पंकज चौधरी जैसे कानूनगो के कारण पैमाइश की फाइलों का लग गया है तहसील दादरी में ढेर : अधिकारी हैं पूरी तरह असहाय

दादरी। ( अजय आर्य ) तहसील दादरी में उत्तर प्रदेश रिवेन्यू कोड की धारा 24 के अंतर्गत पैमाइश की पत्रावलीयों का ढेर लग गया है । सैकड़ों की संख्या में पड़ी इन फाइलों पर कार्यवाही न करके एसडीओ दादरी ने इन्हें वापस मंगा लिया है। अब बताया जा रहा है कि इन पर वाद संख्या डालकर दोबारा से इन्हें संबंधित कानूनगो के पास पैमायशी आख्या प्रस्तुत करने हेतु भेजा जाएगा।
आपको बता दें कि ऐसी पत्रावली यहां पर पिछले दो ढाई वर्ष से लंबित पड़ी हैं । जिन पर विधिक प्रक्रिया के अनुसार 15 दिन से 1 महीने के भीतर आख्या आ जानी चाहिए। परंतु यहां पर पंकज चौधरी जैसे निष्क्रिय और निकम्मे कानूनगो के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। जिसके बारे में बार एसोसिएशन दादरी के अधिवक्ताओं ने व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से कितनी ही बार उच्चाधिकारियों से शिकायत की है। परंतु सारा प्रशासन इस कानूनगो के समक्ष असहाय मुद्रा में खड़ा है। कोई भी इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है। यह कानूनगो खुलेआम लोगों से पैसे लेकर काम करता है। जिससे रिश्वत का पैसातय हो जाता है उसका काम हो जाता है ,अन्यथा नहीं।
अपनी उल्टी-सीधी रिपोर्ट देने के लिए भी यह कानूनगो तहसील दादरी में जाना जाता है। ऐसा नहीं है कि इसके बारे में अधिकारियों को कोई पता नहीं है सब कुछ पता होते हुए भी सब अधिकारी चुप लगा जाते हैं। जिससे पता चलता है कि या तो अधिकारी इस कानूनगो के विरुद्ध जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते या फिर यह इतना पावरफुल है कि इसके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाती। कई अधिवक्ताओं ने व्यक्तिगत रूप से और बार एसोसिएशन दादरी की ओर से इस कानूनगो के ट्रांसफर की कई बार मांग की है लेकिन कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।
ऐसे में लगता है कि तहसील दादरी इस कानूनगो के अभिशाप से अभी मुक्त होने वाली नहीं है। देखते हैं शासन-प्रशासन कितनी देर इस निकम्मे कर्मचारी को झेंलता है? यह बात तब और भी अधिक देखने लायक है जब योगी सरकार किसानों के लिए यथाशीघ्र न्याय देने की बातें कहती है और उसके उपरांत भी ऐसे कर्मचारी किसानों का शोषण करते हैं।

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