोजन ऋषिभक्तों की भारी संख्या तथा आर्यजगत के प्रमुख विद्वानों व भजनोपदेशकों सहित निवास व भोजन की दृष्टि से सफलता को प्राप्त होते देखे हैं। हम यदि यह कहें कि श्री शिवदेव आर्य जी डा0 धनंजय आर्य जी के प्रमुख सहयोगी और उनके दायें हाथ के समान हैं तो हमारे इस कथन में शायद अत्युक्ति न होगी।

श्री शिवदेव आर्य गुरुकुल पौंधा के स्नातक हैं और उनका आगे का अध्ययन जारी हैं। अध्ययन के साथ ही वह संस्कृत के प्रचार व प्रसार के कार्यों में भी संलग्न है। ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो बिना किसी पद व प्रतिष्ठा की अपेक्षा रखे तन, मन व धन तथा मन, वचन व कर्म से आर्यसमाज के लिये समर्पित होकर कार्य करते हैं। श्री शिवदेव आर्य जी हमें इसी प्रकार के ऋषिभक्त समर्पित आर्यपुरुष दृष्टिगोचर होते हैं। उनका वर्तमान जीवन आर्यसमाज के उज्जवल भविष्य का संकेत देता है।

श्री शिवदेव आर्य जी का व्यक्तित्व प्रभावशाली एवं आकर्षक है। आप अपने सार्थियों व गुरुकुल प्रेमियों का स्वाभाविक रूप से आदर करते हैं। आपका यह गुण स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती तथा आचार्य धनंजय जी से ग्रहण किया हुआ प्रतीत होता है। हम स्वयं भी श्री शिवदेव आर्य जी से अनेक प्रकार से लाभान्वित होते रहते हैं।

श्री शिवदेव आर्य जी आर्यसमाज की अनेक संस्थाओं से जुड़े हैं और उन्हें अपनी सेवायें देते हैं। वह आर्य मन्तव्य की इण्टरनैट साइट व इसके सभी संचालकों से जुड़े हुए हैं और उसके संचालन में अपने सहयोगियों को अपना सक्रिय योगदान करते हैं।

गुरुकुल पौंधा में दिनांक 8-11-2019 से 10-11-2019 तक तीन दिवसीय गुरुकुल महोत्सव का आयोजन सम्पन्न हुआ है। इस आयोजन में 54 गुरुकुलों के 400 से अधिक छात्र-छात्राओं एवं आचार्य-आचार्याओं सहित गुरुकुल प्रेमियों एवं स्वामी प्रणवानन्द जी के सहयोगी विद्वानों ने पूर्ण तन्मयता से भाग लिया। इस आयोजन में 10 से अधिक शास्त्रीय विषयों की परीक्षायें वा प्रतियोगितायें सम्पन्न हुईं थी। जो प्रतियोगितायें आयोजित हुईं उनमें वैदिक सिद्धान्त प्रश्न-मंच, अष्टाध्यायी-कण्ठ-पाठ-लेखन, धातुपाठ-कण्ठ-पाठ-लेखन, श्रीमद्भगवद्-गीता-कण्ठ-पाठ-लेखन, त्रिभाषी-कोष-कण्ठ-पाठ, वेदभाष्य-भाषण, श्लाका, शास्त्रार्थ-विचार, वेद-मन्त्रान्तयाक्षरी, अक्षर-श्लोकी व समस्यापूर्ति प्रतियोगितायें सम्मिलित हैं। कबड्डी की प्रतियोगिता भी इस महोत्सव का एक आकर्षण थी। इस अवसर वर्णोच्चारण शिक्षा पर एक शोध संगोष्ठी भी सम्पन्न हुई। आर्यजगत के शीर्ष विद्वानों तथा गुरुकुलों के आचार्य-आचार्याओं सहित गुरुकुल कांगड़ी के कुलपति डा. रूपकिशोर शास्त्री जी एवं उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री गिरीश अवस्थी जी आदि महानुभाव इस आयोजन में पधारे थे। इन सब कामों को सम्पादित करने में स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी तथा गुरुकुल के प्राचार्य डा. धनंजय आर्य जी सहित श्री शिवदेव आर्य, गुरुकुल के पुराने स्नातको, वर्तमान में अध्ययनरत ब्रह्मचारियों एवं अन्यान्य लोगों का सहयोग रहा। इस अवसर पर गुरुकुल में मानव सेवा प्रतिष्ठान की ओर से एक सम्मान समारोह का सफल एवं अविस्मरणीय आयोजन भी हुआ। श्री शिवदेव आर्य जी की सभी प्रतियोगिताओं को सम्पन्न करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसकी सराहना महोत्सव के मंच से आचार्य डा0 धनंजय जी ने की और इसके लिए उन्हें महोत्सव में पधारे विद्वानों ने सम्मानित भी किया गया। हम अनुभव करते हैं कि इस छोटी आयु में श्री शिवदेव जी ने जो ज्ञान व अनुभव प्राप्त किये हैं वह भविष्य में उनके व आर्यसमाज के प्रचार प्रसार कार्यों में बहुत काम आयेंगे।

यह वर्ष ऋषिभक्त स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी की आयु का 75वां वर्ष है। स्वामी प्रणवानन्द जी द्वारा स्थापित गुरुकुल मंझावली-हरयाणा अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण कर चुका है। आगामी मार्च में गुरुकुल मंझावली की रजत जयन्ती तथा स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी का अमृत महोत्सव समारोह भी आयोजित किया जा रहा है। अमृत महोत्सव एवं रजत जयन्ती समारोह को केन्द्र में रखकर गुरुकुल पौंधा के आचार्य डा. धनंजय जी ने विगत कई महीनों से प्रत्येक सप्ताह शनिवार एवं रविवार को वैदिक आर्य विद्वानों के आनलाइन व्याख्यानों का आयोजन व लाइव प्रसारण करते हैं। इन कार्यक्रमों का टीवी कार्यक्रमों के प्रसारण की भांति जूम एप के द्वारा प्रसारण किया जाता है जिसे मोबाइल पर देखा जा सकता है। इस कार्यक्रम को गुगल मीट तथा फेस बुक पर भी लाइव प्रसारित किया जाता है। यह प्रसारण श्री शिवदेव आर्य जी के ज्ञान, प्रतिभा तथा अनुभवों के कारण ही सम्भव होता है। आर्यजगत के लगभग सभी विद्वान एवं ऋषिभक्त बन्धु गुरुकुल पौंधा से विगत दो तीन वर्षों से लगातार प्रसारित हो रहे इन आयोजनों का आनलाइन प्रसारण देख रहे हैं। कार्यक्रम की गुणवत्ता टीवी पर प्रसारित कार्यक्रम के लगभग अनुरूप होती है। वक्ता की आवाज एवं चित्र स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं। कार्यक्रम के बाद इन वीडीयों को यूट्यूब पर डाल दिया जाता है जिससे सभी पुरानी वीडीयों दर्शकों के लिए उपलब्ध रहती हैं। श्री शिवदेव आर्य जी का यह कार्य प्रशंसा के योग्य है।

हमें श्री शिवदेव आर्य जी आर्यसमाज के भावी शीर्ष विद्वान एवं नेतृत्व के गुणों युक्त व्यक्तित्व दृष्टिगोचर होते हैं। हम आज दिनांक 11-11-2021 को उनके जन्म दिवस पर उन्हें अपनी हार्दिक शुभकामनायें एवं आशीर्वाद देते हैं और उनके सुखी, स्वस्थ, सक्रिय, सफल एवं सामाजिक जीवन का कामना करते हैं। ईश्वर एवं गुरुजनों का आशीर्वाद उन पर सदा बना रहे, ऐसी कामना भी हम करते हैं। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

Comment: