बंगाल में हो रही हिंसा पर ममता सरकार का न्यायालय में सफेद झूठ

 

वाकई सफ़ेद झूठ बोलना सीखना है तो कांग्रेस से सीखना चाहिए, ममता बनर्जी परिवारवाद के कारण कांग्रेस से अलग हुई थी, और देखिए हाई कोर्ट में ममता सरकार ने क्या सफ़ेद झूठ बोला यानि खुली आंखें दूध में मक्खी देख रही हैं, फिर भी दूध बेचने वाला न माने तो उसे सफ़ेद झूठ ही कहा जाएगा।
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हो रही हिंसाओं के विषय में दायर की गई याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट की पाँच जजों की पीठ ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था जिस पर रिपोर्ट देते हुए सरकार ने कहा है कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कोई हिंसा नहीं हुई है। इसके अलावा राज्य सरकार ने जवाब देने के लिए समय माँगा जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 18 मई 2021 की तारीख दे दी। 

वकील अनिंद्या सुंदर दास के द्वारा पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हो रही हिंसा पर कार्रवाई की माँग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमें दास ने कहा था कि राज्य में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कानून व्यवस्था बिगड़ गई है और राज्य में कई हत्याएँ हो चुकी हैं। इसके कारण कई राजनैतिक कार्यकर्ता और आम नागरिक राज्य छोड़कर जा रहे हैं। इस याचिका पर आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार से हिंसा पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था।
अब चर्चा है कि जब बंगाल में कोई हिंसा ही नहीं हुई या नहीं हो रही थी, फिर किस आधार पर हाई कोर्ट ने ममता सरकार से हिंसा पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था? कोर्ट ने ममता सरकार के वकील द्वारा झूठ बोलने पर गंभीरता से नहीं क्यों नहीं लिया? क्या अगली होने वाली सुनवाइयों के माननीय कोर्ट हिंसा पर सफ़ेद झूठ बोलने पर ममता सरकार को अड़े हाथों लेगी?

कलकत्ता हाईकोर्ट में राज्य की ओर से जवाब देते हुए महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि उनकी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 09 मई के बाद से कोई चुनाव बाद हिंसा नहीं हुई है। इसके अलावा दत्ता ने याचिका में पुलिस पर लगाए गए निष्क्रियता और लापरवाही के आरोपों पर कहा कि पुलिस ने सभी शिकायतों पर ध्यान दिया है। दत्ता ने माँग की कि सभी तथ्यों और याचिका से संबंधित सभी पहलुओं पर जवाब प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार को और समय दिया जाए, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई आगे बढ़ा दी। अगली सुनवाई 18 मई 2021 को होगी।
केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल वाय जे दस्तूर ने कहा कि दूसरी पार्टियों के प्रवक्ता भी मीडिया में कह रहे हैं कि उनके लोगों के साथ भी हिंसा हुई है। दस्तूर ने कोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग दोनों को ही हिंसा की शिकायतें मिल रही हैं। साथ ही महिला आयोग और राज्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग को भी शिकायतें मिली हैं। ये शिकायतें उन लोगों की हैं जो पुलिस के पास नहीं जा पा रहे हैं। दस्तूर ने कोर्ट से इन आयोगों के पास पहुँची शिकायतों पर पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने का आदेश देने की माँग की।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि पहले से कुछ बेहतर दिखाई दे रही हैं, राज्य सरकार को याचिका पर अपना जवाब देने के लिए समय दे दिया।
पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं और कई अन्य व्यक्तियों के खिलाफ लगातार हिंसा जारी है। राज्य से लगातार लूटपाट, हत्या, आगजनी और मारपीट की खबरें आ रही हैं। इस पर गृह मंत्रालय ने भी अपनी एक 4 सदस्यीय टीम बंगाल भेजी है जो हिंसा की जाँच करेगी और सीधे ही गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगी। 06 मई को बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंसा की रिपोर्ट उन्हें सौंपने से राज्य के अधिकारियों को रोक दिया था। ममता बनर्जी सरकार द्वारा जवाब देने से इनकार करने के बाद राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि अब वे स्वयं हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे।

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