सत्य सनातन सिद्धांतों से ओतप्रोत पुस्तक ‘सत्य पथ’ का किया गया विमोचन

ग्रेटर नोएडा। (विशेष संवाददाता) ग्राम तिलपता स्थित सत्य सनातन वैदिक यज्ञशाला में चल रहे ऋग्वेद पारायण यज्ञ के अवसर पर सत्य सनातन सिद्धांतों से ओतप्रोत पुस्तक ‘सत्य पथ’ का विमोचन कार्य संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे प्रसिद्ध वैदिक विद्वान महात्मा ज्ञानेंद्र अवाना ने कहा कि संसार में जितना भर भी ज्ञान विज्ञान है वह सब मूल रूप में वेदों में पहले से ही मौजूद है। उन्होंने नई पीढ़ी का आवाहन करते हुए कहा कि वे सत्यपथ के अनुगामी बनने के लिए वेदों की ओर लौटें और महर्षि दयानंद जी महाराज के जीवन आदर्श से शिक्षा ग्रहण कर वेदों की शिक्षाओं को अपने जीवन का और जीवनचर्या का आवश्यक अंग बनाएं।


श्री अवाना ने कहा कि भारत के सनातन सिद्धांतों की उपेक्षा कर उन्हें जिस प्रकार वर्तमान संसार ने दूर फेंकने का कार्य किया है उससे संसार का भारी अहित हुआ है। यदि अब भी लोग संभल जाएं तो सनातन सिद्धांतों से विश्व कल्याण हो सकता है।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे पूर्व मंत्री हरिश्चंद्र भाटी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पुस्तक सत्यपथ हमें सनातन के लिए काम करने वाले अनेक संस्कृति रक्षक वीर पुत्रों के बारे में स्मरण कराती है। उन्होंने कहा कि पुस्तक सनातन सिद्धांतों की रक्षा के साथ-साथ सनातन सिद्धांतों की रक्षा करने वाले लोगों के लिए समर्पित है , जिन्हें मैं भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि संसार के जितने भर भी वैज्ञानिक आविष्कार हुए हैं उन सब की प्रेरणा उन वैज्ञानिकों को भारतीय साहित्य से ही प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि हमें स्वबोध करने की आवश्यकता है। जिसके लिए इतिहास बोध और देशबोध होना आवश्यक है।
इस पुस्तक के संपादक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि इतिहास मिट जाता है यदि इतिहास बनाने वाले लोगों के संबंध में हम लिख पढ़ कर दस्तावेज तैयार करने के अपने दायित्व को भूल जाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आज हमें गुरु गोविंद सिंह, वीर गोकुला जाट, छत्रसाल और छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ-साथ बंदा वीर बैरागी जैसे संस्कृति रक्षक वीर पुत्रों की उस घटना का कोई ज्ञान नहीं है जिसके अंतर्गत उन्होंने 1857 के जैसी क्रांति इससे लगभग 90 वर्ष पहले संपन्न कर दी थी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के बहुत बड़े क्षेत्र को इस पुस्तक के माध्यम से लोगों के सामने लाने का प्रयास किया गया है। जिससे पता चलता है कि एक बड़े क्षेत्र में व्यापक जन क्रांति पैदा करने वाले अनेक वीर पैदा हुए।
अपने भजनों के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन करते हुए सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान कुलदीप विद्यार्थी ने कहा कि राष्ट्र हम सबके लिए सर्वप्रथम होना चाहिए। वैदिक शिक्षा में राष्ट्र के लिए सर्वोच्चता प्रदान की गई है । जिस समाज में राष्ट्र के प्रति भक्ति की भावना नहीं होती वह राष्ट्र मिट जाता है। संसार को गतिशील बनाए रखने के लिए सांगठनिक एकता आवश्यक होती है। यह एकता राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव से ही आती है। जिसे हमें समझने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में भारतीय आदर्श इंटर कॉलेज तिलपता के प्रबंधक श्री बलबीर सिंह आर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया और इस बात पर विशेष बल दिया कि अपने चरित्र का निर्माण हम वैदिक शिक्षा के आधार पर करें।
कार्यक्रम में सनातन के लिए समर्पित आचार्य दशरथ, स्वामी देव मुनि जी महाराज , आर्य सागर खारी सहित अनेक विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये और इस बात पर बल दिया कि भारत के एकात्म मानववाद के सिद्धांत को केवल वैदिक शिक्षा के माध्यम से ही संसार के कोने-कोने में फैलाया जा सकता है।
इस अवसर पर सतीश नंबरदार, प्रताप सिंह आर्य, बाबूराम आर्य, दिवाकर आर्य, विजेंद्र सिंह आर्य, महावीर सिंह आर्य, रणवीर सिंह आर्य व सुखबीर सिंह आर्य सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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