“उगता भारत वेबीनार -2” में इतिहासनायकों को किया गया याद : डॉ राकेश कुमार आर्य की पुस्तक “हिंदुत्व के चेतना के स्वर” – का हुआ विमोचन

 

ग्रेटर नोएडा। ‘उगता भारत’ समाचार पत्र की ओर से आयोजित ”उगता भारत वैबिनार – 2″ का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त मंत्री और प्रदेश भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व करपुरी ठाकुर विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरा सिंह ठाकुर द्वारा की गई।


अपने संबोधन में डॉ आनंद कुमार ने कहा कि इस समय देश के इतिहास के दोबारा लिखे जाने की आवश्यकता है । उन्होंने महाराणा प्रताप, बप्पा रावल, नागभट्ट प्रथम और रानी लक्ष्मीबाई सहित 1576 में हुए हल्दीघाटी के युद्ध पर गंभीरता से प्रकाश डालते हुए कहा कि ये सारी घटनाएं हमारे उस तेजस्वी राष्ट्रवाद की ओर संकेत करती हैं जिसके चलते हम कभी विदेशी शक्तियों के अधीन नहीं हो पाये। डॉ आनंद कुमार ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने गौरवमयी इतिहास की घटनाओं को आज की पीढ़ी को बताएं और विशेष रूप से अपने क्रांतिकारी महानायकों के विषय में अवश्य बताएं।
‘उगता भारत’ समाचार पत्र के चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता श्री देवेंद्र सिंह आर्य ने इस अवसर पर कहा कि जून का महीना कुछ विशेष तिथियों को लेकर आता है। जिससे हमें अपने कई महान क्रांतिकारी इतिहास नायकों का सहज स्मरण हो आता है। इन तिथियों में महत्वपूर्ण हैं – 6 जून शिवाजी महाराज की राज्यारोहण की तिथि , 7 जून पृथ्वीराज चौहान की जयंती, 9 जून को वीर बंदा बैरागी का बलिदान दिवस ,11 जून क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल जी की जयंती, 13 जून महाराणा प्रताप की जयंती, 15 जून गुरु अर्जुन देव का बलिदान दिवस, इसी प्रकार 18 जून 1576 को महाराणा प्रताप द्वारा हल्दीघाटी के मैदान में मुगलों के छक्के छुड़ाए गए और अपने देश की स्वाधीनता के लिए हमारे अनेकों वीरों ने अपना बलिदान दिया था। जबकि इसी दिन वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान भी हुआ था। इस प्रकार जून के महीने का भारत के इतिहास में विशेष महत्व है।
इस अवसर पर ‘उगता भारत’ समाचार पत्र के संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा लिखित पुस्तक “हिंदुत्व की चेतना के स्वर” का विमोचन लोनी के क्रांतिकारी विधायक श्री नंदकिशोर गुर्जर द्वारा किया गया। विधायक श्री गुर्जर ने कहा कि डॉक्टर आर्य का लेखन बहुत गम्भीर होता है, वे इतिहास के सही तथ्यों का निरूपण कर राष्ट्र की अनुपम सेवा कर रहे हैं । उनके इतिहास लेखन में बकवास नहीं होती बल्कि संस्कृति और इतिहास की सही जानकारी होती है।
उन्होंने कहा कि इस समय जो लोग धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश की संस्कृति और इतिहास के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं वे राष्ट्र का बहुत भारी अहित कर रहे हैं जिसके प्रति हमें समय रहते जागरूक होने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री हीरा सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि ‘उगता भारत’ समाचार पत्र अपनी राष्ट्रवादी चिंतन धारा के लिए पूरे देश में अपना विशेष स्थान रखता है। श्री ठाकुर ने कहा कि हमें इस पत्र परिवार के प्रति इस बात के लिए शुक्रगुजार होना चाहिए कि वे सही दिशा में पत्रकारिता का निर्वाह कर रहे हैं ।
विशिष्ट वक्ता रहे श्री रघुनाथ सिंह राजपुरोहित ( पूर्व आईएएस) ने कहा कि राष्ट्र एक सार्वभौम संपन सत्ता का नाम है। वाद उसके नियंत्रण संचालन सुविधा का एक क्रम है जो पात्र के साथ कुछ बदलाव होता रहता है। राष्ट्र एक स्थाई सत्ता है जो नागरिकों के तप त्याग और बलिदान के वैभव से अनुप्राणित है। तभी तो आपने आज का दिन को विशेष महत्व दिया ।यह आपका व्यक्तित्व विकास राष्ट्रवाद को प्रमाणित करता है अब आगे श्रद्धा एक समर्पण भाव है जबकि निष्ठा पराजय के बराबर विजय की आकांक्षा तभी तो आपने सभी।राष्ट्रवाद को पुनः जीवित कर हमें अपनी प्राण ऊर्जा राष्ट्रहित के कार्यों में लगानी चाहिए।
जबकि डॉ तसवीर सिंह चपराणा ( चेयरमैन 1857 के क्रांति नायक धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ)
ने इस अवसर पर कहा कि भारत का इतिहास शिवाजी महाराज जैसे क्रांतिकारियों का इतिहास है। उन जैसे महापुरुषों के कारण धनसिंह कोतवाल जी ने 18 57 की क्रांति का शुभारंभ मेरठ पर किया था। उन्होंने कहा कि उनका शोध संस्थान उन क्रांतिकारियों पर विशेष शोध कर रहा है जिनके कारण देश आजाद हुआ श्री चपराना ने कहा कि हमें जातीय पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाकर अपने इतिहास का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ आर्य की उपरोक्त पुस्तक ई7स दिशा में निश्चय ही एक मील का पत्थर सिद्ध होगी जिससे हमारे भीतर एकता का भाव उत्पन्न होगा और हम राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर कार्य करने को अपना जीवनव्रत बनाएंगे।
श्री राकेश कुमार आर्य बागपत ( सह संपादक, उगता भारत) ने इस अवसर पर इतिहास के महानायक पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि जो परिस्थितियां देश की संस्कृति और धर्म के लिए पृथ्वीराज चौहान के समय में उपस्थित थीं वही आज भी उपस्थित हैं। जो लोग उस समय हमारे राष्ट्रवादी महानायकों का विरोध कर रहे थे और हिंदू धर्म को समाप्त करने के षड्यंत्र रच रहे थे वे आज भी अपने कार्यों में उसी प्रकार लगे हुए हैं। इसलिए हमें सावधान होकर उस षड्यंत्र का भंडाफोड़ करना होगा, जिसके कारण भारत को मिटाने की गहरी चालें चली जा रही है।
– श्री राजेंद्र कुमार अग्रवाल ( वरिष्ठ समाजसेवी एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष : राष्ट्रीय इतिहास पुनर्लेखन समिति) ने अपने संबोधन में उगता भारत के भारतीय इतिहास के दोबारा लिखे जाने के महाभियान की ओर संकेत किया । उन्होंने बंदा बैरागी और लक्ष्मी बाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यही बलिदानी परंपरा हमें आजादी दिलाने में सहायक हुई थी।
पुस्तक के विषय में प्रकाश डालते हुए लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने भारतीय इतिहास की उस चेतना को प्रकट करने का प्रयास किया है जिसके कारण हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनी रही और भारतवर्ष में राष्ट्र राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता का भाव प्रबल रहा। श्री आर्य ने कहा कि आज भी हमें अपने भारतीय वैदिक साहित्य को विद्यालयों में पढ़ाने की आवश्यकता है। उसी के माध्यम से हम भारत व भारतीयता की सेवा और रक्षा कर सकते हैं ।
कार्यक्रम संचालन का सफल संचालन दानवीर विद्यालंकार ने किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद की भावना को प्रबल करने में आर्य समाज का विशेष योगदान रहा है । हमारे जिन क्रांतिकारियों को आज इस वेबीनार के माध्यम से भावांजलि दी गई है वे सब हमारे इस राष्ट्रवाद को प्रबल करने में अपने अपने समय में सहायक रहे हैं। इसलिए उनके प्रति समर्पण का भाव हमारा राष्ट्रीय दायित्व है।

 

 

 

 

 

 

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