भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का महत्व

डॉ. हनुमन्त यादव

वर्ष 2021 के प्रथम तीन माह में वर्ष 2020 के समान ही कोविड-19 महामारी ने सेवाओं संबंधी वैश्विक व्यापार पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इसके परिणामस्वरूप विश्व भर में आपूर्ति श्रृंखलाएं भंग हो गई। भारत से सेवाओं के निर्यात से प्राप्त राजस्व में 10 प्रतिशत कमी की संभावनाएं हैं। भारत की सेवा निर्यात में पकड़ मजबूत है। कोविड-19 से छुटकारा मिलते ही पुन: सेवा निर्यात से पूर्व स्तर प्रर राजस्व प्राप्त होना प्रारंभ हो जाएगा। वर्ष 2020-21 में सेवाओं के निर्यात की तुलना में आयात में अधिक कमी देखी गई। वर्ष 2021-21 एवं 2021-22 को कोविड -19 के कारण भारत को असामान्य स्थिति का सामना करना पड़ा है।

कोविड-19 महामारी के बाद किए गए लॉक डाउन तथा सामाजिक दूरी के उपायों का संपर्क गहन सेवा क्षेत्र पर बुरा प्रभाव पडा़ है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में सेवा क्षेत्र लगभग 16: प्रतिशत तक सकुंचित हो गया। मार्च 2020 में पहली बार लॉक-डाउन की घोषणा होतेे ही हवाई यात्री यातायात, रेल माल यातायात, बंदरगाह यातायात, विदेशी पयर्टकों के आवागमन तथा विदशी मुद्रा से होने वाली आय मेंं बहुत तेज गिरावट देखी गई। अनलॉक के पहले चरण के बाद अर्थव्यवस्था के धीरे-धीरे पटरी पर आने से इनमें से अधिकांश संकेतकों में सुधार होता दिखाई दिया। वर्ष 2020 में किसी को भी पूर्वानुमान नहीं था कि कोविड-19 का दूसरा चरण मार्च 2021 में प्रारंभ हो जाएगा। अब यह कहा जा रहा है कि दो-तीन महीने बाद कोविड-19 की तीसरी लहर का प्रकोप प्रारंभ होने की संभावना है। तीसरी लहर का मुकाबला करने की सरकार द्वारा पर्याप्त तैयारी किए जाने के बावजूद अर्थव्यवस्था के सेवा के विभिन्न क्षेत्रों पर ऋ णात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

वर्ष 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर ने सुधरती अर्थव्यवस्था पर पुन: कुठाराघात किया है। सेवा क्रय प्रबंधन सूचकांक, रेल माल यातायात तथा बंदरगाह यातायात में आ रही गिरावट दिसंबर 2020 में थम कर धीर- धीरे होती वृद्धि आकार सुधार दर्शा रही थी। घरेलू हवाई यात्री यातायात में धीरे-धीरे मासिक आधार पर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में यात्रा धीमी है। इसके अलावा वैश्विक पटल पर उभरी बाधाओं के बावजूद सेवा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई प्रवाह काफी मजबूत हुआ है तथा 2020 के समान ही वर्ष 2021 में भी वृद्धि में हुई। यह वर्ष दर वर्ष 34 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 67 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। वर्ष 2020-21 में सरकार ने कई महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार किए, उदाहरण के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र खोल देना, आई-टी-बीपीओ क्षेत्र से दूरसंचार संबंधी विनियमन हटा देना और ई-कॉमर्स के लिए उपभोक्ता संरक्षण नियमों को पेश करना शामिल थे।

भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का महत्व कोविड-19 के प्रसार दिनों में भी बरकरार है। वर्ष 2021 की पहली तिमाही में वर्ष 2020 के समान सेवा क्षेत्र में 16 प्रतिशत कमी रहने की संभावना है। एयर पैसेंजर परिवहन, रेल माल परिवहन, ट्राफिक, बंदरगाह ट्राफिक, विदेशी पर्यटक आगमन और विदेशी विनिमय इन सभी में कोरोना की दो लहरों के कारण पिछले वर्ष की भांति दो संकुचन संभावित है। इस समय अर्थव्यवस्था तक सकल संवर्द्धन मूल्यवर्धन ; जीवीए, में इसका हिस्सा 54: प्रतिशत से अधिक है। वर्ष 2010-11 में बंदरगाहों पर ; शिपिंग टर्न एराऊंड टाइम 4.67 दिन था जो वर्ष 2019-20 में घटकर 2.62 दिन लगभग आधा रह गया है। भारत 38 यूनीकान; स्टार्ट-अप का घर है। यह महत्व की बात है कि इनमें से रिकार्ड 12 ‘स्टार्ट-अप’ पिछले वर्ष ही यूनिकॉन सूची में जुड़े हैं। उल्लेखनीय बात यह है विदेशी निवेशक संस्थाओं का वर्ष 2021 की पहली तिमाही में भी भारत के सेवा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का अंतर्वाह निरंतर जारी रहा।

कोविड-19 की दो लहर की अवधि के 2021 के प्रथम छ: महीनों में सेवा क्षेत्र जिसमें निर्माण कार्य शामिल नहीं है, 2019 के कुल राजस्व प्राप्ति की तुलना में लगभग 15.6 प्रतिशत कमी संभावित है। सेवा क्षेत्र के तीन क्षेत्रों का राजस्व क्षति का अनुमान इस प्रकार है :1- व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण संवर्धित सेवाएं 33.2 प्रतिशत, 2-वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाएं 6.8 प्रतिशत, 3- लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य शासकीय सेवाएं 11.3 प्रतिशत। कोविड-19 की वर्ष 2020 में पहली लहर प्रारंभ होने के बाद रेलवे माल परिवहन में वृद्धि प्रारंभ हुई है। वर्ष 1019-20 में रेलवे माल परिवहन हेतु माल लदाई 1080 लाख टन थी वह वर्ष 2020-21 में ं 8 प्रतिशत बढ़कर 1180 लाख टन हो गई। यह बढ़ोतरी लदान वर्ष 2020-21 में भी कायम रहने की संभावना है। दूसरी ओर सरकार द्वारा विमान यात्री परिवहन पर लॉक डाउन घोषित कर दिए जाने के कारण इंडियन एअरलाइंस के घरेलू यात्री परिवहन में वर्ष 2020-21 में 50 प्रतिशत कमी आई है।

दिसंबर 2019 और दिसंबर 2020 के बीच सेवा क्षेत्र में बैंक ऋण क्षेत्र में 8.7 प्रतिशत वृद्धि के साथ मजबूती आई थी। इसे पर्यटन, होटल और रेस्त्रां,’ ‘परिवहन परिचालकों और ‘अन्य सेवाओं’ मापक उपक्षेत्रों में वृद्धि द्वारा परिचालित किया गया था। 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 15 प्रदेशों में सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन में जीएसवीए में सेवा क्षेत्र का हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक है। राज्यों में सेवा क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन में योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है। पिछले कुछ वर्षों में सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन में सेवाओं की अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी वाले राज्यों जैसे कि गुजरात, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, झारखंड, ओडिशा आदि 15 प्रदेशों में बैंक साख द्वारा सेवा क्षेत्र में मजबूत वृद्धि देखी गई है। वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट-2020 के अनुसार विश्व के सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्तकर्ताओं में भारत का स्थान 9वां हो गया है। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अब कंप्यूटर सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्र के अलावा ‘खुदरा व्यापार’, ‘कृषि सेवाओं’ तथा ‘शिक्षा’ जैसे उप-क्षेत्रों में भी तेजी से आना प्रांरभ हो गया है।

वर्ष 2021 के प्रथम तीन माह में वर्ष 2020 के समान ही कोविड-19 महामारी ने सेवाओं संबंधी वैश्विक व्यापार पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इसके परिणामस्वरूप विश्व भर में आपूर्ति श्रृंखलाएं भंग हो गई। भारत से सेवाओं के निर्यात से प्राप्त राजस्व में 10 प्रतिशत कमी की संभावनाएं हैं। भारत की सेवा निर्यात में पकड़ मजबूत है। कोविड-19 से छुटकारा मिलते ही पुन: सेवा निर्यात से पूर्व स्तर प्रर राजस्व प्राप्त होना प्रारंभ हो जाएगा। वर्ष 2020-21 में सेवाओं के निर्यात की तुलना में आयात में अधिक कमी देखी गई। वर्ष 2021-21 एवं 2021-22 को कोविड -19 के कारण भारत को असामान्य स्थिति का सामना करना पड़ा है। यह मानकर चलना चाहिए कि वर्ष 2023 प्रारंभ होते ही कोविड-19 से पूरी तरह काबू पाया जा सकेगा। वर्ष 2023 में भी सावधानी के लिए नागरिकों को मास्क पहनना और कुछ गज की सामाजिक दूरी बनाए रखना जारी रखना पड़ेगा।

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